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Gold Price Rise: सोने में तेजी के पीछे केंद्रीय बैंकों की मांग, जियो-पोलिटिकल टेंशन, बढ़ती महंगाई दर और निवेशकों की सेफ हेवन डिमांड मुख्य कारण माने जा रहे हैं. (Image : Pixabay)
Why Gold Price has surged to record highs : पिछले कुछ अरसे के दौरान सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. फरवरी 2025 के दौरान सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों ने बार-बार नई ऊंचाइयों को पार किया और प्रति औंस कीमत 2,900 अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई. साल की शुरुआत से अब तक इसमें 12% की तेजी दर्ज की गई है. इससे पहले 2024 में भी सोने की कीमतों में 27% की तेजी आई, जो पिछले 14 साल में सबसे अधिक है. इस उछाल के पीछे कई आर्थिक और जियो-पोलिटिकल कारण बताए जा रहे हैं. सोने की तेजी का फायदा गोल्ड ईटीएफ को भी मिला है.
क्या है विशेषज्ञ की राय?
यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रॉली (University of Western Australia Crawley) के फाइनेंस प्रोफेसर डिर्क बाउर के हाल में जारी एक विश्लेषण के मुताबिक "सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण केंद्रीय बैंकों की बढ़ती मांग, बढ़ती महंगाई दर और निवेशकों का सेफ हेवन एसेट्स की ओर झुकाव है." प्रोफेसर बाउर का कहना है कि "2022 से कई केंद्रीय बैंक डॉलर पर निर्भरता कम करके सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं, जिससे इसकी कीमतें तेजी से ऊपर जा रही हैं." रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों ने कई देशों के लिए फॉरेक्स रिजर्व का रिस्क उजागर कर दिया, जिसके चलते सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने सोने की ओर रुख किया. 2022 में केंद्रीय बैंकों ने रिकॉर्ड 1,082 टन सोना खरीदा, जो 2023 में 1,051 टन और 2024 में 1,041 टन रहा. इस बढ़ती मांग ने सोने की कीमतों को मजबूती दी है.
केंद्रीय बैंकों की डिमांड का असर
सोने की सप्लाई मुख्य रूप से माइनिंग और री-साइकलिंग से होती है, जो तुलनात्मक रूप से स्थिर रहती है, लेकिन मांग अलग-अलग कारणों से बदलती है. ज्वैलरी, इंडस्ट्रियल यूज, निवेश और सेंट्रल बैंक्स की खरीद इसकी मांग के प्रमुख स्रोत हैं. 2024 में सोने की कुल डिमांड का करीब 50% हिस्सा ज्वैलरी, 5% टेक्निकल या इंडस्ट्रियल यूज़, 25% हिस्सा इनवेस्टमेंट और 20% हिस्सा सेंट्रल बैंकों की खरीद से आया.
महंगाई से बचाव में भी काम आता है सोना
सोने को सदियों से महंगाई से बचाव का प्रमुख जरिया माना जाता है. प्रोफेसर बाउर कहते हैं, "सोना हमेशा से निवेशकों के लिए एक सेफ हेवन एसेट रहा है, विशेष रूप से आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के समय." महंगाई बढ़ने के साथ निवेशक अपने पोर्टफोलियो में सोने को जोड़ रहे हैं ताकि वे अपने निवेश की वैल्यू को महंगाई के मुकाबले बनाए रख सकें. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि मौजूदा कीमतों पर एक औंस सोना 20 साल पहले की तुलना में बराबर या उससे ज्यादा चीजें खरीद सकता है. यह खूबी ही सोने को महंगाई दर से बचाव का तरीका बना देती है.
इसके अलावा, सोना संकट के समय में सुरक्षा देने वाला भी माना जाता है. इसीलिए निवेशक किसी झटके या संकट के समय सुरक्षा की तलाश करते हैं, तो उनका सोने की तरफ रुझान बढ़ जाता है. उदाहरण के तौर पर 2001 में 9/11 के आतंकवादी हमलों, 2008 में ग्लोबल आर्थिक संकट और 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर सोना खरीदा गया.
अमेरिकी डॉलर पर असर
केंद्रीय बैंकों की ओर से सोने की बढ़ती खरीदारी से अमेरिकी डॉलर कमजोर हो सकता है, जिससे सोने की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं. प्रोफेसर बाउर ने बताया कि "अगर डॉलर कमजोर होता है, तो सोना खरीदने के लिए अधिक डॉलर की जरूरत होगी, जिससे इसकी कीमतों में और उछाल आ सकता है."
क्या सोने की कीमतें $3,000 तक जा सकती हैं?
हाल के सोने की कीमतों में तेजी को किसी एक झटके से जोड़ना कठिन है. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नए टैरिफ लगाए जाने से मची खलबली से भी सोने की मांग में तेजी हुई है. हाल की आर्थिक उथल-पुथल और निवेशकों के रुझान को देखते हुए विशेषज्ञों का अनुमान है कि जल्द ही सोने की कीमतें $3,000 प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं. फरवरी में यूएस कंज्यूमर्स के भरोसे में तेज गिरावट और बढ़ती महंगाई दर की चिंताओं ने भी सोने की कीमतों को समर्थन दिया है. सोने की कीमतों में हालिया तेजी के पीछे केंद्रीय बैंकों की मांग, जियो-पोलिटिकल टेंशन, बढ़ती महंगाई दर और निवेशकों की सेफ हेवन एसेट्स में दिलचस्पी मुख्य कारण हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मौजूदा आर्थिक अनिश्चितता बनी रहती है, तो आने वाले महीनों में सोना नई ऊंचाइयों को छू सकता है.