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मैन्युफैक्चरिंग गुड्स की कीमतों में बढ़ोतरी ने दिसंबर 2024 में थोक महंगाई दर पर असर डाला, जबकि खाने-पीने की चीजों और ईंधन की कीमतों में नरमी से कुछ राहत मिली. ( File Photo : Reuters)
WPI Inflation Data for December 2024 : महंगाई के मोर्चे पर चिंता बढ़ाने वाली खबर आई है. दिसंबर 2024 में देश की थोक महंगाई दर (WPI) बढ़कर 2.37% पर पहुंच गई, जो नवंबर 2024 में 1.89% थी. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग गुड्स की कीमतों में इजाफे के कारण हुई है, हालांकि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कुछ नरमी देखी गई. हालांकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का महंगाई दर का लक्ष्य रिटेल इंफ्लेशन (CPI Inflation) या खुदरा महंगाई दर से जुड़ा हुआ है, लेकिन थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी के कारण आगे चलकर खुदरा कीमतों पर दबाव बढ़ने की आशंका बनी रहती है.
मैन्युफैक्चरिंग गुड्स की कीमतों में तेजी
दिसंबर में मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की महंगाई दर 2.14% रही, जो नवंबर में 2% थी. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का WPI में लगभग 64% योगदान होता है, इसलिए इस सेक्टर में आई महंगाई का समग्र महंगाई दर पर बड़ा असर पड़ा.
खाने-पीने की चीजों की महंगाई में नरमी
खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर दिसंबर में घटकर 8.47% हो गई, जो नवंबर में 8.63% थी. हालांकि, सब्जियों की कीमतों में तेजी जारी रही. आलू की महंगाई दर 93.20% पर बनी रही और प्याज की महंगाई दर बढ़कर 16.81% हो गई. वहीं, अनाज, दालें और गेहूं जैसी आवश्यक वस्तुओं की महंगाई दर में थोड़ी नरमी देखी गई.
फ्यूल और इलेक्ट्रिसिटी की कीमतों में राहत
फ्यूल और इलेक्ट्रिसिटी की कैटेगरी में दिसंबर में 3.79% की गिरावट दर्ज की गई, जो नवंबर में 5.83% थी. इस गिरावट से थोक महंगाई दर पर कुछ हद तक नियंत्रण बना रहा.
खुदरा महंगाई दर में गिरावट से राहत
थोक महंगाई दर भले ही बढ़ी हो, लेकिन राहत की बात यह है कि दिसंबर 2024 में देश की खुदरा महंगाई दर (Retail or CPI Inflation) घटकर 5.22% पर आ गई, जो पिछले चार महीनों का सबसे निचला स्तर है. यह गिरावट रिटेल मार्केट यानी खुदरा बाजार में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी के कारण आई है. यह रेट महंगाई पर आरबीआई के 6 फीसदी के ऊपरी टॉलरेंस लेवल से तो कम है, लेकिन रिटेल इंफ्लेशन को 4 फीसदी तक सीमित रखने के उसके लक्ष्य से यह अब भी अधिक है.
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी पर क्या होगा असर
पिछले महीने खुदरा महंगाई में आई नरमी के चलते, उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर फरवरी में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी की समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ सकता है. हालांकि आरबीआई को महंगाई दर को 4 फीसदी से कम रखने का जो लक्ष्य सरकार ने दिया है, रिटेल इंफ्लेशन अब भी उससे ऊपर है. लेकिन विकास दर को बढ़ाने से जुड़ी चिंताओं के कारण ब्याज दरों में नरमी की संभावना जाहिर की जा रही थी. देश की आर्थिक विकास दर 2024-25 में घटकर 6.4% पर आ गई है, जो पिछले चार साल में सबसे कम है. ऐसे में आने वाले समय में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में क्या बदलाव करता है, यह काफी हद तक देश में महंगाई की स्थिति पर निर्भर रहेगा.