scorecardresearch

सिर्फ इक्विटी में पैसे लगाकर कहीं गंवा तो नहीं रहे डेट स्‍कीम के फायदे, निवेश की सही स्‍ट्रैटेजी क्‍या होनी चाहिए?

Asset Under Management : एएमएफआई आंकड़ों के अनुसार, डेट म्यूचुअल फंड में एयूएम का 95 फीसदी से अधिक कॉर्पोरेट संस्थाओं से आता है, जबकि 90 फीसदी से अधिक इक्विटी एयूएम रिटेल और एचएनआई निवेशकों की ओर से आता है.

Asset Under Management : एएमएफआई आंकड़ों के अनुसार, डेट म्यूचुअल फंड में एयूएम का 95 फीसदी से अधिक कॉर्पोरेट संस्थाओं से आता है, जबकि 90 फीसदी से अधिक इक्विटी एयूएम रिटेल और एचएनआई निवेशकों की ओर से आता है.

author-image
Sushil Tripathi
एडिट
New Update
what should right strategy in equity and debt

Debt Schemes : डेट फंड में रिटेल निवेशकों के बीच कम आकर्षण की एक वजह इसे लेकर जानकारी की कमी है. (Reuters)

Equity vs Debt Schemes : म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में अब तक ऐसा ट्रेंड देखने को मिलता आया है कि रिटेल निवेशक प्रमुख रूप से इक्विटी प्रोडक्‍ट (Equity Schemes) में निवेश करते हैं, जबकि कॉर्पोरेट बड़े पैमाने पर डेट (Debt Schemes) या फिक्‍स्‍ड इनकम (Fixed Income) वाले प्रोडक्‍ट में निवेश करते हैं. दिसंबर 2023 के एएमएफआई (AMFI) आंकड़ों के अनुसार, डेट म्यूचुअल फंड में एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) का 95 फीसदी से अधिक कॉर्पोरेट संस्थाओं से आता है, जबकि 90 फीसदी से अधिक इक्विटी एयूएम रिटेल और एचएनआई निवेशकों की ओर से आता है. तो क्‍या आप भी रिटेल निवेशक हैं और सिर्फ इक्विटी स्‍कीम पर फोकस कर रहे हैं. अगर कर रहे हैं तो क्‍या यह स्‍ट्रैटेजी सही है. बजाज फिनसर्व एएमसी के सीईओ गणेश मोहन ने इस बारे में बात चीत के जरिए डिटेल जानकारी दी है.

NPS: 30 की उम्र में ज्‍वॉइन की रिटायरमेंट स्‍कीम, कितने निवेश से बनेगी 1.50 लाख पेंशन

Advertisment

रिटेल निवेशकों की डेट में भागीदारी बहुत कम

सबसे पहले, अगर आप ओवरआल एफडी वॉल्यूम पर विचार करते हैं तो यह म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री (Mutual Funds) से भी आगे निकल जाता है. इसके अलावा, अगर आप ईपीएफओ बैलेंस, पोस्ट ऑफिस की स्‍मॉल फाइनेंस स्‍कीम और इस तरह की अन्य विकल्पों को जोड़ते हैं तो यह साफ है कि रिटेल निवेशक फिक्‍स्‍ड इनकम वाले विकल्पों में निवेश करने पर ज्यादा विचार करते हैं. वहीं, रिटेल निवेशक वास्तव में डेट म्यूचुअल फंड में हिस्‍सा नहीं के बराबर लेते हैं. लिक्विड और ओवरनाइट फंड में रिटेल निवेश 55,000 करोड़ रुपये से भी कम है, जबकि इनकी तुलना में देश में करंट अकाउंट और सेविंग्‍स अकाउंट में 23 लाख करोड़ रुपये जमा हैं.

SIP Portfolio : बिगड़ गया आपके एसआईपी पोर्टफोलियो का रिटर्न? निगेटिव कंपाउंडिंग से बचने का ऐसे करें उपाय

क्‍यों हैं डेट को लेकर कम आकर्षण

डेट फंड में रिटेल निवेशकों के बीच कम आकर्षण की एक वजह इसे लेकर जानकारी की कमी है. कई वित्तीय सलाहकार भी इन प्रोडक्‍ट पर कम मार्जिन के चलते ध्यान नहीं देते हैं. वहीं दूसरी ओर कन्‍जर्वेटिव निवेशकों के लिए बैंक ब्रॉन्‍च या रिलेशनशिप मैनेजर की व्यक्तिगत सुविधा बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. क्‍योंकि खासतौर से वरिष्ठ नागरिकों के लिए, किसी बैंक ब्रॉन्‍च में जाकर ब्रॉन्‍च मैनेजर के साथ बातचीत करके निवेश की सलाह लेना आसान होता है. 

डेट फंड में कई फायदे

दूसरा, एक कैटेगरी के रूप में, डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों को कई तरह के महत्वपूर्ण बेनेफिट प्रदान करते हैं, चाहे वे रिटेल निवेशक हों या कॉर्पोरेट. आज, रिटेल  निवेशक आमतौर पर अपना पैसा सेविंग्‍स अकाउंट में रखते हैं, जिस पर सालाना 3-4 फीसदी के बीच में आय होती है. हालांकि, म्यूचुअल फंड निवेश के लिए कई तरह के विकल्‍प पेश करते हैं, जिनमें निवेशकों को बेहतर रिटर्न देने की क्षमता होती है. ये 6 से 6.5 फीसदी या इससे भी ज्‍यादा सालाना रिटर्न दे सकते हैं. तुरंत लिक्विडिटी के उद्देश्य के लिए ओवरनाइट फंड हैं. वहीं लिक्विड फंड ऐसी स्‍कीम है, जिसकी मैच्‍योरिटी 3 महीने की होती है. मनी मार्केट फंड हैं जो आपको 12 महीने के लिए पैसा निवेश करने में मदद करते हैं.
 
इन प्रोडक्‍ट का उपयोग कॉरपोरेट्स और ट्रेजरी द्वारा अपने सरप्‍लस फंड को निवेश करने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. कॉरपोरेट ट्रेजरी शायद ही कभी अपना पैसा सेविंग्‍स अकाउंट में रखते हैं. ऐसे में सवाल है कि रिटेल निवेशकों को अपने पैसे पर बेहतर रिटर्न पाने के लिए इन फंडों का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए? साफतौर पर ऐसे कुछ कारण हैं, जिनकी वजह से आज यह आदर्श विकल्प बन गया है. 

इमरजेंसी है! म्यूचुअल फंड के बदले लोन लें या पर्सनल लोन के लिए करें अप्लाई, चुनें सही विकल्प

बैंक vs डेट फंड: चेक करें फायदा और नुकसान

बहुत से निवेशक ऐसे हैं जो अपना एक बड़ा फंड बैंक में लंबे समय तक सेविंग्‍स अकाउंट में रखते हैं. उस पर चाहे जो भी रिटर्न मिले, वह ध्‍यासन नहीं देते हैं. आप खुद इसका नुकसान चेक कर सकते हैं. जब आप अगली बार अपने बैंक खाते की डिटेल  जांचें, तो देखें कि पिछले 12 महीनों में आपके पास हर महीने (अपने सभी खर्चों और ईएमआई का भुगतान करने के बाद) कितना अतिरिक्त पैसा था. फिर इस सरप्लस फंड को लिक्विड फंड में लगाने से आपको जो अतिरिक्त रिटर्न मिलता, उसे कैलकुलेट करें. एक एवरेज रिटर्न के रूप में, आप कैलकुलेशन के लिए 6.5 फीसदी का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि लिक्विड फंड ने पिछले साल में करीब इतना रिटर्न दिया है (नोट: पिछला प्रदर्शन भविष्य में कायम रह भी सकता है और नहीं भी).

इसकी तुलना आपके बैंक द्वारा आपके बचत खाते पर दी जाने वाली ब्याज दर से करें. आप खुद दोनों के बीच अंतर को देखकर चौंक जाएंगे कि आप सरप्‍लस पैसा लिक्विड फंड में निवेश करते तो कितना अतिरिक्त पैसा कमा सकते थे.आरबीआई के अनुसार, दिसंबर 2023 तक, एक अनुमान के अनुसार, भारत में करंट अकाउंट और बचत खातों में लगभग 23 लाख करोड़ रुपये जमा हैं, यानी निवेशक हर साल लगभग 60,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रिटर्न क्षमता पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. 

Tax Free Bond : टैक्स फ्री बॉन्ड में कैसे करते हैं रिटर्न का कैलकुलेशन, कूपन रेट और यील्ड का समझें गणित

निवेश की प्रक्रिया बेहद आसान

म्यूचुअल फंड में निवेश की प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक सरल और व्यवस्थित हो गई है और यहां तक कि लिक्विड फंड और ओवरनाइट फंड में 50,000 रुपये तक की निकासी कुछ ही सेकंड में की जा सकती है. सेविंग्‍स अकाउंट या लिक्विड और ओवरनाइट म्यूचुअल फंड के बीच रिटर्न के टैक्सेशन की दर में कोई अंतर नहीं है क्योंकि दोनों मार्जिनल रेट पर टैक्सेबल हैं. ओवरनाइट फंड में भी कोई एक्जिट लोड नहीं होता है, जबकि लिक्विड फंड में ज्यादातर मामलों में 7 दिनों के बाद कोई एग्जिट लोड नहीं होता है. इसलिए, निवेश के दो विकल्पों के बीच लिक्विडिटी और टैक्सेशन का गैप बहुत कम है.

Equity Schemes Debt Schemes mutual funds Fixed Income