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Savings for Retirement : फाइनेंशियल फ्रीडम का मतलब है कि आप अपनी जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति या नौकरी पर निर्भर नहीं होते हैं. (Pixabay)
Why you should give priority to retiurement planning over other needs: भारतीय निवेशकों की बात करें वर्किंग ईयर की शुरूआत में रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत से लोगों की टॉप प्राथमिकताओं में नहीं होती है. इसे वे लंबे समय बाद आने वाली घटना मान लेते हैं. लेकिन ये स्ट्रैटेजी सही नहीं होती है. असल में रिटायरमेंट प्लानिंग, आपके वर्किंग ईयर से हटकर एक बेहतर और टेंशन फ्री जीवन जीने के बारे में है. इसलिए समय रहते रिटायरमेंट के बाद के दिनों के बारे में जरूर विचार करना चाहिए, जिससे वर्किंग ईयर के बाद के लिए जो सपने देखे हैं उसे पूरा कर सकें.
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ, अजीत मेनन का कहना है कि हममे से ज्यादातर ऐसे हैं जो रिटायरमेंट प्लानिंग पहली प्राथमिकता नहीं देते हैं, बल्कि उससे पहले अन्य जरूरतों पर फोकस करते हैं.पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट रेडीनेस सर्वे 2023 से पता चला है कि लगभग 75 फीसदी लोग इमोशनल कारणों से निवेश करते हैं, फिर भी रिटायरमेंट जैसे लॉन्ग टर्म टारगेट को पूरा करने के लिए समय रहते निर्णय नहीं पाते हैं. अर्थशास्त्री डेनियल कन्नमैन के अनुसार हमारा दिमाग अक्सर हमारे भविष्य के साथ अजनबियों की तरह व्यवहार करता है. इससे लॉन्ग टर्म प्लानिंग को प्राथमिकता देना कठिन हो जाता है.
फाइनेंशियल फ्रीडम (Financial Freedom)
फाइनेंशियल फ्रीडम का मतलब है कि आप अपनी जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति या नौकरी पर निर्भर नहीं होते हैं. जब तक वर्किंग ईयर में रहते हैं तो रेगुलर इनकम के चलते आपकी जरूरतें पूरी होती रहती हैं. लेकिन नॉन वर्किंग ईयर में अगर आपने पहले से प्लानिंग नहीं की है तो ये दिक्कतें आ सकती हैं. इसलिए नौकरी के दिनों में जल्द से जल्द रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल फ्रीडम को लेकर प्लानिंग करना जरूरी हो जाता है.
अजीत मेनन का कहना है कि अधिकांश लोग फाइनेंशियल फ्रीडम की तुलना दौलत जमा करने से करते हैं, लेकिन बिना उद्देश्य के दौलत भी खोखली लगती है. कई रिटायरमेंट प्लानिंग में जो लिंक गायब है, वह इमोशनल फैक्टर है. यह बचत करने का एक ऐसा कारण है, जो सबसे ज्यादा मायने रखता है, साथ ही बचत के साथ गहराई से जुड़ा होता है. जबकि रिटर्न, टाइम लिमिट और रिस्क फैक्टर पर जोर देना फाइनेंशियल प्लानिंग का अनिवार्य हिस्सा है.
- रिटायरमेंट कॉर्पस सिर्फ एक फंड नहीं है, यह आपको अपने परिवार के साथ टेंशन फ्री रहने में सक्षम बनाता है.
- एन्युटी सिर्फ स्थिर आय की एक रणनीति नहीं है, यह आपकी फ्रीडम और मन की शांति का टिकट है.
जनरेशन : हर पीढ़ी की अपनी चुनौतियां और जरूरतें
1. बेबी बूमर्स (1946-1964)
बूमर्स के लिए, वित्तीय स्थिरता महत्वपूर्ण है. रिटायरमेंट के समय या उसके नजदीक आने के साथ, कई लोग अपने बच्चों पर निर्भर होने से बचने पर फोकस करते हैं. उन्हें सीधे सॉल्यूशन की जरूरत होती है - जैसे कि पूर्व अनुमानित आय का इंतजाम और लंबी अवधि के रिस्क को मैनेज करने की स्ट्रैटेजी. इसलिए म्यूचुअल फंड द्वारा पेश किए जाने वाली एन्युटी प्लान और सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान जैसे प्रोडक्ट या सुविधाएं उनकी समस्या के समाधान के लिए विकल्प हो सकते हैं.
2. जनरेशन X (1965–1980)
जेन एक्स अक्सर बूढ़े माता-पिता का सपोर्ट करने और बच्चों के पालन-पोषण के बीच फंसा रहता है. रिटायरमेंट की तैयारी करते समय उन्हें कई वित्तीय जिम्मेदारियों को मैनेज करते हुए ओवरलोड का सामना करना पड़ता है. उनके लिए, बेहतर व सुरक्षित बचत योजनाओं या ऑटोमेटेड कॉन्ट्रिब्यूशन जैसे स्ट्रक्चरल टूल के साथ निर्णय को सरल बनाने से मदद मिल सकती है.
3. मिलेनियल्स (1981-1996)
मिलेनियल्स फ्लेक्सिबिलिटी और अनुभवों को महत्व देते हैं. इस पीढ़ी का इंटरेस्ट, पारंपरिक रिटायरमेंट प्लान में बहुत ज्यादा नहीं होता है. बल्कि इसके बदले किसी परिचित या अन्य लोगों से सुझाए गए प्रोडक्ट या निवेश उनके इंगेजमेंट को प्रोत्साहित कर सकता है.
4. जेन जेड और अल्फा (1997 से आगे)
ये सबसे युवा ग्रुप अभी मनी मैनेजमेंट को समझने लगे हैं. छोटे लक्ष्यों के माध्यम से रिटायरमेंट को प्रासंगिक बनाते हुए, कम उम्र से ही वित्तीय साक्षरता, लॉन्ग टर्म के लिए आदतों की नींव रखता है. इस जनरेशन के पास सूचनाओं की कमी नहीं है, इसलिए उनका ध्यान आकर्षित करना महत्वपूर्ण है. टॉप-अप एसआईपी और सुरक्षित बचत योजनाएं इनके लिए उपयोगी हो सकती हैं.
विजुअलाइजेशन क्यों काम करता है?
रिटायरमेंट के बारे में सोचने से निवेश को लेकर निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है. मनोवैज्ञानिक हैल हर्शफील्ड द्वारा 2013 में की गई स्टडी के अनुसार जो एज प्रोग्रेस्ड इमेज या स्टोरी टेलिंग का उपयोग करके अपने भविष्य को "देख" सकते थे, उनके रिटायरमेंट के लिए बचत करने की अधिक संभावना थी. विजुअलाइजेशन काम करता है क्योंकि यह भविष्य को मानवीय बनाता है. अगर आप युवा अवस्था में ही ऐसी कल्पलना करें कि रिटायरमेंट के बाद अपनी पसंदीदा जगह घूमने फिरने जाएंगे, रिटायरमेंट के बाद भी फाइनेंशियल फ्रीडम का आनंद उठाएंगे और फैमिली के साथ हैप्पी लाइफ बिताएंगे, तो समय रहते एक लक्ष्य बनाकर निवेश करने की संभावना भी बढ़ जाएगी.
रिटायरमेंट किसी नंबर के बारे में नहीं है, यह उस जीवन के बारे में है जिसे आप जीना चाहते हैं. रिटायरमेंट को फाइनेंशियल फ्रीडम के रूप में सोचें, जो हमारे मन में अधिक पॉजिटिव प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है. फाइनेंशियल फ्रीडम केवल सुरक्षा के बारे में नहीं है, यह नॉन वर्किंग ईयर्स में बेहतर जीवन जीने के बारे में है. लेकिन उनका कहना है कि रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय किसी भरोसेमंद सलाहकार की मदद जरूर लें.
(Disclaimer - नोट: इस आर्टिकल में जानकारी एक्सपर्ट के जरिए दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं और न ही आपको निवेश करने की सलाह है. इस आर्टिकल का उद्देश्य आापको रिटायरमेंट प्लानिंग का महत्व बताना है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश करने के पहले हमेशा किसी योग्य फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें.)