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Inflation : खुदरा महंगाई दर घटकर 2.1% पर आई, 6 साल का सबसे निचला स्तर, अगले महीने फिर घटेगी ब्याज दर?

Retail Inflation on 6 Year Low: जून में खुदरा महंगाई दर घटकर सिर्फ 2.1% रह गई, जो 6 साल का सबसे निचला स्तर है. इससे अगस्त की RBI पॉलिसी में फिर से ब्याज दर घटाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है.

Retail Inflation on 6 Year Low: जून में खुदरा महंगाई दर घटकर सिर्फ 2.1% रह गई, जो 6 साल का सबसे निचला स्तर है. इससे अगस्त की RBI पॉलिसी में फिर से ब्याज दर घटाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है.

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FE Hindi Desk
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Retail Inflation June 2025: जून में खुदरा महंगाई दर घटकर 6 साल के निचले स्तर पर आ गई है. (Image : AI Generated)

Retail Inflation on 6 Year Low: महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों को बड़ी राहत देने वाली खबर है. जून 2025 में खुदरा महंगाई दर यानी सीपीआई आधारित रिटेल इंफ्लेशन की घटकर सिर्फ 2.1% रह गई है. यह बीते 6 साल में रिटेल इंफ्लेशन का सबसे निचला स्तर है. इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण है खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आई गिरावट. बेहतर मानसून की वजह से ये कीमतें और भी काबू में आ गई हैं.

जनवरी 2019 के बाद सबसे निचला स्तर

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के मुताबिक जून 2025 में खुदरा महंगाई दर मई 2025 के मुकाबले 72 बेसिस पॉइंट घटी है. मई में यह दर 2.82% थी, जबकि जून में यह घटकर 2.1% रह गई. इससे पहले इतनी कम महंगाई दर जनवरी 2019 में देखी गई थी, जब यह 1.97% थी. एनएसओ ने साफ किया है कि हेडलाइन और फूड इंफ्लेशन में आई यह बड़ी गिरावट मुख्य रूप से फेवरएबल बेस इफेक्ट और सब्जियों, दालों, मांस, अनाज, दूध और मसालों जैसी चीजों की कीमतों में गिरावट की वजह से संभव हो पाई है.

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फूड इंफ्लेशन में भारी गिरावट

एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर जून 2025 में -1.06% रही. मई के मुकाबले इसमें 205 बेसिस पॉइंट की गिरावट दर्ज की गई. सबसे बड़ी गिरावट सब्जियों में देखी गई, जहां कीमतों में 19% की कमी देखने को मिली. इसके अलावा दालों और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स में 11.76%, मांस और मछली में 1.62% और मसालों की खुदरा कीमतों में 3.03% की गिरावट रही. इसका सीधा फायदा आम लोगों को उनके रोजमर्रा के बजट में राहत के रूप में मिला है.

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फूड इंफ्लेशन में गिरावट से घटी महंगाई

ICRA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा, “जून में रिटेल महंगाई लगातार आठवें महीने कम होकर 2.1% रह गई है, जो हमारे अनुमान से भी कम है. खाने-पीने की चीजों की महंगाई में बड़ी गिरावट इस राहत की सबसे बड़ी वजह है. जून में फूड एंड बेवरेजेज (F&B) सेगमेंट में 0.2% की गिरावट आई है, जो 75 महीनों बाद पहली बार हुआ है.”

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RBI के लिए रेट घटाने का मौका

जून 2025 में खुदरा महंगाई दर के 2.1% तक गिरने से आम आदमी को सीधी राहत मिली है. सब्जियों और अनाज जैसी रोजमर्रा की चीजों के सस्ते होने से बजट पर बोझ घटा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो RBI रेपो रेट में और कटौती कर सकता है, जिसका असर बैंकों के लोन की दरों और ईएमआई पर भी पड़ सकता है. हालांकि सोने और चांदी की बढ़ती कीमतों पर निगरानी जरूरी होगी.

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अगस्त में 25 bps और घटेगी ब्याज दर? 

 अदिति नायर ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अगस्त की RBI मीटिंग में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की और कटौती की जा सकती है.” वहीं, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर परस जसराय ने ध्यान दिलाया कि खाने-पीने की चीजों की महंगाई तो कम हुई है, लेकिन कोर इंफ्लेशन 4.4% तक बढ़ गया है, जो सितंबर 2023 के बाद सबसे ज्यादा है.

उन्होंने कहा, “सोने की कीमतों में 36% की बढ़त रही, जो पिछले 58 महीनों में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा चांदी और दूसरे गहनों की कीमतें भी बढ़ीं, जिससे कोर महंगाई पर दबाव बना.” एलेरा कैपिटल की इकनॉमिस्ट गरिमा कपूर ने कहा, “फूड इंफ्लेशन में गिरावट और हाई बेस की वजह से CPI में बड़ी राहत मिली है. हमें उम्मीद है कि सालभर की CPI दर RBI के 3.7% के अनुमान से कम रहेगी और मॉनसून के बाद एक और रेट कट की संभावना बन सकती है.”

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शहरी इलाकों में महंगाई थोड़ी ज्यादा

हालांकि पूरे देश में महंगाई कम रही, लेकिन शहरी और ग्रामीण इलाकों में इसका असर थोड़ा अलग रहा. ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर सिर्फ 1.72% रही, जबकि शहरी इलाकों में यह 2.56% दर्ज की गई. राज्यों की बात करें तो तेलंगाना में महंगाई दर सबसे कम -0.93% रही, जबकि केरल में यह सबसे ज्यादा 6.71% दर्ज की गई.

थोक महंगाई दर भी निगेटिव रही

खुदरा महंगाई के साथ-साथ थोक महंगाई दर (WPI) भी जून 2025 में गिरावट के साथ -0.13% रही. थोक महंगाई दर में 19 महीने बाद निगेटिव रुझान देखने को मिला है. मई में थोक महंगाई दर 0.39% थी, जबकि पिछले साल जून में यह 3.43% थी. उद्योग मंत्रालय के मुताबिक “जून 2025 में थोक महंगाई दर निगेटिव रहने का मुख्य कारण है फूड आइटम्स, क्रूड ऑयल, बेसिक मेटल्स, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस जैसी चीजों की कीमतों में आई गिरावट है.”

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