/financial-express-hindi/media/media_files/2025/06/10/YyQAU65mcN5C2slUS9th.jpg)
NPS : एनपीएस में टियर 1 और टियर 2 अकाउंट के अलावा टियर 2 टैक्स सेवर अकाउंट भी होता है. (AI Generated Image)
NPS Tier 1 vs NPS Tier 2 Tax Saver Scheme : Rules and Differences :नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम का इंतजाम करने वाली भरोसेमंद स्कीम माना जाता है. NPS में दो तरह के अकाउंट खोले जा सकते हैं – टियर 1 और टियर 2. इनके अलावा टियर 2 अकाउंट का एक खास टैक्स सेवर वर्जन भी है. तीनों का मकसद एक ही है - रिटायरमेंट के बाद आपकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी का इंतजाम करना. लेकिन उनके नियमों और टैक्सेशन से जुड़े फायदे अलग-अलग हैं. आइए समझते हैं कि एनपीएस के टियर 1 और टियर 2 अकाउंट्स में क्या फर्क है और किसमें निवेश आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है.
NPS क्यों खास है?
NPS एक रिटायरमेंट स्कीम है जिसे सरकार ने लोगों को स्टेबल इनकम देने के लिए शुरू किया है. इसमें आपका पैसा अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया जाता है – जैसे इक्विटी, सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड और दूसरे एसेट्स. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे प्रोफेशनल फंड मैनेजर संभालते हैं, जिससे आपके निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
साथ ही इसमें निवेश करके आप टैक्स की बचत भी कर सकते हैं, जो इसे और आकर्षक बनाता है. एनपीएस का फायदा लेने के लिए सबसे पहले टियर 1 अकाउंट खोलना जरूरी है. उसके बाद आप चाहें तो टियर 2 अकाउंट भी खोल सकते हैं. दोनों खातों की मैच्योरिटी और टैक्स से जुड़े नियमों में कई अहम अंतर हैं.
Also read : NPS के इक्विटी फंड्स का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड, 5 साल में 18 से 21% तक रहा एनुअल रिटर्न
टियर 1 अकाउंट के फायदे और टैक्स छूट
NPS का टियर 1 अकाउंट मुख्य तौर पर रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए ही बनाया गया है. इसमें निवेश पर कई तरह की टैक्स छूट मिलती है.
इनकम टैक्स के सेक्शन 80C और 80CCE के तहत टियर 1 में किए गए सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है.
सेक्शन 80CCD (1B) के तहत 1.5 लाख रुपये के अलावा 50,000 रुपये के अतिरिक्त निवेश पर भी टैक्स छूट भी मिलती है. यानी कुल मिलाकर आप एनपीएस के टियर 1 खाते में एक साल में 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं.
ऊपर बताए दोनों प्रावधानों के अलावा अगर आपके एम्प्लॉयर (या सरकार) आपके NPS अकाउंट में कंट्रीब्यूशन करते हैं, तो आपको उस पर भी अतिरिक्त छूट मिलती है. प्राइवेट सेक्टर में यह छूट बेसिक सैलरी के 10% तक के कंट्रीब्यूशन पर और सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारियों के लिए 14% तक के कंट्रीब्यूशन पर मिलती है.
टियर 2 अकाउंट की टैक्स सेवर स्कीम
NPS का टियर 2 अकाउंट उन लोगों के लिए है जो निवेश में ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं. इसमें आप जब चाहें पैसा डाल सकते हैं और जब चाहें निकाल सकते हैं. इसमें किए गए निवेश पर आम लोगों को कोई टैक्स छूट नहीं मिलती.
लेकिन इसका एक अपवाद है. सेंट्रल गवर्नमेंट के कर्मचारियों के लिए सरकार ने एनपीएस में ही टियर 2 टैक्स सेवर स्कीम (NPS-TTS) भी शुरू की है. इसमें भी सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिल सकती है, लेकिन इसके लिए 3 साल का लॉक-इन पीरियड जरूरी है.
पैसे निकालने के नियम
टियर 1 और टियर 2 अकाउंट के बीच एक बड़ा अंतर उनके पैसे निकालने यानी विदड्रॉल से जुड़े नियमों में है.
टियर 1 अकाउंट में निवेश किया गया पैसा आप 60 साल की उम्र के बाद ही निकाल सकते हैं. यानी यह पूरी तरह रिटायरमेंट फंडिंग के लिए है.
टियर 2 अकाउंट में किए गए निवेश को निकालने पर कोई रोक-टोक नहीं है. आप कभी भी पैसा निकाल सकते हैं. यही वजह है कि इसे सेविंग्स अकाउंट की तरह भी देखा जाता है. हालांकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू टियर 2 टैक्स सेवर स्कीम में 3 साल का लॉक-इन होता है.
एक बात और, टियर 2 में जमा फंड्स को आप टियर 1 में ट्रांसफर भी कर सकते हैं. लेकिन टियर 1 से टियर 2 में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.
कौन सा अकाउंट आपके लिए सही है?
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है अगर आपको एनपीएस का फायदा लेना है, तो सबसे पहले टियर 1 अकाउंट तो खोलना ही पड़ेगा. उसके बाद आप अपनी निवेश रणनीति के हिसाब से चाहें तो टियर 2 अकाउंट भी खोल सकते हैं.
अगर आपका मकसद टैक्स की बचत और लंबी अवधि के लिए सुरक्षित रिटायरमेंट कॉर्पस बनाना है, तो टियर 1 अकाउंट आपके लिए काफी है. अगर आप टियर 1 खाते में निवेश करने के बाद इस स्कीम में और पैसे लगाना चाहते हैं, लेकिन साथ ही पैसे निकालने के मामले में फ्लेक्सिबिलिटी, यानी कभी भी पैसे निकालने की सुविधा चाहते हैं, तो टियर 2 में निवेश अच्छा ऑप्शन हो सकता है. ऐसी हालत में टियर 2 अकाउंट आपके लिए एक्स्ट्रा सेविंग्स और इनवेस्टमेंट का जरिया बन सकता है. लेकिन निवेश से जुड़े फैसले करते समय ये जरूर याद रखें कि एनपीएस के रिटर्न बाजार पर आधारित होते हैं, जिसमें रिटर्न की गारंटी नहीं होती.