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NPS exit policy : मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क के तहत एनपीएस से बाहर निकलने के लिए मिनिमम इनवेस्टिंग पीरियड 15 साल करने का प्रपोजल है. (Pixabay)
PFRDA new proposal on NPS : पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को अब पहले से ज्यादा आकर्षक बनाने की तैयारी कर ली है. यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है कि करोड़ों सब्सक्राइबर को इस स्कीम का बेहतर तरीके फायदा मिले और रिटायरमेंट की लाइफ चैन से कट सके. इसी वजह से अब रेगुलेटर इस स्कीम के जरिए रिटर्न बढ़ाकर, रिटायरमेंट के बाद पर्याप्त इनकम पर फोकस कर रही है. वहीं इसमें निवेश करने की अवधि की लिमिट भी घटाने पर काम हो रहा है, जो अभी मिनिमम 20 साल है.
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15 साल बाद कर सकते हैं एग्जिट
मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) के तहत एनपीएस (National Pension System) से बाहर निकलने के लिए मिनिमम इनवेस्टिंग पीरियड को घटाकर 15 साल करने का प्रपोजल है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप 35 साल की उम्र में निवेश शुरू करते हैं तो 50 साल की उम्र में इस स्कीम से बाहर निकल सकते हैं.
लंपसम और एन्युटी का बदलेगा रेश्यो
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में एक बड़े सुधार के तहत, पेंशन रेगुलेटर ने प्राइवेट सेक्टर के सब्सक्राइबर्स को खास सुविधा देने का प्रपोजल रखा है. जिसके तहत लंपसम पेआउट बढ़ाकर 80% करने और एन्युटी घटाकर 20% करने का प्रस्ताव है. यानी सब्सक्राइबर्स को अपने फंड का बड़ा हिस्सा एकमुश्त निकालने की सुविधा मिलेगी, और एन्युटी में कम निवेश करना होगा. अभी यह रेश्यो 60 : 40 है.
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निश्चित पेंशन के लिए पेंशन क्रेडिट
तीसरा और सबसे नया मॉडल “पेंशन क्रेडिट” लाता है, यह एक लक्ष्य-आधारित प्रणाली है जो निश्चित पेंशन भुगतान देती है. हर क्रेडिट परिभाषित अवधि (1, 3, या 5 साल) के लिए मंथली 100 रुपये की गारंटीड पेंशन देता है.
सब्सक्राइबर अपने लिए रिटायरमेंट ईयर, पेंशन लक्ष्य, और निवेश योजना चुनते हैं : एग्रेसिव : 75% इक्विटी, मॉडरेट : 50%, कन्जर्वेटिव : 25%, डेट फोकस्ड : मुख्य रूप से डेट.
क्रेडिट की प्राइसिंग : भविष्य में मिलने वाले भुगतान की वर्तमान मूल्य और जोखिम एवं प्रदर्शन के अनुसार तय होती है.
जमा और निकासी अवधि : जमा की अवधि 15 साल तक, निकासी अवधि 1 से 5 साल.
पारंपरिक यूनिट्स के विपरीत, ये क्रेडिट पूल्ड स्कीम्स के जरिए प्रबंधित होते हैं और HTM या मार्क टु मार्केट हिसाब-किताब अपना सकते हैं.
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ये बदलाव 1 अक्टूबर से लागू हुए
एक अकाउंट में कई स्कीम का फायदा : अब एक ही अकाउंट के तहत मल्टीपल स्कीम्स तक आसानी से पहुंच होगी.
इनडिविजुअल जरूरतों के हिसाब से स्कीम : कॉर्पोरेट स्टाफ, उद्यमी, प्रोफेशनल और गिग वर्कर्स के लिए विशेष स्कीम डिजाइन.
फ्लेक्सिबल रिस्क विकल्प : मॉडरेट और हाई-रिस्क (100% तक इक्विटी के साथ), अब लो-रिस्क विकल्प भी जल्द उपलब्ध हो सकता है.
पारदर्शी चार्ज : AUM का 0.30% सालाना तक सीमित, और नए निवेशक लाने वाले फंड्स के लिए अतिरिक्त इंसेंटिव.
स्विचिंग नियम : कॉमन स्कीम्स में बदलाव की अनुमति. लेकिन MSF स्कीम्स के बीच स्विचिंग केवल 15 साल या रिटायरमेंट/निकास तक प्रतिबंधित.
अनिवार्य खुलासा नियम : हर स्कीम में रिस्कोमीटर और एक स्टैंडर्ड डॉक्यूमेंट होना चाहिए जो स्कीम के मुख्य बिंदुओं को समझाए.