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Post Office Saving Schemes : पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाएं निवेशकों को सुरक्षा के साथ बेहतर रिटर्न देती हैं. (File Photo : PTI)
Post Office Small Saving Schemes : अपनी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहे और साथ ही उस पर अच्छा रिटर्न भी मिले, तो भला किसी निवेशक के लिए इससे बेहतर क्या हो सकता है. पोस्ट ऑफिस की स्मॉल सेविंग स्कीम्स निवेशकों को ऐसा ही मौका देती हैं. इन योजनाओं पर सरकार की गारंटी होती है, लिहाजा इन्हें पूरी तरह सुरक्षित कहा जा सकता है. साथ ही इन पर मिलने वाला ब्याज भी अच्छा खासा है. यही वजह है कि यह स्कीम्स लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. आइए पोस्ट ऑफिस की 5 सबसे पॉपुलर स्कीम्स के बारे में जानते हैं, जिन पर अभी सालाना 7.1% से लेकर 8.2% तक का ब्याज मिल रहा है. साथ ही कई स्कीम्स पर टैक्स बेनिफिट भी मिलता है.
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
यह योजना खास तौर पर बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बनाई गई है. 10 साल से कम उम्र की बच्ची के नाम पर खाता खोला जा सकता है. इसमें 8.2% सालाना ब्याज मिल रहा है और अभिभावक हर साल अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा कर सकते हैं. इस योजना में निवेश करने पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. साथ ही ब्याज की रकम और मेच्योरिटी अमाउंट भी पूरी तरह टैक्स फ्री है. दरअसल सुकन्या समृद्धि योजना कुछ गिनी-चुनी ट्रिपल ई (E-E-E) स्कीम्स में शामिल है. इस स्कीम की मौजूदा ब्याज दर बनी रहे और 15 साल तक हर साल 1.5 लाख रुपये जमा किए जाएं, तो मैच्योरिटी के समय करीब 69 लाख रुपये तक का फंड तैयार हो सकता है, जिसमें से लगभग 46 लाख रुपये ब्याज के रूप में होंगे. सरकार ने यह योजना जनवरी 2015 में शुरू की थी और अब तक 4 करोड़ से ज्यादा खाते खोले जा चुके हैं.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) यानी पीपीएफ लंबे समय के लिए सुरक्षित निवेश का सबसे भरोसेमंद विकल्प है. इसमें सरकार मूलधन और ब्याज दोनों की गारंटी देती है. इसमें सालाना 7.1% ब्याज मिल रहा है. लॉक-इन अवधि 15 साल की है और सिर्फ 500 रुपये से खाता खोला जा सकता है. एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है और इस पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ भी मिलता है. मैच्योरिटी की रकम और ब्याज भी पूरी तरह टैक्स-फ्री होते हैं. यानी यह स्कीम भी SSY की तरह ट्रिपल ई बेनिफिट देती है. निवेशक चाहें तो 15 साल के बाद इसे 5-5 साल के लिए आगे बढ़ा सकते हैं. ऐसा करने पर इस स्कीम में निवेश पर मिलने वाला कंपाउंडिंग का फायदा और भी तेजी से बढ़ता है.
पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS)
पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) एक ऐसी स्कीम है, जिसमें निवेश के फौरन बाद हर महीने ब्याज से कमाई का विकल्प मिलता है. इसमें अभी 7.4% की सालाना दर से ब्याज मिल रहा है. निवेश की शुरुआत 1000 रुपये से की जा सकती है.सिंगल अकाउंट में अधिकतम 9 लाख रुपये और जॉइंट अकाउंट में मैक्सिमम 15 लाख रुपये तक जमा किए जा सकते हैं. अगर कोई सिंगल निवेशक 9 लाख रुपये लगाता है, तो उसे हर महीने 5,550 रुपये ब्याज से मिलेंगे. वहीं जॉइंट अकाउंट में 15 लाख निवेश पर हर महीने 9,250 रुपये की इनकम होगी.
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) यानी एनएससी 5 साल की अवधि वाली पोस्ट ऑफिस की गारंटीड रिटर्न देने वाली स्कीम है. अभी इसमें निवेश करने पर सालाना 7.7% की दर से ब्याज मिल रहा है. इसमें ब्याज की रकम हर साल खाते में जुड़ती है और मैच्योरिटी पर एकमुश्त मिलती है. इस योजना में आप अपनी जरूरत के हिसाब से किसी भी रकम का निवेश कर सकते हैं. इसमें भी एक साल में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. हालांकि मेच्योरिटी अमाउंट टैक्स फ्री नहीं है.
सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS)
सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) में 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोग निवेश कर सकते हैं. इसमें फिलहाल 8.2% का सालाना ब्याज दिया जा रहा है, जो कि सबसे ज्यादा है. ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है, लेकिन निवेश पर 80C के तहत छूट मिलती है. इसमें मिनिमम इनवेस्टमेंट 1000 रुपये है, जबकि एक निवेशक के लिए अधिकतम सीमा 30 लाख रुपये है. पति-पत्नी अलग-अलग खाते खोलकर कुल 60 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. स्कीम की अवधि 5 साल है, जिसे बाद में 3-3 साल के लिए चाहे जितनी बार बढ़ाया जा सकता है.
सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए पोस्ट ऑफिस की ये स्कीमें बढ़िया विकल्प साबित हो सकती हैं. चाहे बच्चों की पढ़ाई और शादी के लिए बचत करनी हो, रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम चाहिए या फिर टैक्स सेविंग के साथ लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करना हो, पोस्ट ऑफिस की इन स्कीम्स में हर जरूरत के हिसाब से ऑप्शन मौजूद हैं.
(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का मकसद सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर से सलाह-मशविरा करने के बाद ही करें)