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Invest in Equity Funds or Prepay Home Loan: होम लोन प्री-पेमेंट करें या इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश? यह फैसला करने से पहले दोनों के पॉजिटिव और नेगेटिव पहलुओं पर गौर करना जरूरी है. (Image : Pixabay)
How to use your Bonus: Invest in Equity Mutual Funds or Prepay Home Loan: अप्रैल का महीना बहुत से कर्मचारियों के लिए बीते वित्त वर्ष का सालाना बोनस मिलने का समय होता है. अगर अप्रेजल अच्छा हुआ तो बढ़िया बोनस और सैलरी हाइक की उम्मीद रहती है. लेकिन हाथ में ज्यादा पैसे आने पर खुशी के साथ-साथ कई बार ये कनफ्यूजन भी रहता है कि इन पैसों का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए? अपने होम लोन को जल्दी चुकाना सही होगा या फिर इन पैसों को इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए? अगर आपको भी बोनस, वेतन बढ़ने या किसी भी और वजह से एक्स्ट्रा इनकम हुई हैं, तो यह उलझन आपके मन में भी हो सकती है.
दोनों विकल्पों के नफा-नुकसान पर करें गौर
अपने होम लोन का प्री-पेमेंट करने और म्यूचुअल फंड निवेश में किसी एक विकल्प को चुनने का फैसला करने से पहले दोनों ऑप्शन्स पॉजिटिव और नेगेटिव पहलुओं पर गौर करना जरूरी है. इसके लिए आपको न होम लोन की ब्याज दर और म्यूचुअल फंड के संभावित सालाना रिटर्न की तुलना करने के साथ ही दोनों परिस्थितियों में अपनी टैक्स देनदारी का अंतर भी देखना होगा. इसके अलावा अपने फाइनेंशियल गोल, जोखिम उठाने की क्षमता और लिक्विडिटी की स्थिति पर भी विचार करना होगा. तभी आप इस बारे में सही फैसला कर पाएंगे. यहां इन सभी पहलुओं पर बारी-बारी से विचार करेंगे.
होम लोन की ब्याज दर vs म्यूचुअल फंड का रिटर्न
अतिरिक्त फंड या सैलरी का इस्तेमाल कहां यह फैसला करने से पहले आपको यह देखना होगा कि आपके होम लोन की ब्याज दर कितनी है और म्यूचुअल फंड में निवेश से आप कितने औसत रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. अगर आपके होम लोन की ब्याज दर 8.50 फीसदी से 9.50 फीसदी के बीच है और इक्विटी म्यूचुअल फंड से आप सालाना 12 फीसदी औसत रिटर्न हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं, तो जाहिर है कि आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करना बेहतर लगेगा. क्योंकि इक्विटी फंड में निवेश पर आपको जितना औसत रिटर्न मिलेगा, वह होम लोन के ब्याज से 2.5 फीसदी अधिक है. आमतौर पर आप यही पाएंगे कि इक्विटी फंड का लॉन्ग टर्म रिटर्न होम लोन के इंटरेस्ट रेट से ज्यादा ही होता है. साथ ही एसआईपी के जरिए इक्विटी फंड में निवेश करने पर कंपाउंडिंग और एवरेजिंग का लाभ भी मिलता है. यानी सिर्फ रिटर्न और ग्रोथ के नजरिये से देखें, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश बेहतर विकल्प नजर आएगा. लेकिन अंतिम फैसला सिर्फ इसी आधार पर नहीं किया जा सकता. इसके लिए कुछ और अहम बातों पर विचार करना भी जरूरी है.
टैक्स देनदारी पर असर
आपको यह भी देखना होगा कि दोनों विकल्पों का आपकी टैक्स देनदारी पर क्या असर पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि होम लोन का ब्याज चुकाने पर आपको सेक्शन 24B के तहत साल में 2 लाख रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन मिलता है. इसके अलावा प्रिंसिपल अमाउंट के री-पेमेंट पर सेक्शन 80C के तहत भी टैक्स छूट मिलती है. वैसे, सेक्शन 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ तो आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में किए गए इनवेस्टमेंट पर भी ले सकते हैं. लेकिन सेक्शन 24बी के तहत 2 लाख रुपये तक के डिडक्शन का लाभ सिर्फ होम लोन के ब्याज पर ही मिलता है. यानी अगर आप अपना होम लोन जल्दी चुका देते हैं, तो उसके बाद आपको यह लाभ नहीं मिल पाएगा, जिससे आपकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है. हालांकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में 3 साल के लिए निवेश करने पर सालाना एक लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता और उससे ज्यादा मुनाफे पर महज 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना होता है, जो टैक्स सेविंग के लिहाज से काफी अच्छा ऑप्शन है.
लिक्विडिटी पर असर
होम लोन जल्दी चुकाने का फैसला करने से पहले आपको यह भी देखना होगा कि आपकी लिक्विडिटी की स्थिति कैसी है. यानी आपको उस अतिरिक्त फंड या कमाई की कितनी जरूरत है या निकट भविष्य में पड़ सकती है. अगर आपने बोनस में मिले फंड को होम लोन चुकाने में खर्च कर दिया तो फिर उसे वापस नहीं ले सकते, जबकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में किया गया निवेश, जरूरत पड़ने पर वापस निकाला जा सकता है.
जोखिम उठाने की क्षमता
होम लोन जल्दी चुकाने के मामले में आपके निवेश पर कोई जोखिम नहीं रहता है. वो रकम आपके होम लोन से सीधे ही घट जाती है. साथ ही अगर आप अपने होम लोन पर 8.50 फीसदी सालाना ब्याज दे रहे हैं, तो आप उसे जल्दी चुकाने के लिए जो भी रकम अदा करते हैं, उस पर भी 8.50 फीसदी रिटर्न पक्का माना जा सकता है. वहीं, इक्विटी म्यूचुअल फंड पर आप 12 फीसदी संभावित रिटर्न की उम्मीद तो कर सकते हैं, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं होती. इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले अपना रिस्क प्रोफाइल यानी जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है.
निवेश का लक्ष्य
आपके लिए होम लोन का प्री-पेमेंट करना बेहतर होगा या म्यूचुअल फंड में निवेश करना, यह आपके इनवेस्टमेंट गोल यानी निवेश के लक्ष्य पर भी निर्भर है. अगर आप लंबी अवधि में नियमित निवेश के जरिए अपना रिटायरमेंट कॉर्पस तैयार करना चाहते हैं या अपने बच्चों के एजुकेशन के लिए फंड जुटाना है, तो म्यूचुअल फंड इनवेस्टमेंट आपके लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है. लेकिन अगर आपके रिटायरमेंट में ज्यादा वक्त नहीं बचा है या आप बेहतर रिटर्न के लिए लंबे समय तक नियमित निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं, तो होम लोन को जल्दी चुकाना आपके लिए बेहतर रहेगा.