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Gold ETF vs Physical Gold : फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF के लिए तय होंगे अलग रेट और नियम ? इस मांग पर सरकार ने दिया ये जवाब

Gold ETF vs Physical Gold : क्या फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF के लिए अलग-अलग नियम या रेट्स तय किए जा सकते हैं? संसद में पूछे गए इस सवाल पर सरकार ने क्या कहा?

Gold ETF vs Physical Gold : क्या फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF के लिए अलग-अलग नियम या रेट्स तय किए जा सकते हैं? संसद में पूछे गए इस सवाल पर सरकार ने क्या कहा?

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FE Hindi Desk
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Gold ETF vs Physical Gold: क्या सरकार फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF के लिए अलग-अलग नियम या रेट्स तय करेगी? (AI Generated Image)

Gold ETF vs Physical Gold : पिछले एक साल में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है, जिसने आम लोगों की जेब पर बड़ा असर डाला है. शादी-ब्याह जैसे मौकों पर सोना खरीदना अब मिडिल क्लास परिवारों के लिए और मुश्किल हो गया है. इसी मुद्दे को संसद में उठाया गया और सरकार से सवाल पूछा गया कि क्या फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF के लिए अलग-अलग नियम या रेट्स तय किए जा सकते हैं ताकि फिजिकल गोल्ड खरीदने वालों को प्राइस वॉलेटिलिटी से कुछ राहत मिल सके.

संसद में सरकार से पूछा गया सवाल

राज्यसभा में सांसद रामजी लाल सुमन ने सवाल उठाया कि “क्या सरकार फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF के लिए अलग-अलग नियम या रेट्स तय करने पर विचार करेगी ताकि फिजिकल गोल्ड खरीदने वालों को कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव से बचाया जा सके?”

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अलग नियम बनाने की योजना नहीं

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ किया कि गोल्ड ETF की कीमतें सीधे फिजिकल गोल्ड से जुड़ी होती हैं. उन्होंने बताया कि गोल्ड ETF को SEBI (Mutual Funds) Regulations, 1996 के तहत लॉन्च और मैनेज किया जाता है. इन स्कीम्स का निवेश नियम यह है कि ये फिजिकल गोल्ड और एक्सचेंज ट्रेडेड गोल्ड डेरिवेटिव्स में निवेश करती हैं. ऐसे में ETF की कीमत फिजिकल गोल्ड पर ही निर्भर करती है. अगर फिजिकल गोल्ड महंगा होगा तो ETF का रिटर्न भी उसी अनुपात में बढ़ेगा और गिरावट की स्थिति में ETF पर भी वैसा ही असर पड़ेगा.

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फिजिकल गोल्ड बनाम गोल्ड ETF

फिजिकल गोल्ड यानी ईंट, सिक्के या गहनों के रूप में खरीदा गया सोना—यह परंपरागत रूप से निवेश और खरीद का सबसे लोकप्रिय साधन रहा है. दूसरी ओर, गोल्ड ETF (Exchange Traded Fund) म्यूचुअल फंड की एक स्कीम होती है जिसमें निवेशक शेयरों की तरह डिमैट अकाउंट से निवेश करते हैं. यह डिजिटल फॉर्म में सोना खरीदने का आसान विकल्प है जिसमें निवेशकों को गोल्ड की सुरक्षा या मेकिंग चार्जेज की चिंता नहीं करनी पड़ती.

लेकिन कीमतों के मामले में दोनों में खास फर्क नहीं है. क्योंकि ETF का वैल्यू फिजिकल गोल्ड की कीमतों से तय होता है, इसलिए दोनों में लगभग एक जैसी बढ़त या गिरावट देखने को मिलती है.

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सोने की कीमतों में बड़ी छलांग

इस समय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतों में जोरदार उछाल दर्ज किया गया है. मंगलवार को बुलियन मार्केट में 99.9% शुद्धता वाला सोना 1,01,695 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया. यानी एक साल में सोना 40% से ज्यादा महंगा हो गया है.

इस उछाल की प्रमुख वजहें हैं—अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक तनाव, डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में उतार-चढ़ाव, सेंट्रल बैंकों की लगातार गोल्ड खरीद और घरेलू स्तर पर बढ़ती मांग.

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गोल्ड ETF का हाई रिटर्न

क्योंकि गोल्ड ETF की कीमत फिजिकल गोल्ड से जुड़ी है, इसलिए पिछले एक साल में गोल्ड ETF ने भी लगभग 40% तक का रिटर्न दिया है.

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले गोल्ड ETF में शामिल हैं:

  • UTI Gold ETF

  • LIC Mutual Fund Gold ETF

  • ICICI Prudential Gold ETF

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संसद में सरकार के बयान से साफ है कि फिलहाल फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ETF के लिए अलग-अलग नियम बनाने की कोई योजना नहीं है. दोनों की कीमतें गहराई से जुड़ी हैं और इनका उतार-चढ़ाव अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है.

निवेशकों और खरीदारों के लिए यह समझना जरूरी है कि चाहे फिजिकल गोल्ड हो या ETF, दोनों पर सोने की ग्लोबल प्राइस का सीधा असर पड़ता है. ऐसे में निवेशक अपनी जरूरत और सुविधा के हिसाब से विकल्प चुन सकते हैं. परंपरा और भावनात्मक मूल्य के लिए फिजिकल गोल्ड सही है, वहीं सुरक्षा और बेहतर रिटर्न के लिहाज से गोल्ड ETF एक आधुनिक विकल्प बनकर उभरा है.

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