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Arbitrage Mutual Fund का मैनेजर इक्विटी में निवेश तभी करता है, जब उसे मुनाफा सामने नजर आ रहा हो! सही मौका मिलते ही वो एक हाथ से निवेश करता है और दूसरे हाथ से बेचकर प्रॉफिट बुक कर लेता है! (Image : Pixabay)
What are Arbitrage Mutual Funds, should you invest: इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को आमतौर पर यही सलाह दी जाती है कि किसी फंड में पैसे लगाने के बाद धैर्य के साथ सही समय का इंतजार करें और उसे बेचने का फैसला तभी करें, जब आपके निवेश की वैल्यू पर्याप्त रूप से बढ़ जाए. लेकिन इनवेस्टमेंट का एक तरीका ऐसा भी है, जिसमें फंड मैनेजर इक्विटी में निवेश तभी करता है, जब उसे मुनाफा सामने नजर आ रहा हो! सही मौका मिलते ही वो एक हाथ से निवेश करता है और दूसरे हाथ से बेचकर प्रॉफिट बुक कर लेता है! बाकी तमाम एसेट्स की तुलना में बिलकुल अलग ढंग से काम करने वाले इस फंड का नाम है आर्बिट्राज म्यूचुअल फंड. निवेश की बिलकुल अलग स्ट्रैटजी के कारण इसे इक्विटी में निवेश का सबसे कम जोखिम वाला तरीका भी कहा जा सकता है.
क्या है आर्बिट्राज का मतलब?
इक्विटी इनवेस्टमेंट के मामले में आर्बिट्राज (Arbitrage) का मतलब है, किसी एक शेयर की एक समय में दो अलग-अलग बाजारों या एक्सचेंज में दो अलग-अलग कीमतों के बीच मौजूद अंतर का फायदा उठाकर उसकी खरीद-बिक्री करना. मिसाल के तौर पर अगर एक शेयर का दाम एक स्टॉक एक्सचेंज में ज्यादा और दूसरे एक्सचेंज में कम हो, तो उसे एक ही साथ सस्ते बाजार से खरीदकर महंगे बाजार में बेचा जा सकता है और इस तरह फौरन मुनाफा कमाया जा सकता है. इसी तरह स्पॉट मार्केट और फ्यूचर्स मार्केट यानी वायदा बाजार में एक ही शेयर की अलग-अलग कीमत का लाभ भी उठाया जा सकता है.
आर्बिट्राज म्यूचुअल फंड का फायदा
आर्बिट्राज के जरिए मुनाफा कमाने में दो दिक्कतें हैं - एक तो इसके लिए काफी हुनर और वक्त चाहिए, क्योंकि आपको एक साथ लगातार कई बाजारों और शेयरों पर नजर रखकर आर्बिट्राज के मौके तलाशने पड़ते हैं. दूसरी दिक्कत यह है कि दो बाजारों के बीच शेयरों की कीमतों में अंतर आम तौर पर काफी कम होता है. लिहाजा पर्याप्त मुनाफा कमाने के लिए बार-बार बड़े वॉल्यूम वाली डील करना जरूरी है. किसी आम निवेशक के लिए निजी तौर पर ऐसा करना मुश्किल है. लेकिन आर्बिट्राज फंड में निवेश करके इस स्ट्रैटजी का लाभ लिया जा सकता है. फंड मैनेजर और उनकी टीम लगातार आर्बिट्राज के मौके तलाशते रहते हैं और बार-बार खरीद-बिक्री करके मुनाफा कमाते हैं. सबसे खास बात ये है कि आर्बिट्राज फंड का मैनेजर किसी इक्विटी में निवेश तभी करता है, जब उसे किसी और मार्केट में मुनाफा दिख रहा हो. लिहाजा, इसमें नुकसान का रिस्क बेहद कम हो जाता है. फंड मैनेजर्स को जब इक्विटी में मुनाफा नहीं दिखता तो वो फंड को शॉर्ट टर्म मनी मार्केट या डेट इंस्ट्रूमेंट्स में पार्क करके रखते हैं, ताकि उस पर कुछ न कुछ रिटर्न मिलता रहे.
टैक्स बेनिफिट
आर्बिट्राज फंड दरअसल हाइब्रिड फंड (Hybrid Mutual Funds) हैं, जिन्हें टैक्सेशन के लिहाज से इक्विटी फंड (Equity Mutual Fund) की कैटेगरी में रखा जाता है. यानी अगर इसमें किए गए निवेश को 1 साल तक होल्ड करने के बाद निकाला जाए, तो उस पर 1 वित्त वर्ष के दौरान हुए 1 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता. इससे ज्यादा मुनाफा होने पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगता है. 1 साल से पहले निवेश निकालने पर होने वाले प्रॉफिट पर 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स देना पड़ता है.
पिछले 1 साल में 8% तक रिटर्न
आर्बिट्राज फंड में निवेश पर जोखिम तो बहुत कम होता है, क्योंकि फंड मैनेजर प्रॉफिट दिखने पर एक बाजार से स्टॉक खरीदकर उसे दूसरे बाजार में बेच देता है. लेकिन ऐसे मौके ज्यादा नहीं मिलते और दो बाजारों में कीमतों का अंतर भी बहुत कम होता है. इसलिए इनमें मिलने वाला रिटर्न भी औसत ही रहता है. पिछले 1 साल में देश के कुछ टॉप आर्बिट्राज फंड ने लगभग 8 फीसदी तक सालाना रिटर्न दिया है. टैक्स बेनिफिट को जोड़ दें तो यह रिटर्न और भी बेहतर नजर आएगा. हालांकि इसे भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं माना जा सकता.
किसे करना चाहिए आर्बिट्राज फंड में निवेश?
आर्बिट्राज फंड में निवेश का रिस्क प्रोफाइल डेट फंड की तरह होता है. यही वजह है कि कई आर्बिट्राज फंड बेंचमार्क के तौर पर लिक्विड फंड इंडेक्स का इस्तेमाल करते हैं. आर्बिट्राज फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं जो इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन जोखिम नहीं उठाना चाहते. उतार-चढ़ाव वाले बाजार में, जोखिम से परहेज करने वाले कई निवेशक अपना पैसा आर्बिट्राज फंड में रखकर औसत रिटर्न ले सकते हैं. अगर आप ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो टैक्स बचत के लिहाज से आर्बिट्राज फंड में निवेश करना आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है. पिछले बजट में डेट फंड पर टैक्स बेनिफिट खत्म किए जाने के बाद तो यह और भी आकर्षक ऑप्शन हो गया है. कुछ जानकार यह सलाह भी देते हैं अगर आप अपने सेविंग अकाउंट में ज्यादा पैसे रखते हैं, तो उसका कुछ हिस्सा आर्बिट्राज फंड में लगा सकते हैं. लेकिन निवेश का फैसला करने से पहले आर्बिट्राज फंड के एक्सपेंस रेशियो (Total Expense Ratio) और एग्जिट लोड (Exit Load) की जानकारी भी जरूर हासिल कर लेनी चाहिए.
(डिस्क्लेमर: किसी भी म्यूचुअल फंड में पिछले रिटर्न के आंकड़े भविष्य में उतने ही रिटर्न की गारंटी नहीं देते. यहां हमारा मकसद किसी फंड में निवेश की सलाह देना नहीं, सिर्फ जानकारी मुहैया कराना है. निवेश का कोई भी फैसला अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.)