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NFO: पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट फंड सब्सक्रिप्शन के लिए 26 मार्च, 2024 को खुल रहा है और इसे 9 अप्रैल, 2024 तक सब्सक्राइब किया जा सकता है. (Pixabay)
PGIM India NFO: देश में बढ़ रही औसत उम्र, हेल्थकेयर की बढ़ रही लागत और महंगाई जैसे फैक्टर को देख्रते हुए अब कम उम्र से ही रिटायरमेंट प्लानिंग और उसके लिए बचत जरूरी है. इसलिए फाइनेंशियल एडवाइजर द्वारा यह सलाह दी जाती है कि जितनी जल्दी हो सके अपने रिटायरमेंट के लक्ष्य के लिए बचत और निवेश को प्राथमिकता दें. अगर आप भी रिटायरमेंट के लिए किसी बेहतर स्कीम की तलाश में हैं तो आपके पास एक नए विकल्प में निवेश का मौका है. पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड ने अपने ओपन-एंडेड फंड, पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट फंड (PGIM India Retirement Fund) के लॉन्च की घोषणा की है. इस फंड में 5 साल या 60 साल की रिटायरमेंट की उम्र (जो भी पहले हो) तक लॉक-इन है.
पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट फंड सब्सक्रिप्शन के लिए 26 मार्च, 2024 को खुल रहा है और इसे 9 अप्रैल, 2024 तक सब्सक्राइब किया जा सकता है. यह एक ओपन एंडेड रिटायरमेंट सॉल्यूशन ओरिएंटेड स्कीम है, जिसमें 5 साल या रिटायरमेंट की आयु तक (जो भी पहले हो) लॉक-इन है. पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट फंड को एसएंडपी बीएसई 500 टीआरआई के मुकाबले बेंचमार्क किया जाएगा. पोर्टफोलियो में बाजार के लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉल कैप तीनों सेगमेंट के लिए कम से कम 25 फीसदी आवंटन होने की उम्मीद है.
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क्या है इस फंड का लक्ष्य
फंड (Retirement Mutual Fund) का लक्ष्य इक्विटी, इक्विटी संबंधित विकल्पों, आरईआईटी (REITs) और इनविट (InvITs) और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज के मिक्स में निवेश करके निवेशकों को बेहतर रिटर्न देते हुए उनके रिटायरमेंट लक्ष्य को पूरा करना है और उसी के अनुरूप इनकम प्रदान करना है. एकुमुलेशन के फेज के दौरान म्यूचुअल फंड की रिटायरमेंट कैटेगरी के माध्यम से इक्विटी में निवेश करने के दो बेनेफिट हैं. पहला लंबी अवधि में इक्विटी में किया गया निवेश महंगाई को मात दे सकता है. दूसरा 'रिटायरमेंट' नाम से फंड का उपयोग करने से आपको अपने खास लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता को बनाए रखने में मदद मिलती है, जिसे विशेषज्ञ 'मेंटल अकाउंटिंग' कहते हैं.
छुपे हुए जोखिम को पहचानें
पीजीआईएम इंडिया एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ, अजीत मेनन ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद लंबे समय तक जीवित रहना एक ऐसा छुपा हुआ जोखिम है, जिस पर ज्यादा ध्यान नहीं रहता, लेकिन हर किसी को इसका समाधान खोजने के लिए जूझना पड़ता है. हमारे जीवन के अधिकांश लक्ष्य जैसे घर बनाना, बच्चों की शिक्षा, पसंद की कार खरीदना ये सब लोन लेकर पूरे किए जा सकते हैं, लेकिन जब रिटायरमेंट की बात आती है तो हम इसे लोन से पूरा नहीं कर सकते हैं. इसलिए लोगों के लिए अपने रिटायरमेंट फंड के निर्माण को प्राथमिकता देना जरूरी है. लक्ष्य को तय करने के बाद अपने निवेश की योजना बनाने में मदद के लिए एक विश्वसनीय वित्तीय सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए. रिटायरमेंट के लिए डेडिकेटेट म्यूचुअल फंड में निवेश करने से आपको अपने लक्ष्य के प्रति लंबे समय तक बने रहने और लंबी अवधि में कंपाउंडिंग का लाभ उठाने में मदद मिलती है.
मजबूत ग्रोथ वाली कंपनियों में निवेश
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीआईओ विनय पहाड़िया का कहना है कि अलग अलग ग्लोबल एजेंसियों के अनुमान के अनुसार, भारत अगले कुछ साल में सबसे तेजी से बढ़ती जी20 अर्थव्यवस्था में से एक बनने की ओर अग्रसर है. लंबी अवधि में, कॉर्पोरेट आय किसी देश की नॉमिनल जीडीपी में ग्रोथ को ट्रैक करती है और स्टॉक की कीमतें अर्निंग में ग्रोथ को ट्रैक करती हैं. हाई ग्रोथ और बेहत क्वालिटी वाली लार्ज और मिड कैप कंपनियों में निवेश करने का निरंतर अवसर है जो भारत की ग्रोथ स्टोरी का लाभ उठा सकते हैं. ऐसी कंपनियां लंबे समय तक कैपिटल-एफिशिएंट तरीके से तेज ग्रोथ से कंपाउंड कैपिटल जारी रख सकती हैं. इस तरह से हाई ग्रोथ और अच्छे क्वालिटी वाले शेयरों का एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो एक मजबूत रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद कर सकता है.
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एसेट अलोकेशन पैटर्न
इस फंड के पास सभी सेक्टर में एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होगा. फंड में बाजार के लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉल कैप सेगमेंट के लिए कम से कम 25 फीसदी आवंटन होगा. इस फंड द्वारा दीर्घकालिक विकास क्षमता और टिकाऊ बिजनेस मॉडल वाली कंपनियों को निवेश में प्राथमिकता दी जाती है. पोर्टफोलियो का निर्माण टॉप-डाउन और बॉटम-अप पोर्टफोलियो निर्माण प्रक्रिया के संयोजन का उपयोग करके किया जाएगा, जिसमें प्रबंधन की गुणवत्ता और प्रचलित मूल्यांकन सहित हर स्टॉक के फंडामेंटल पर फोकस किया जाएगा.
फंड मुख्य रूप से अच्छे प्रबंधन और अच्छी ग्रोथ की संभावनाओं वाली कंपनियों की पहचान करने के लिए बॉटम-अप अप्रोच और मैक्रो व थिमैटिक विश्लेषण के लिए टॉप-डाउन अप्रोच का उपयोग करेगा. फंड मैनेजर वैल्युएशन को ध्यान में रखते हुए स्थिर या हाई ग्रोथ वाली कंपनियों का चयन करेंगे. फंड प्रबंधक कंपनी के बिजनेस की ग्रोथ संभावनाओं, पहले की और वर्तमान में वित्तीय स्थिति, कैपिटल अलोकेशन एफिशिएंसी, ऑपरेटिंग कैश फ्लो (परिचालन नकदी प्रवाह), लीवरेज पोजीशन, वैल्युएशन, प्रतिस्पर्धी बढ़त, ब्रांड इक्विटी, प्रबंधन की ताकत और अच्छे कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिस जैसे कई क्वांटिटेटिव और क्वालिटेटिव फैक्टर पर विचार करेंगे. यह योजना फंड मैनेजर की समझदारी व विवेक के आधार पर टर्न-अराउंड कंपनियों में भी निवेश कर सकती है.
फंड के बारे में जरूरी बातें
· एग्जिट लोड: शून्य
· लॉक इन: 5 साल या रिटायरमेंट की आयु (60 साल) तक, जो भी पहले हो. (लॉक इन अवधि तब भी लागू होती है जब निवेशक 5 साल की अनिवार्य लॉक इन अवधि या रिटायरमेंट की आयु, जो भी पहले हो, से पहले पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट फंड से फंड हाउस के भीतर किसी अन्य योजना में चला जाता है. योजना से ट्रांसफर-आउट का अनुमति यूनिट के आवंटन की तारीख से 5 साल की लॉक-इन अवधि या 60 साल की रिटायरमेंट की उम्र प्राप्त करने, जो भी पहले हो दी जाएगी और यह अगर कोई एग्जिट लोड है तो उसके अधीन होगी.)
· प्रारंभिक खरीद/स्विच-इन: न्यूनतम 5,000 रुपये/- और उसके बाद 1 रुपये/- के मल्टीपल में.
· अतिरिक्त खरीद: न्यूनतम 1,000 रुपये/- और उसके बाद 1 रुपये/- के मल्टीपल में.
· एसआईपी के लिए: कम से कम 5 इंस्टॉलमेंट और प्रति किस्त कम से कम 1,000 रुपये/- का निवेश जरूरी होगा और उसके बाद 1 रुपये/- के मल्टीपल में कितना भी निवेश किया जा सकता है.
फंड के इक्विटी हिस्से का प्रबंधन विनय पहाड़िया द्वारा किया जाएगा, जबकि डेट, आरईआईटी और इनवीआईटी हिस्से का प्रबंधन पुनीत पाल द्वारा किया जाएगा. आवंटन की तारीख से 5 व्यावसायिक दिनों के भीतर यह फंड निरंतर बिक्री और पुनर्खरीद के लिए फिर से खुलेगा.
(नोट- म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिम के आधीन है. इसलिए निवेश के पहले फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह जरूर लें.)