scorecardresearch

US Fed के ब्याज दर घटाने के बाद रुपये में गिरावट, डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

Rupee falls to all time low: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद भारतीय रुपये में भारी गिरावट देखी गई और यह अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया.

Rupee falls to all time low: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद भारतीय रुपये में भारी गिरावट देखी गई और यह अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया.

author-image
Viplav Rahi
New Update
Rupee at all-time low, Indian rupee vs dollar, Rupee depreciation against dollar, RBI currency management, Dollar strengthens against rupee, Rupee decline, Rupee fall impact, Indian economy, stock market impact, inflation due to rupee fall, investment strategy during rupee fall, rupee vs dollar, Indian market analysis, rupee fall impact on prices, rupee fall and inflation

Rupee falls to all time low: डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया गिरकर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. (Image : Indian Express)

Rupee falls to all time low after US Fed rate cut: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा हाल ही में ब्याज दरों में कटौती के बाद भारतीय रुपये में डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट देखी गई है. इस गिरावट ने रुपया को अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 5 पैसे की गिरावट के साथ 84.37 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया. इससे पहले गुरुवार को रुपया 84.32 पर बंद हुआ था, जो उस समय तक का सबसे निचला स्तर था. विदेशी फंड्स के लगातार आउटफ्लो और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट को इसकी वजह माना जा रहा है. US फेडरल रिजर्व की बीती रात हुई बैठक में बेंचमार्क ब्याज दर में 25 बेसिस प्वाइंट यानी करीब 0.25 फीसदी की कटौती करके इसे 4.5% पर लाने का फैसला किया गया है. 

अमेरिकी फेड के इंटरेस्ट रेट घटाने का असर

- अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती की है, जिससे डॉलर की मांग में तेजी आई है. इसका सीधा असर दूसरे देशों की करेंसी पर पड़ा है.

Advertisment

- फेड की इस कटौती के कारण ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में उथल-पुथल बढ़ी है. इससे भारत समेत कई देशों की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई हैं.

- माना जा रहा है कि यूएस फेड आगे चलकर दरों में और कटौती कर सकता है, जिससे डॉलर की ताकत और बढ़ने की संभावना है.

Also read : Mutual Fund : ये 12 फ्लेक्सीकैप फंड बेंचमार्क से पिछड़े, 5 साल के रिटर्न में खाई मात, SBI MF, LIC, TATA समेत कई बड़े फंड हाउस की स्कीम शामिल

रुपये में गिरावट की बड़ी वजहें

1. विदेशी फंड का आउटफ्लो: भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा लगातार शेयरों की बिक्री से रुपया कमजोर हुआ है. गुरुवार को FIIs ने लगभग 4,888.77 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे.

2. घरेलू शेयर बाजार में गिरावट: घरेलू शेयर बाजार में मंदी का रुख जारी है. गुरुवार को सेंसेक्स 14.23 अंकों की गिरावट के साथ 79,527.56 पर और निफ्टी 15.45 अंकों की गिरावट के साथ 24,183.90 पर बंद हुआ.

3. डॉलर इंडेक्स में तेजी: 6 प्रमुख करेंसीज के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दिखाने वाले डॉलर सूचकांक में भी तेजी देखी जा रही है, जो फिलहाल 104 से ऊपर है. इससे रुपये पर दबाव और बढ़ा है.

Also read : NFO Alert: आदित्य बिरला सन लाइफ MF का नया इंडेक्स फंड लॉन्च, इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहेगा एनएफओ का फोकस, क्या आपके लिए सही है ये स्कीम?

RBI की क्या हो सकती है पॉलिसी

अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ऊपर यह जिम्मेदारी होगी कि वह इस बदलते हुए माहौल में हालात को कैसे कंट्रोल करता है. इस तरह के अस्थिर बाजार में वही टिक सकता है जो तेजी से एडजस्ट कर सके. आरबीआई फिलहाल रुपये को 83.80 से 84.50 के बीच एक सीमित दायरे में रखने का प्रयास कर रहा है. अगर यूएस फेड आगे चलकर दरों में और कटौती करता है और डॉलर की मांग में कमी आती है, तो संभव है कि रुपया धीरे-धीरे मजबूत होकर इस दायरे के निचले स्तर पर आ जाए.

Also read : SIP Super Profit: हर महीने 2500 रुपये के निवेश से जमा हुए 1.5 करोड़ रुपये, HDFC म्यूचुअल फंड की मालामाल करने वाली स्कीम

तेल और क्रूड की कीमतों में गिरावट

- ब्रेंट क्रूड, जो तेल की कीमतों का ग्लोबल स्टैंडर्ड माना जाता है, 0.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75.14 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.  

- विशेषज्ञों के अनुसार, तेल की कीमतों में गिरावट का सीधा असर भी भारतीय रुपये पर हो सकता है, क्योंकि इससे आयात लागत में कमी आती है और रुपया मजबूत हो सकता है.  

Also read : SBI MF की टॉप 5 स्कीम ने 1 साल में 55% से 64% तक दिया रिटर्न, SIP पर भी मिला मोटा मुनाफा, क्या इनमें करना चाहिए निवेश?

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

आने वाले समय में यूएस फेड के नीतिगत फैसलों पर नजर रखनी होगी. इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप की टैक्स और ट्रे़ड से जुड़ी संभावित नीतियों का भी ग्लोबल मार्केट पर असर देखा जा रहा है, जिससे आगे भी रुपये की चाल में अस्थिरता आ सकती है. वहीं, अगर डॉलर की मजबूती कम होती है और निवेशकों का भरोसा घटता है, तो रुपये को मजबूती मिल सकती है. लेकिन फिलहाल, बाजार की अस्थिरता को देखते हुए निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है.

Us Federal Reserve Rupee Vs Us Dollar Falling Rupee Value Indian Rupee Us Fed