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ICICI Prudential के दोनों एनएफओ उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं, जो बड़ी और स्टेबल कंपनियों में डायवर्सिफाइड ढंग से निवेश करना चाहते हैं. Photograph: (ICICI Prudential MF Presentation)
ICICI Prudential Mutual Fund NFO : आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने दो नए पैसिव फंड - आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी टॉप 15 इक्वल वेट इंडेक्स फंड (ICICI Prudential Nifty Top 15 Equal Weight Index Fund) और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी टॉप 15 इक्वल वेट ईटीएफ (ICICI Prudential Nifty Top 15 Equal Weight ETF) लॉन्च किए हैं. ये दोनों स्कीम्स देश की टॉप 15 कंपनियों में निवेश का मौका देती हैं, जो Nifty 50 इंडेक्स की लिस्ट से चुनी गई हैं. दोनों फंड्स के एनएफओ में सब्सक्रिप्शन 10 जून 2025 को खुल चुका है और 24 जून 2025 तक खुला रहेगा..
Nifty टॉप 15 इक्वल वेट इंडेक्स क्या है?
Nifty टॉप 15 इक्वल वेट इंडेक्स (Nifty Top 15 Equal Weight Index) निफ्टी 50 की टॉप 15 कंपनियों पर आधारित है, लेकिन इसमें एक खास बात यह है कि सभी 15 कंपनियों को बराबर वेटेज दिया जाता है. यानी HDFC Bank हो या Infosys, हर स्टॉक का वेट बराबर होगा. इसका मकसद है निवेशकों को बैलेंस्ड, डायवर्सिफाइड और ओवर-कॉन्फिडेंस फ्री एक्सपोजर देना.
इस इंडेक्स में शामिल कंपनियां आमतौर पर अपने-अपने सेक्टर की लीडर हैं. मिसाल के तौर पर HDFC Bank, Reliance Industries, Maruti Suzuki, TCS, Infosys और Hindustan Unilever. सेक्टर कवरेज की बात करें तो इसमें फाइनेंशियल सर्विसेज, ऑटोमोबाइल, FMCG, IT और टेलिकॉम जैसे बड़े सेक्टर शामिल हैं.
इक्वल वेटेज का क्या है फायदा
अक्सर देखा गया है कि मार्केट कैप पर आधारित इंडेक्स में बड़ी कंपनियों (जैसे Reliance या HDFC Bank) का वेट ज्यादा होता है. इसका नतीजा यह होता है कि इन कंपनियों के उतार-चढ़ाव का पूरे फंड पर ज्यादा असर होता है. इक्वल वेटेड अप्रोच इस समस्या को कम करता है और सभी कंपनियों को बराबर मौका देता है. इससे रिटर्न ज्यादा स्टेबल और संतुलित होने की संभावना रहती है.
Nifty टॉप 15 इक्वल वेट इंडेक्स का पिछला प्रदर्शन
पिछले प्रदर्शन के आंकड़ों को देखें, तो Nifty Top 15 Equal Weight Index ने कई वर्षों तक Nifty 50 की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है. मिसाल के तौर पर:
10 साल में Nifty Top 15 Equal Weight TRI का CAGR रहा : 13.9%,
10 साल में Nifty 50 TRI का CAGR रहा : 12.8%
बाजार में उथल-पुथल (Market Volatility) के समय भी Nifty टॉप 15 इक्वल वेट इंडेक्स ने Nifty 50 से बेहतर परफॉर्मेंस दिखाई है. मिसाल के तौर पर COVID-19 महामारी के दौरान या हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिपोर्ट के कारण बाजार में आई गिरावट के दौरान इसमें कम नुकसान हुआ था.
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दोनों NFO में क्या है फर्क?
ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी टॉप 15 इक्वल वेट इंडेक्स फंड और ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी टॉप 15 इक्वल वेट ETF के न्यू फंड ऑफर में मुख्य फर्क यही है कि एक इंडेक्स फंड है, जबकि दूसरा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड. ETF में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट जरूरी है जबकि इंडेक्स फंड में नहीं. ईटीएफ में एसआईपी नहीं कर सकते, जबकि इंडेक्स फंड में लंपसम और एसआईपी दोनों तरीकों से निवेश किया जा सकता है. ETF या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड स्टॉक की तरह ट्रेड होते हैं. यानी आप इन्हें शेयर मार्केट से खरीद सकते हैं और इनमें ट्रांजैक्शन रियल टाइम होते हैं. वहीं इंडेक्स फंड सीधे AMC से या फंड हाउस से खरीदे जा सकते हैं. दोनों स्कीम्स में मिनिमम इन्वेस्टमेंट 1,000 रुपये से शुरू हो रहा है. इसके अलावा दोनों फंड्स की कंसेप्ट और बाकी डिटेल एक जैसे हैं.
NFO से जुड़ी बड़ी बातें
फंड हाउस : आईसीआईसीआई प्रूडेशियल म्यूचुअल फंड
NFO ओपेन डेट : 10 जून 2025
NFO क्लोजिंग डेट : 24 जून 2025
कैटेगरी : इक्विटी लार्जकैप
कम से कम निवेश : 1,000 रुपये
लॉक इन पीरियड : कुछ नहीं
एग्जिट लोड : कुछ नहीं
रिस्कोमीटर : वेरी हाई
बेंचमार्क : Nifty Top 15 Equal Weight TRI
किन निवेशकों के लिए सही है ये NFO?
यह फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है, जो लॉन्ग टर्म यानी 5 साल से ज्यादा समय के लिए निवेश करना चाहते हैं. साथ ही निवेश की कम लागत और पैसिव मैनेजमेंट को पसंद करते हैं. ऐसे निवेशक भी इन एनएफओ पर विचार कर सकते हैं, जो लार्ज कैप स्टॉक्स में डायवर्सिफाइड ढंग से इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं और किसी एक कंपनी में ज्यादा एक्सपोजर नहीं रखना चाहते. साथ ही इक्विटी में पहली बार निवेश की शुरुआत करने वाले निवेशकों के लिए भी ये दोनों फंड्स एक आसान, ट्रांसपेरेंट ऑप्शन हो सकते हैं.
कुल मिलाकर, ICICI Prudential के नए एनएफओ उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं, जो बड़ी और स्टेबल कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं. Equal Weight Index का स्ट्रक्चर इसे Nifty 50 के मुकाबले ज्यादा बैलेंस्ड और स्टेबल बना सकता है, खासतौर पर लंबे समय के लिए निवेश करने वालों के लिए. लेकिन इक्विटी में निवेश करने की वजह से इसके साथ मार्केट रिस्क जुड़ा है. रिस्कोमीटर पर इसे वेरी हाई रिस्क (Very High Risk) की रेटिंग दी गई है. इसलिए निवेश का फैसला करने से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता को जरूर ध्यान में रखें.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सिफारिश करना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेने के बाद ही करें.)