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SBI Research का अनुमान, 6-6.5% रहेगी GDP ग्रोथ, मॉनेटरी पॉलिसी में क्रेडिट ग्रोथ पर फोकस जरूरी, ब्याज दरों पर क्या हैं संकेत?

SBI Research Report: 4 दिसंबर से शुरू हो रही है रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक. उससे पहले SBI रिसर्च ने जारी की अहम रिपोर्ट. देश की अर्थव्यवस्था के बारे में दिए कई महत्वपूर्ण अनुमान.

SBI Research Report: 4 दिसंबर से शुरू हो रही है रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक. उससे पहले SBI रिसर्च ने जारी की अहम रिपोर्ट. देश की अर्थव्यवस्था के बारे में दिए कई महत्वपूर्ण अनुमान.

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Viplav Rahi
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SBI Research ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था और मॉनेटरी पॉलिसी के बारे में कई अहम अनुमान जाहिर किए हैं. (Image : Pixabay)

SBI Research Report: एसबीआई रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था और आगामी मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर महत्वपूर्ण संकेत दिए हैं. रिपोर्ट में मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP ग्रोथ 6-6.5% रहने की संभावना जताई गई है. साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि आगामी मॉनेटरी पॉलिसी में धीमी पड़ रही क्रेडिट ग्रोथ में नई जान फूंकने पर ध्यान देना जरूरी है. रिपोर्ट में धीमी क्रेडिट ग्रोथ के अलावा कम कैपिटल एक्सपेंडीचर और महंगाई जैसे फैक्टर्स को भी आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख चुनौतियों में शामिल किया गया है. खास बात ये है कि एसबीआई रिसर्च की यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की 4 से 6 दिसंबर तक होने वाली बैठक से ठीक पहले आई है. आइए देखते हैं कि एसबीआई रिसर्च की इस रिपोर्ट में और क्या अहम बातें कही गई हैं.

 क्या हैं GDP ग्रोथ में कमी के बड़े कारण

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी विकास दर केवल 5.4% रही, जो अपेक्षा से कम है. इसकी मुख्य वजह केंद्र और राज्य सरकारों के पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure or Capex) में आई कमी है. रिपोर्ट के मुताबिक इसमें केंद्र और राज्य, दोनों ही सरकारों का योगदान है. रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की पहले छमाही में केंद्र सरकार ने अपने वार्षिक बजट का केवल 37.3% ही खर्च किया, जो पिछले वर्षों की तुलना में 10% कम है. वहीं, 17 प्रमुख राज्यों में से केवल 5 राज्यों का मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही (H1 FY25) का खर्च पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि ( H1 FY24) की तुलना में अधिक रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान भी कैपेक्स में सुधार की उम्मीद कम ही है, लिहाजा GDP ग्रोथ भी इसी दायरे में रहने के आसार हैं.

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क्रेडिट ग्रोथ में चौतरफा गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार, क्रेडिट ग्रोथ में कमी सभी क्षेत्रों में देखी गई है.

  • ग्रॉस बैंक क्रेडिट की स्थिति:रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अब तक (15 नवंबर 2024 तक) ग्रॉस बैंक क्रेडिट में केवल 9.3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह ग्रोथ 19.4 लाख करोड़ रुपये रही थी.

  • इन सेक्टर्स पर असर:रिपोर्ट में बताया गया है कि कृषि, उद्योग, और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में क्रेडिट ग्रोथ निगेटिव रही है. पर्सनल लोन और हाउसिंग लोन में भी गिरावट दर्ज की गई है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि क्रेडिट ग्रोथ में इस गिरावट से अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों में सुस्ती और बैंकों की सतर्कता का पता चलता है.

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ग्रामीण और शहरी डिमांड की स्थिति 

रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी योजनाओं की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिति शहरों से बेहतर लग रही है.

  • डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT):सरकारी सब्सिडी से ग्रामीण परिवारों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) में वृद्धि हुई है, जिससे जरूरी चीजों की मांग और खपत बढ़ी है.

  • शहरी मांग: दूसरी ओर, शहरी क्षेत्रों में कोविड महामारी के दौरान जिस तरह लोगों की पुरानी बचत खत्म हुई थी, उसके चलते खपत पर दबाव अब तक बना हुआ है.

  • ग्रामीण क्षेत्रों में डिमांड और खपत में जो सुधार आया है, वह शहरी डिमांड में आई कमी की पूरी तरह से भरपाई करने में सक्षम नहीं हैं.

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महंगाई और लिक्विडिटी मैनेजमेंट

रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) नवंबर 2024 तक 5% से ऊपर बना रहेगा.

  • फूड इंफ्लेशन:सब्जियों और प्रोटीन की कीमतों में गिरावट के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य महंगाई (Food Inflation) का स्तर स्थिर बना हुआ है.

  • लिक्विडिटी मैनेजमेंट: सरकार कैश फ्लो को बेहतर बनाने पर ध्यान दे रही है, लेकिन बैंकों के लो-कॉस्ट डिपॉजिट में कमी आई है, जो उनकी प्रॉफिटेबिलिटी को प्रभावित कर सकता है.

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मॉनेटरी पॉलिसी में क्या होगी चुनौती

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी मॉनेटरी पॉलिसी में क्रेडिट ग्रोथ को रिवाइव करना यानी उसमें नई जान फूंकना सबसे बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए रिजर्व बैंक को लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर खास ध्यान देते हुए अपनी लिक्विडिटी से जुड़ी पॉलिसी को बेहद सावधानी से पुनर्गठित (Recalibrate) करना होगा. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों के दौरान RBI की तरफ से रेपो रेट में कटौती किए जाने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. हालांकि अप्रैल 2025 में इस पर फिर से विचार किया जा सकता है.

SBI रिसर्च रिपोर्ट की बड़ी बातें

  • GDP ग्रोथ रेट : 6-6.5% के बीच रहने की संभावना.

  • क्रेडिट ग्रोथ: कृषि, उद्योग, और सेवाओं सहित सभी क्षेत्रों में गिरावट.

  • ग्रामीण मांग और खपत: सरकारी योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव, लेकिन शहरों में स्थिति कमजोर.

  • महंगाई दर: नवंबर में भी 5% से ऊपर रहने के आसार.

  • मॉनेटरी पॉलिसी: लिक्विडिटी और क्रेडिट ग्रोथ पर ध्यान देने की जरूरत, ब्याज दरें घटने के आसार नहीं.

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