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Sebi ने म्यूचुअल फंड AMC पर लागू “स्किन इन द गेम रूल्स” में अहम बदलाव करने का प्रस्ताव किया है. (File Photo : PTI)
Sebi New Proposals on 'skin in the game' rules for MF employees : भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड्स से जुड़े अपने कुछ नियमों में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है. ये प्रस्तावित बदलाव म्यूचुअल फंड्स के लिए लागू “स्किन इन द गेम रूल्स” से जुड़े हैं, जिनसे फंड हाउस या एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) में काम करने वाले कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है. दरअसल, सेबी के मौजूदा नियमों के तहत इन कर्मचारियों को अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा अनिवार्य रूप से उन म्यूचुअल फंड स्कीम्स में लगाना पड़ता है, जिनके लिए वे काम करते हैं. इससे खास तौर पर उन कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिनके वेतन ज्यादा नहीं हैं. उनकी इन्हीं परेशानियों को देखते हुए सेबी ने अब अपने नियमों में कुछ राहत देने का प्रस्ताव रखा है.
सेबी के मौजूदा 'स्किन इन द गेम' रूल्स क्या हैं
सेबी के मौजूदा नियमों के तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के प्रमुख कर्मचारियों (Designated Employees) के लिए अपनी सालाना आमदनी का 20 प्रतिशत हिस्सा उन म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना अनिवार्य है, जिन्हें वे मैनेज करते हैं. इस निवेश को 3 साल के लिए लॉक-इन किया जाता है. इस नियम का मकसद यह तय करना है कि फंड हाउस के मैनजरों और कर्मचारियों के हित निवेशकों के हितों के साथ मेल खाते हों. लेकिन मौजूदा नियमों के दायरे में एएमसी के सीईओ, सीआईओ और फंड मैनेजर जैसे टॉप मैनेजमेंट के अलावा कई अन्य कर्मचारी भी आ जाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मौजूदा नियमों के मुताबिक डेजिग्नेटेड कर्मचारियों में सीईओ (CEO), चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर (CIO),चीफ रिस्क ऑफिसर (CRO), चीफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर (CISO), चीफ ऑपरेशन ऑफिसर (COO) और फंड मैनेजर के अलावा, कंप्लायंस ऑफिसर, सेल्स हेड, इनवेस्टर रिलेशन ऑफिसर (IRO), अन्य डिपार्टमेंट्स के प्रमुख, एएमसी के डीलर्स, सीईओ को सीधे रिपोर्ट करने वाले कर्मचारी, फंड मैनेजमेंट टीम और रिसर्च टीम में शामिल कर्मचारी और एमएनसी व ट्रस्टीज द्वारा आइडेंटिफाई किए गए अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं.
सेबी के नए प्रस्ताव में क्या है
सेबी ने अपने नए प्रस्ताव में म्यूचुअल फंड कर्मचारियों के लिए स्कीम में अनिवार्य निवेश के अनुपात को कम करने की बात कही गई है. इसमें सुझाव दिया गया है कि किस कर्मचारी के लिए अनिवार्य निवेश का अनुपात क्या होगा, यह उसके वेतन के स्लैब के आधार पर तय किया जा सकता है. ताकि कम वेतन पाने वालों को राहत मिल सके.
अनिवार्य निवेश के लिए नए प्रस्तावित स्लैब
सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में प्रस्ताव रखा है कि निवेश की अनिवार्य सीमा को 20 फीसदी से घटाकर वेतन के अनुसार स्लैब्स में बांटा जाए. ये स्लैब कर्मचारियों के सालाना कॉस्ट टू कंपनी (CTC) के आधार पर तय किए जाएंगे. इसके लिए सेबी ने स्लैब का जो प्रस्ताव रखा है, वो इस प्रकार है :
- 25 लाख रुपये से कम वेतन (Gross CTC) पाने वालों के लिए : कोई अनिवार्य निवेश नहीं.
- 25 से 50 लाख रुपये तक वेतन (Gross CTC) पाने वालों के लिए : 10% अनिवार्य निवेश.
- 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक वेतन (Gross CTC) पाने वालों के लिए : 14% अनिवार्य निवेश.
- 1 करोड़ रुपये से अधिक वेतन (Gross CTC) पाने वालों के लिए : 18% अनिवार्य निवेश.
नॉन कैश कंपोनेंट के लिए अलग से प्रावधान
सेबी ने यह भी सुझाव दिया है कि जिन कर्मचारियों को कंपनी से एंप्लाईज स्टॉक ऑप्शन प्लान (ESOPs) जैसे गैर-नकद कंपनसेशन मिलते हैं, उनके लिए मिनिमम इनवेस्टमेंट का कैलकुलेशन अलग ढंग से किया जाए. जिन कर्मचारियों के लिए यह कंपनसेशन 20% से कम है, उनके लिए इस अमाउंट को मिनिमम इनवेस्टमेंट के कैलकुलेशन में शामिल नहीं किया जाए. लेकिन 20% से ज्यादा नॉन-कैश कंपनसेशन पाने वालों के लिए यह रकम कैलकुलेशन में शामिल की जा सकती है. सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में बताया है कि इंडस्ट्री के आंकड़े बताते हैं कि 47 एएमसी में से सिर्फ 6 एएमसी ने पिछले तीन सालों में अपने कर्मचारियों को 20 प्रतिशत से अधिक गैर-नकद कंपनसेशन दिया है. औसतन एएमसी अपने कर्मचारियों को कुल मुआवजे का करीब 7 फीसदी हिस्सा ही गैर-नकद लाभ के रूप में देती हैं.
ऑपरेशनल कर्मचारियों के लिए प्रस्ताव
सेबी ने कुछ ऑपरेशनल कर्मचारियों, जैसे कि चीफ ऑपरेशनल ऑफिसर (COO), सेल्स हेड्स, और इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट के साथ सीधे तौर पर नहीं जुड़े कर्मचारियों के लिए अनिवार्य निवेश में छूट देन का प्रस्ताव भी किया है. इस छूट से एएमसी के कर्मचारियों पर लागू होने वाले अनिवार्य निवेश के नियमों में उनकी भूमिका के अनुसार लचीलापन लाया जा सकेगा.
नौकरी से इस्तीफा देने वालों को मिलेगी राहत
मौजूदा नियमों के अनुसार अगर एमएमसी के कर्मचारी रिटायरमेंट से पहले इस्तीफा दे देते हैं तो भी उनकी यूनिट्स लॉक-इन रहती हैं. नए प्रस्ताव में सुझाव दिया गया है कि इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों के लिए कुछ शर्तों के तहत यूनिट्स की जल्द रिलीज़ की छूट दी जा सकती है.
स्ट्रेस टेस्ट का खुलासा जरूरी करने का प्रस्ताव
सेबी ने यह प्रस्ताव भी रखा है कि क्लोज-एंडेड योजनाओं को छोड़कर बाकी सभी म्यूचुअल फंड स्कीम्स के लिए स्ट्रेस टेस्टिंग के नतीजों का खुलासा अनिवार्य किया जाए. स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि कोई स्कीम बड़े पैमाने पर रिडेम्प्शन होने की स्थिति में निवेशकों को आसानी से भुगतान करने में कितनी सक्षम है. इस सुझाव का मकसद निवेशकों को स्कीम्स के रिस्क के बारे में बेहतर जानकारी मुहैया कराना है. सेबी ने इन प्रस्तावों पर 21 नवंबर तक आम लोगों से अपनी राय और सुझाव देने को कहा है ताकि नए नियमों को अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाया जा सके.