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Long Term SIP: लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखने से बाजार के उतार चढ़ाव का रिस्क कवर होता है. (Pixabay)
Power of Compounding/SIP: कैपिटल मार्केट के जानकार अक्सर लंबी अवधि (Long Term Investment) के निवेश की वकालत करते हैं. उनका कहना है कि अगर इक्विटी में पैसा लगाकर बड़ा फंड बनाने की सोच रहे हैं तो लंबी अवधि का लक्ष्य लेकर ही बाजार में उतरें. लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखने से बाजार के उतार चढ़ाव का रिस्क कवर होता है. ऐसे लक्ष्य पूरे करने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund) बेहतर विकल्प होता है, जिसमें लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखने पर कंपाउंडिंग का भी फायदा मिलता है.
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म्यूचुअल फंड में भी रिटर्न इक्विटी की तरह हाई मिल सकता है, वहीं यह सीधे स्टॉक में पैसा लगाने की तुलना में सुरक्षित भी है. म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे पॉपुलर तरीका सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Sip Investment) है. मान लिया कि आप अपने बच्चे के एडल्ट होने तक 1 करोड़ की रकम जमा करना चाहते हैं जो उसके हायर स्टडी में काम आ सके. आप जानना चाहेंगे कि इसमें एसआईपी कैसे मदद कर सकता है. जानते हैं कि इसे 18x10x15 रूल से कैसे पूरा कर सकते हैं.
क्या है 18x10x15 का नियम?
आप भी अगर लंबी अवधि तक एसआईपी करने को तैयार हैं और 1 करोड़ फंड बनाने का टारगेट है तो म्यूचुअल फंड में 18x10x15 का नियम आपके टारगेट को पूरा करने में मददगार हो सकता है. यहां इस नियम का मतलब है कि 18 साल तक हर महीने 10,000 रुपये ऐसी स्कीम में निवेश किया जाए, जिनमें 15 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज मिल रहा हो तो मैच्योरिटी पर आपका फंड 1 करोड़ रुपये हो जाएगा. जबकि यहां आपका कुल निवेश सिर्फ 21.6 लाख रुपये होगा. यानी आपका अपने निवेश पर करीब 89 लाख रुपये का फायदा हो जाएगा.
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18 साल में ऐसे मिलेगा 1 करोड़
हर महीने एसआईपी: 10,000 रुपये
टेन्योर: 18 साल
अनुमानित रिटर्न: 15 फीसदी सालाना
मैच्योरिटी पर फंड: 1.1 करोड़
कुल निवेश: 21,60,000 रुपये (21.6 लाख)
नेट फायदा: 88,82,553 (88.8 लाख)
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अगर 21 साल इंतजार करें
हर महीने एसआईपी: 10,000 रुपये
कुल टेन्योर: 21 साल
अनुमानित रिटर्न: 15 फीसदी सालाना
मैच्योरिटी पर फंड: 1.8 करोड़
कुल निवेश: 25,20,000 रुपये (21.6 लाख)
नेट फायदा: 1,52,06,727 (1.52 करोड़)
ऐसे होगा कंपाउंडिंग की ताकत से फायदा
18-10-15 फॉर्मूले का प्रमुख उद्देश्य कंपाउंडिंग की ताकत (Power of Compounding) का फायदा उठाना है. यह एक तय अमाउंट से शुरू किए मंथली निवेश को बड़े कॉर्पस में बदलने की क्षमता रखता है. ध्या रहे कि आप जितना लंबे समय तक निवेशित रहते हैं, कंपाउंडिंग का उतना ज्यादा फायदा मिलता है.
कंपाउंडिंग की ताकत का अंदाजा इस उदाहरण से लगा सकते हैं कि मान लीजिए कि आपने म्यूचुअल फंड में निवेश किया है और SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) का विकल्प चुना है. आपका लक्ष्य बच्चे को एडल्ट होने पर हायर एजुकेशन के लिए विदेश भेजना है और इसके लिए आपने अनुमानित 15 फीसदी ब्याज दर पर 10 साल के लिए 10,000 रुपये की मंथली SIP शुरु की है. आपके द्वारा निवेश की गई कुल राशि 10 साल में 12 लाख रुपये होगी. जिसकी वैल्यू 10 साल में करीब 30 लाख रुपये होगी.
वहीं इसे 18 साल रखा तो निवेश की कुल रकम 21.6 लाख होगी, जिसकी 18 साल में वैल्यू 1.1 करोड़ हो जाएगी.
वहीं इसे 21 साल रखने पर कुल 21.6 लाख निवेश होगा, जिसकी वैल्यू 1.8 करोड़ हो जाएगी.
यहीं कंपाउंडिंग की ताकत है.