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Real Return on Bank Deposit : एक फॉर्मूले से अपनी सेविंग्स पर मिलने वाले असल रिटर्न का कैलकुलेशन कर सकते हैं, फाइनेंस की भाषा में इसे रियल रेट ऑफ रिटर्न कहते हैं. (Freepik)
Real Rate of Return on Savings Account : बैंक अपने बचत खाते पर ब्याज दरों में लगातार कटौती कर रहे हैं. नया डेवलपमेंट यह है कि एसडीएफसी बैंक ने बचत खाते पर ब्याज घटाकर 2.75 फीसदी कर दिया है. एसबीआई पहले से ही बचत खाते पर 2.70 फीसदी ब्याज दे रहा है. वहीं ज्यादातर सरकारी और प्राइवेट बैंक अपने बचत खाते पर अधिकतम 3 फीसदी सालाना तक ही ब्याज दे रहे हैं. यह मौजूदा महंगाई दर (Inflation) से कम है, जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में आधे से भी कम है. देश में महंगाई दर अभी 3.60 फीसदी से ज्यादा है, ऐसे में बैंकों में पैसा रखना आपको घाटा करा रहा है. आपका रिटर्न निगेटिव में जा रहा है. तो क्या उपाय है कि बिना फंड ब्लॉक किए आपको एफडी जैसा रिटर्न मिले, वहीं जब जरूरत हो खाते से पैसा निकाल सकें, वह भी बिना किसी नुकसान के.
कैसे आपका रिटर्न हो रहा है निगेटिव
यहां आप एक फॉर्मूले से अपनी सेविंग्स पर मिलने वाले असल रिटर्न का कैलकुलेशन कर सकते हैं, फाइनेंस की भाषा में इसे रियल रेट ऑफ रिटर्न कहते हैं.
रियल रेट ऑफ रिटर्न = <(1+नॉमिनल रेट)/ (1+महंगाई)> -1
अब यहां आप अलग अलग बैंक पर मिलने वाले ब्याज के हिसाब से इसे चेक कर सकते हैं. जैसे एडीएफसी बैंक के बचत खाते पर अभी बज 2.75 फीसदी है. तो रियल रेट ऑफरिटर्न -1.202 फीसदी हेगा.
बचत खाते पर ब्याज: 2.75 फीसदी
मौजूदा महंगाई दर (CPI): 3.61 फीसदी
रियल रेट आफ रिटर्न: <(1+2.75)/ (1+3.61)> -1 = -0.83 फीसदी
इस फॉर्मूले से आप बाकी बैंकों के बचत खाते पर मिलने वो ब्याज से रियल रेट ऑफ रिटर्न जान सकते हैं. जैसे कि एसबीआई में 2.70 फीसदी ब्याज पर रियल रिटर्न -0.8783 फीसदी होगा. आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंकों में 3 फीसदी ब्याज के आधार पर रियल रिटर्न -0.5887 फीसदी होगा.
बचत खाता भी क्यों जरूरी
ज्यादातर लोग रोज के खर्च के लिए या इमरजेंसी फंड के रूप में सेविंग अकाउंट में पैसे रखते हैं, ताकि जब जरूरत हो उसे निकाल सकें. जबकि एफडी या य किसी स्कीम में टेन्यारे के अनुसार आपका पैसा ब्लॉक हो जाता है और मैच्योरिटी के पहले खाता तोड़ने पर पेनल्टी देनी पड़ती है.
स्वीन-इन अकाउंट है बेस्ट विकल्प
एफडी की स्वीप-इन सुविधा निवेशक को बैंक खाते में अतिरिक्त धनराशि को एफडी अकाउंट में ट्रांसफर करने की अनुमति देता है. स्वीप इन एफडी (Sweep In FD) एक ऑटो स्वीप सर्विस होती है. इसके तहत आपके सेविंग्स अकाउंट में जो भी एक्स्ट्रा पैसे होते हैं, उन्हें एफडी में ट्रांसफर कर दिया जाता है. यानी यह एक प्रकार का फिक्स्ड डिपॉजिट है जो निवेशकों को अपने बचत खाते से अतिरिक्त धनराशि को आटोमैटिक रूप से एफडी खाते में ट्रांसफर करने की अनुमति देता है. इसमें जहां एफडी के बराबर ब्याज मिलता है, वहीं इमरजेंसी में भी तुरंत आप अपने फंड तक पहुंच सकते हैं.
इसके लिए आपको पहले अपने अकाउंट के लिए एक थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करनी होगी. इस लिमिट से ज्यादा पैसे एक्स्ट्रा पैसे माने जाएंगे. स्वीप इन एफडी की अवधि 1 साल से 5 साल की होती है. वहीं बैंक आम तौर पर इस अकाउंट पर नॉर्मल एफडी के बराबर ब्याज दे रहे हैं.