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SCSS account details : आप ब्याज को अपने सेविंग अकाउंट में ऑटो-क्रेडिट करवा सकते हैं. या ECS के जरिए सीधे बैंक अकाउंट में मंगा सकते हैं. (AI Image)
Senior citizen investment plan : सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS) रिटायरमेंट के बाद या वरिष्ठ नागरिकों के लिए सबसे भरोसेमंद सरकारी योजना है, जिसे आप भी अपने पैरेंट्स के नाम पर खुलवा सकते हैं. इस स्कीम के जरिए बिना किसी रिस्क के रेगुलर इनकम का इंतजाम हो जाता है. वहीं इसमें आपका मूलधन यानी डिपॉजिट की हुई रकम पूरी तरह सुरक्षित रहती है.
केंद्र सरकार ने दिसंबर तिमाही के लिए सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम (Senior Citizen Savings Scheme) पर मिलने वाले ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. इस स्कीम के जरिए आप सिगंल अकाउंट से हर 3 महीने पर 60,000 रुपये ब्याज हासिल कर सकते हैं. वहीं अगर हस्बैंड और वाइफ दोनों रिटायरमेंट के बाद इसका फायदा लेना चाहें तो यह रकम हर 3 महीने पर 1,20,000 रुपये हो जाएगी. यानी मंथली 40,000 रुपये.
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सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) : डिपॉजिट रूल
मिनिमम डिपॉजिट : 1,000 से शुरू कर सकते हैं, और यह 1,000 के मल्टीपल में होना चाहिए.
मैक्सिमम डिपॉजिट : एक व्यक्ति अपने सभी SCSS खातों में मिलाकर अधिकतम 30 लाख रुपये तक जमा कर सकता है.
पति-पत्नी दोनों के लिए नियम : पति और पत्नी दोनों अलग-अलग सिंगल अकाउंट खोल सकते हैं. साथ ही, आपस में ज्वॉइंट अकाउंट भी खोल सकते हैं.
ज्वॉइंट अकाउंट में अधिकतम 30 लाख रुपये और अकाउंट अलग अलग होने पर दोनों में अधिकतम 30 लाख रुपये जमा हो सकता है.
अगर तय सीमा से ज्यादा पैसा जमा कर दिया जाए
तो जितनी अतिरिक्त राशि जमा हुई है, वह तुरंत वापस कर दी जाएगी. इस अवधि में केवल पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट का ब्याज दर ही लागू होगा (जमा की तारीख से लेकर पैसा लौटाने की तारीख तक).
टैक्स बेनिफिट : इस योजना में निवेश आयकर कानून, 1961 की धारा 80C के तहत टैक्स छूट (tax benefit) के लिए योग्य है.
ब्याज और उसके भुगतान का नियम
सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम पर अभी 8.2 फीसदी सालाना ब्याज है.
ब्याज हर तीन महीने में अकाउंट में भेजा जाता है. यानी जमा की तारीख से अगले 31 मार्च, 30 जून, 30 सितंबर और 31 दिसंबर तक की अवधि के अनुसार.
यह ब्याज आपके सेविंग अकाउंट में अगले दिन यानी 1 अप्रैल, 1 जुलाई, 1 अक्टूबर या 1 जनवरी को जमा किया जाता है.
आप चाहें तो ब्याज को अपने सेविंग अकाउंट में ऑटो-क्रेडिट करवा सकते हैं.
या फिर ECS (इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सिस्टम) के जरिए सीधे अपने बैंक अकाउंट में ब्याज मंगवा सकते हैं.
अगर खाता धारक हर तिमाही में ब्याज नहीं निकालता, तो उस ब्याज पर अतिरिक्त ब्याज नहीं मिलेगा.
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रिटर्न टेबल : कितनी होगी रेगुलर इनकम?
Interest | 8.2% | Tenure | 5 Years | |
कुल निवेश (Rs) | 3 महीने पर ब्याज | मंथली ब्याज | कुल ब्याज | मैच्योरिटी अमाउंट |
5,00,000 | 10,250 | 3,417 | 2,05,000 | 7,05,000 |
10,00,000 | 20,500 | 6,833 | 4,10,000 | 14,10,000 |
15,00,000 | 30,750 | 10,250 | 6,15,000 | 21,15,000 |
20,00,000 | 41,000 | 13,666 | 8,20,000 | 28,20,000 |
25,00,000 | 51,250 | 17,083 | 10,25,000 | 35,25,000 |
30,00,000 | 61,500 | 20,500 | 12,30,000 | 42,30,000 |
स्कीम में अधिकतम 30,00,000 रुपये जमा करें तो मंथली 20,500 या 3 महीने पर 61,500 रुपये की कमाई कर सकते हैं.
वहीं अगर अलग अलग अकाउंट में 60,00,000 रुपये जमा करें तो कैलकुलेशन करने पर मंथली 41,000 या हर 3 महीने पर 1,23,000 रुपये इनकम होगी.
खाता बंद करने और पैसे निकालने के नियम
खाता धारक कभी भी अपना पैसा निकालकर खाता बंद कर सकता है, लेकिन नीचे दिए गए नियम लागू होंगे.
अगर खाता 1 साल से पहले बंद किया जाता है तो कोई ब्याज नहीं मिलेगा. अगर पहले ब्याज दिया गया है, तो वह कुल जमा राशि से काट लिया जाएगा. बाकी पैसा खाताधारक को वापस मिलेगा.
अगर खाता 1 साल बाद लेकिन 2 साल से पहले बंद किया जाता है तो कुल जमा राशि का 1.5% काटा जाएगा. बाकी पैसा खाताधारक को मिलेगा.
अगर खाता 2 साल बाद बंद किया जाता है तो कुल जमा राशि का 1% काटा जाएगा, बाकी राशि वापस दी जाएगी.
अगर खाता एक्सटेंड करने के बाद एक साल पूरा होने से पहले बंद किया जाता है तो भी 1% राशि काटी जाएगी.
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खाता एक्सटेंड करने के नियम
इस अकाउंट को आप जितनी बार चाहें, हर बार 3 साल की अवधि के लिए बढ़ा सकते हैं. ऐसा मैच्योरिटी की तारीख से 1 साल के भीतर किया जा सकता है.
एक्सटेंशन के लिए आपको निर्धारित फॉर्म भरकर पोस्ट ऑफिस में जमा करना होगा. खाते की नई अवधि पर वही ब्याज दर लागू होगी जो मैच्योरिटी की तारीख पर लागू थी.
टीडीएस (TDS) नियम
अगर एक वित्त वर्ष में आपके सभी खातों (SCSS समेत) से मिलने वाला कुल ब्याज निर्धारित सीमा से ज्यादा हो जाता है, तो उस पर TDS (Tax Deducted at Source) काटा जाएगा. लेकिन, अगर आप Form 15G या 15H जमा करते हैं, तो TDS नहीं काटा जाएगा.