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बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक रुपया 87.5 से 88.5 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में रह सकता है. (Express Photo)
Rupee Vs Us Dollar Exchange Rate : भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर के बीच एक्सचेंज रेट को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है. बैंक ऑफ बड़ौदा की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में रुपया 87.5 से 88.5 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में रह सकता है. हाल ही में रुपये में आई कमजोरी और अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के असर से निवेशकों की चिंता बढ़ी है. सवाल यह है कि क्या सचमुच बहुत जल्द एक डॉलर का रेट 88.5 रुपये तक पहुंच जाएगा?
रुपये में हाल की गिरावट
अगस्त 2025 में भारतीय रुपये ने रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की और पहली बार 88 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया. बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट बताती है कि यह गिरावट अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लगातार बिकवाली करने से तेज हुई. रिपोर्ट के मुताबिक, "हम निकट भविष्य में 87.5-88.5 रुपये प्रति डॉलर का रेंज देखते हैं. वहीं लंबे समय में हमें भरोसा है कि मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल्स घरेलू करेंसी को सपोर्ट करेंगे."
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अमेरिकी टैरिफ और निवेशकों की चिंता
हाल में अमेरिका की ओर से 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने का बड़ा असर भारतीय बाजारों और करेंसी पर पड़ा है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "50 फीसदी टैरिफ रेट के लागू होने से निवेशकों के भरोसे पर मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ा है और यही रुपये की कमजोरी का बड़ा कारण है." अमेरिका भारत के कुल निर्यात का लगभग 20 फीसदी हिस्सा रखता है. ऐसे में टैरिफ बढ़ोतरी से भारत की ग्रोथ आउटलुक पर भी दबाव आ सकता है.
RBI का रोल और भविष्य का रुझान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से अब तक सीमित हस्तक्षेप किया गया है. बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में कहा गया है, "ऐतिहासिक मानकों की तुलना में आरबीआई का हस्तक्षेप कम रहा है, लेकिन केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि रुपये की कमजोरी क्रमिक और व्यवस्थित ढंग से हो." यानी आरबीआई का रुख फिलहाल यह है कि वह सिर्फ तेज उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए कदम उठाएगा.
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लंबी अवधि में क्या होगी तस्वीर
निकट भविष्य में रुपया दबाव में रह सकता है क्योंकि निवेशक अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार वार्ता के असर को लेकर साफ संकेत का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि बैंक ऑफ बड़ौदा मानता है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, विदेशी निवेश और स्थिर मैक्रो-फंडामेंटल्स लंबे समय में रुपये को संभालने का काम करेंगे. रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि, "लंबे समय में हमें भरोसा है कि मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल्स घरेलू करेंसी को सपोर्ट करेंगे."
बैंक ऑफ बड़ौदा की यह रिपोर्ट साफ करती है कि रुपये में अभी और दबाव रह सकता है और यह 87.5 से 88.5 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में घूमेगा. हालांकि लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती रुपये को सहारा देगी. निवेशकों के लिए यह समय सतर्क रहने का है, क्योंकि वैश्विक टैरिफ और व्यापारिक नीतियों का असर सीधे करेंसी और बाजार पर देखने को मिल सकता है.