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Gold Return : सोने की बढ़त के पीछे कारणों में जियो पॉलिटिकल टेंशन, ऑप्शंस मार्केट की सक्रियता और मुद्रा की कमजोरी प्रमुख रहे. (Image : Freepik)
Gold ETF record month : सितंबर में ETF में रिकॉर्ड मंथली निवेश ने सोने को इस साल का 39वां नया नए हाई तक पहुंचा दिया. सितंबर में सोने ने 13 नए उच्चतम स्तर बनाए. यह तेजी अक्टूबर 2025 में भी जारी है. सितंबर महीने का अंत 3,825 डॉलर प्रति आउंस पर हुआ, जो 12% की बढ़त है. साल की शुरुआत से अब तक सोने में 47% की तेजी आई है, जो किसी कैलेंडर साल में 1979 के बाद सबसे बड़ा रिटर्न है.
सोने की बढ़त के पीछे कारणों में जियो पॉलिटिकल टेंशन, ऑप्शंस मार्केट की सक्रियता और मुद्रा की कमजोरी प्रमुख रहे. सितंबर में गोल्ड ETF में नेट इनफ्लो 17.3 बिलियन डॉलर (146 टन) हुआ, जो अब तक का सबसे मजबूत महीना है.
भारत के गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) ने सितंबर 2025 में इतिहास का सबसे बड़ा मंथली निवेश दर्ज किया. इस प्रदर्शन ने एशिया में भारत को सबसे आगे रखा और दिखाया कि निवेशकों में सोने की मांग कितनी अधिक है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) के अनुसार, भारत के गोल्ड ETFs में 902 मिलियन डॉलर का नेट इनफ्लो हुआ. यह यह अगस्त 2025 के 232 मिलियन डॉलर की तुलना में 285% की बढ़त है. यह लगातार चौथा महीना है, जब गोल्ड ETFs में निवेश बढ़ा है. 2025 में मार्च और मई को छोड़कर हर महीने इस कैटेगरी में पॉजिटिव इनफ्लो देखने को मिला.
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भारत की ग्लोबल रैंकिंग
सितंबर में ETF निवेश में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर रहा.
अमेरिका: $10.3 बिलियन
यूके: $2.23 बिलियन
स्विट्जरलैंड: $1.09 बिलियन
ग्लोबल गोल्ड ETF निवेश कुल मिला कर 17.3 बिलियन डॉलर रहा.
साल 2025 की स्थिति
2025 में अब तक भारत के गोल्ड ETFs में कुल 2.18 बिलियन डॉलर इनफ्लो हो चुका है. यह किसी भी साल के लिए अब तक का सर्वोच्च रिकॉर्ड है.
पिछली सालों के आंकड़े
2024 : 1.29 बिलियन डॉलर
2023 : 310 मिलियन डॉलर
2022 : 33 मिलियन डॉलर
सोने की कीमतें और नया हाई
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सितंबर ने गोल्ड ने बनाया 13 नया हाई
सितंबर में राजनीतिक तनाव, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी, और निवेशकों की बढ़ती मांग ने सोने की कीमतों को नए ऑल-टाइम हाई तक पहुंचा दिया. सितंबर में सोने ने 13 नए उच्चतम स्तर बनाए. यह तेजी अक्टूबर 2025 में भी जारी है.
सोने में निवेश के प्रति भारतीय निवेशकों का उत्साह लगातार बढ़ रहा है. गोल्ड ETFs न सिर्फ निवेशकों के लिए सुरक्षित विकल्प हैं, बल्कि वे हाईच रिटर्न की संभावना भी देते हैं.
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शेयर बाजार में फिर से उतार-चढ़ाव
अक्टूबर को शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर बिकवाली के लिए जाना जाता है, और इस समय जोखिम काफी ज्यादा रहते हैं. सोना आम तौर पर एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन अब यह थोड़ा महंगा लग रहा है, इसलिए इसमें और कितनी तेजी आएगी, इसे लेकर गोल्ड का क्षमता पर सवाल हो सकते हैं.
इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर का ओवरसोल्ड होना, सोने के लिए खतरा पैदा कर सकता है, अगर डॉलर में अचानक दबाव आए.
लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का एनालिसिस बताता है कि ये चिंताएं ज़रूरी नहीं हैं और अगर लिक्विडिटी की कमी नहीं होती, तो सोने की सुरक्षा और हेजिंग क्षमता बनी रहती है.
सामान्य रूप से देखा जाए तो, सितंबर अमेरिकी शेयरों के लिए सबसे कमजोर महीना होता है, और अक्टूबर में बड़ी गिरावट देखने को मिलती है. इसलिए यह समय शेयर निवेशकों के लिए नर्वस यानी तनावपूर्ण होता है.
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सोना अभी क्यों बेहतर विकल्प
शेयर बाजार के लिए अभी कुछ निगेटिव प्वॉइंट हैं , क्योंकि शेयरों की कीमतें बहुत ऊंची हैं, कंपनियों की कमाई के अनुमान संतुलित दिख रहे हैं, बाजार में कुछ कंपनियों का प्रभुत्व है, टेक्निकल रेड फ्लैग और एक्सटेंडेड पोजीशन इसकी प्रमुख वजह हैं.
इसलिए सोना लंबी अवधि के लिए एक अच्छा विकल्प है और शेयर बाजार की गिरावट के समय शॉर्ट टर्म हेज भी. लेकिन क्योंकि सोना एक कांट्रैक्चुअल हेज नहीं है, इसलिए शेयर बाजार में गिरावट के समय सोने का अच्छा प्रदर्शन सुनिश्चित नहीं है.
सोने की क्षमता : अब सोने में कितना दम बचा है?
कुछ लोग सोच रहे हैं कि सोना बहुत महंगा हो चुका है. इसमें कुछ हद तक सचाई भी हो सकती है. लेकिन लंबी अवधि के लिए यह बेहतर विकल्प है. सेंट्रल बैंक ने पिछले तीन सालों में अक्सर कीमत गिरने पर सोना खरीदा है. ऐसा ही अन्य निवेशक भी कर रहे हैं.
उदाहरण के लिए, 30 सितंबर को सोने में छोटा सेल ऑफ हुआ, लेकिन यह जल्दी फिर से ऊपर लौट गया. इसका मतलब है कि इस स्तर पर भी निवेशक इंतजार कर रहे हैं.
कुछ प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से निवेशक सोने की ओर देख रहे हैं, जैसे :
अमेरिका में सरकार के विवाद, जैसे अक्टूबर की शुरुआत में शटडाउन
व्यापारिक तनाव (ट्रेड टेंशन) कम नहीं हो रहे
रोजगार की अस्थिर स्थिति और महंगाई का डर
जियो-पॉलिटिकल टेंशन
शेयर बाजार में अनिश्चितता
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार सोना अपनी जगह बनाए रखेगा, अगर शेयर बाजार में कोई गिरावट आती है तो सोने में और तेजी देखी जा सकती है. सिर्फ एक बड़ा लिक्विडिटी संकट ही सोने को प्रभावित कर सकता है. लेकिन अभी तक क्रेडिट या बैंकिंग सेक्टर में कोई स्पष्ट समस्या नहीं दिखाई दे रही है.