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NPS vs PPF: रिटायरमेंट के लिए इनवेस्ट करना हो तो PPF और NPS में क्या बेहतर है? इस सवाल का सही जवाब जानने के लिए दोनों स्कीमों की विशेषताओं की तुलना करना जरूरी है. (Image : Pixabay)
NPS vs PPF: Which Option is Better for Retirement Planning: रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय सबसे बड़ा सवाल क्या होता है? यही न कि सैलरी मिलना बंद होने के बाद तमाम आर्थिक जरूरतें कैसे पूरी होंगी? क्या मौजूदा बचत और निवेश तमाम खर्चों को पूरा करने के लिए काफी होंगे? इस सवाल का जवाब भरोसा बढ़ाने वाला हो, डराने वाला नहीं, इसके लिए सही प्लान में सही समय पर निवेश करना जरूरी है. लेकिन निवेश का ये सही प्लान क्या है? वैसे तो मार्केट में निवेश के लिए बहुत सारे रिटायरमेंट प्लान्स और पेंशन स्कीम्स मौजूद हैं. फिर भी, सरकार का समर्थन हासिल होने की वजह से पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) काफी लोकप्रिय हैं. लेकिन कई बार ये कनफ्यूजन रहता है कि इन दोनों स्कीम में क्या बेहतर है? इस सवाल का सही जवाब जानने के लिए एनपीएस और पीपीएफ की तुलना करना जरूरी है, जो हम आगे करेंगे. लेकिन पहले जानते हैं दोनों स्कीम की खास बातें.
नेशनल पेंशन सिस्टम क्या है?
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) एक सरकार प्रायोजित पेंशन स्कीम है, जो बाजार में निवेश के जरिए बेहतर रिटर्न देने के मकसद से लाई गई है. इस स्कीम के जरिए निवेशक सरकार द्वारा रेगुलेटेड सिस्टम के भीतर लंबी अवधि में अपने निवेश पर ऊंचा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. इस योजना में निवेश करके कोई भी व्यक्ति रिटायरमेंट कॉर्पस बना सकता है और आयकर पर बचत करते हुए रिटायरमेंट के बाद नियमित पेंशन प्राप्त कर सकता है.
एनपीएस को ऑर्गनाइज्ड और अन-ऑर्गनाइज्ड, दोनों क्षेत्रों में काम करने वालों को समान रूप से पेंशन की सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. एनपीएस का उद्देश्य न केवल रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल सिक्योरिटी मुहैया कराना है बल्कि इसके जरिए आप अपने इनवेस्टमेंट पर अच्छी ग्रोथ भी हासिल कर सकते हैं. हालांकि इस स्कीम में किए गए निवेश को निकालने की इजाजत रिटायरमेंट के बाद ही मिलती है. इसमें जमा फंड को वक्त से पहले निकालने की छूट केवल कुछ खास हालात में 10 साल के बाद ही मिलती है.
एनपीएस में निवेश पर टैक्स छूट
एनपीएस में निवेश करने पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. इस स्कीम में न सिर्फ एक वित्त वर्ष के दौरान 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर आयकर कानून के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में छूट मिलती है, बल्कि सेक्शन 80CCD(1B) के तहत 1.5 लाख रुपये से ऊपर सालाना 50,000 रुपये तक के निवेश पर भी टैक्स बेनिफिट मिलता है. यानी NPS में निवेश पर एक साल में कुल 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है, जो किसी भी और निवेश में उपलब्ध नहीं है. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) 18 से 70 साल की उम्र के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड क्या है?
1965 में पेश की गई, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या पीपीएफ सरकार द्वारा स्पॉन्सर्ड स्कीम है, जिसमें जमा रकम पर कंपांउंड इंटरेस्ट के जरिए गारंटीड रिटर्न मिलता है. इस स्कीम में 15 साल का लॉक-इन पीरियड है. यह स्कीम लंबी अवधि के निवेश के जरिए रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने में आपकी मदद कर सकती है. इस स्कीम की मौजूदा सालाना ब्याज दर (PPF Interest Rate) 7.1 फीसदी है. इस स्कीम को रिस्क-फ्री इनवेस्टमेंट ऑप्शन की तलाश करने वालों के लिए आदर्श विकल्प माना जाता है. पीपीएफ अकाउंट में एक वित्त वर्ष के दौरान 1.5 लाख रुपये तक की जमा रकम पर आयकर कानून के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स में छूट मिलती है. खाते में हर साल कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश करना जरूरी है. एक साल में कुल 12 बार तक डिपॉजिट करने की इजाजत है. पीपीएफ अकाउंट 15 साल में मेच्योर होता है, लेकिन लगातार 5 साल तक डिपॉजिट करने के बाद हायर एजुकेशन या मेडिकल इमरजेंसी जैसे खास कामों के लिए निकासी की इजाजत मिल सकती है.
NPS vs PPF : रिटायरमेंट के लिए क्या है सही प्लान?
NPS और PPF में कौन सी स्कीम निवेश के लिए बेहतर है, यह समझने के लिए दोनों स्कीमों की विशेषताओं और नियमों की तुलना करनी जरूरी है. पीपीएफ एक फिक्स्ड और गारंटीड रिटर्न देने वाली स्कीम है, लेकिन इस पर मिलने वाली ब्याज दर सबसे बेहतर नहीं है. फिर भी लंबी अवधि तक लगातार निवेश करने पर यह स्कीम एक बड़ा कॉर्पस बनाने में आपकी मदद कर सकती है. पूरी तरह सुरक्षित निवेश और रिटर्न की गारंटी इस स्कीम की सबसे बड़ी खूबी है. इसके अलावा साल में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर मिलने वाली टैक्स छूट भी इस स्कीम का बड़ा आकर्षण है.
दूसरी तरफ एनपीएस में निवेश करने पर बाजार आधारित बेहतर रिटर्न का लाभ मिलता है, वो भी साल में 2 लाख रुपये तक के निवेश पर मिलने वाली टैक्स छूट के साथ. बाजार में निवेश करने वाली बाकी स्कीमों के मुकाबले एनपीएस का एक्सपेंस रेशियो काफी कम है, जिससे नेट रिटर्न बेहतर रहने की उम्मीद रहती है. हालांकि बाजार में निवेश करने की वजह से इसमें थोड़ा मार्केट रिस्क भी रहता है. एनपीएस के नियमों (NPS Rules) के तहत मेच्योरिटी अमाउंट का कम से कम 40 फीसदी हिस्सा पेंशन के मकसद से एन्युइटी में निवेश करना जरूरी है. इससे निवेश के सामने ऑप्शन कुछ सीमित हो जाते हैं, लेकिन साथ ही नियमित आय का इंतजाम भी हो जाता है.
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अपनी खास जरूरतों के हिसाब से चुनें सही स्कीम
दोनों की स्कीम में कई ऐसी खूबियां हैं जो आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग को मजबूत बना सकती हैं. लेकिन आपके लिए दोनों में से कौन सी स्कीम ज्यादा सटीक है, यह फैसला आपको अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, जरूरतों और रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर करना पड़ेगा. अगर आप अपने निवेश पर जरा भी रिस्क नहीं लेना चाहते और गारंटीड रिटर्न वाली स्कीम पसंद है, तो पीपीएफ आपके लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है. लेकिन अगर आप बेहतर रिटर्न के लिए थोड़ा बहुत जोखिम उठाने को तैयार हैं, तो एनपीएस एक बेहतर विकल्प है. कुलमिलाकर पीपीएफ और एनपीएस दोनों के अपने-अपने प्लस और माइनस पॉइंट हैं. उन पर गौर करने के बाद आप अपनी खास जरूरतों और इनवेस्टमेंट गोल के हिसाब से सही स्कीम का चुनाव कर सकते हैं.