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Stock Market Crash : बाजार के बुरे दौर में भी होते हैं कुछ बेहतर दिन, क्या निवेश बनाए रखने पर मिलता है फायदा?

Stock Market in Bear Phase : शेयर बाजार में लगातार गिरावट निवेशकों का टेंशन बढ़ा रही है. मौजूदा करेक्‍शन 5 महीने से ज्‍यादा समय से चल रहा है. इस दौरान प्रमुख इंडेक्‍स सेंसेक्‍स और निफ्टी सितंबर 2024 में बनाए गए अपने पीक से 15% टूट चुके हैं.

Stock Market in Bear Phase : शेयर बाजार में लगातार गिरावट निवेशकों का टेंशन बढ़ा रही है. मौजूदा करेक्‍शन 5 महीने से ज्‍यादा समय से चल रहा है. इस दौरान प्रमुख इंडेक्‍स सेंसेक्‍स और निफ्टी सितंबर 2024 में बनाए गए अपने पीक से 15% टूट चुके हैं.

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Sushil Tripathi
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Investors : मंदी के दौर में शांत रहें और सिर्फ दूसरों की देखा देखी या घबराहट में शेयर न बेचें. इसकी बजाय अपने लक्ष्य की ओर देखें. (Image : Freepik)

Investing in bad market phase : शेयर बाजार में लगातार गिरावट निवेशकों का टेंशन बढ़ा रही है. मौजूदा करेक्‍शन की बात करें तो यह दौर 5 महीने से ज्‍यादा समय से चल रहा है. इस दौरान दोनों प्रमुख इंडेक्‍स सेंसेक्‍स और निफ्टी सितंबर 2024 में बनाए गए अपने पीक से 15 फीसदी टूट चुके हैं. वहीं मिडकैप में सितंबर 2024 के पीक से 22 फीसदी और स्‍मॉलकैप इंडेक्‍स में दिसंबर 2024 के पीक से 25 फीसदी के करीब गिरावट आ चुकी है. ऐसे में निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है और उनका पैनिक होना स्‍वाभाविक है. तो क्‍या उन्‍हें घाटे में चल रहे पोर्टफोलियो से बाहर आ जाना चाहिए या बाजार के बैड टाइम में भी अपना निवेश बनाए रखकर बेस्‍ट डे का बेनेफिट उठाना चाहिए. 

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पहले भी कई बार आ चुकी है ऐसी गिरावट

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बीते 20 से 25 सालों में ऐसा कई बार हुआ है, जब बाजार ने इस तरह की बड़ी मंदी देखी है, लेकिन मंदी के बाद हर बार बाजार में तेजी का भी दौर चलता है. हाल में साल 2020 में कोविड-19 का उदाहरण लें, जिस दौरान बाजार में भारी गिरावट आई थी. उस दौरान बाजार में 40 फीसदी से ज्‍यादा गिरावट आई. लेकिन एक बार जब बाजार ने रिकवरी शुरू की तो सितंबर 2024 आते आते सेंसेक्‍स और निफ्टी  ने नई ऊंचाइयां देखीं.

साल 2008 की मंदी, साल 2006 में एफआईआई व डीआईआई की बिकवाली, 2013 में विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में भारी बिकवाली, साल 2000 में डॉट कॉम बबल के फटने और इसी तरह 1993 में हर्षद मेहता घोटाला सामने आने के बाद बाजार में भारी गिरावट का दौर चला. लेकिन हर बार बाजार उभरकर सामने आया और नए हाई तक पहुंचा. 

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बुरे दौर में भी बेस्ट डे

FundsIndia Research रिपोर्ट बताती है कि निवेशकों को इस तरह के माहौल में घबराने की बजाय बाजार के सबसे अच्छे दिनों का इंतजार करना चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार 1995 के बाद से अबतक ऐसे कई फेज आए हैं, मसलन वैश्विक मंदी, कोविड 19, ग्लोबल रेट हाइक सेल आफ या चुनावों को लेकर अनिश्चितताएं. लेकिन इस दौरान भी बाजार ने कुछ बेहतरीन दिन देखे हैं, जिनमें बाजार ने हाई रिटर्न दिया है

2006 : FII & DII की बिकवाली
बाजार में गिरावट : 30 फीसदी
बेस्ट डे : 15 जून, 2006 (6.3% सालाना), 9 जून, 2006 (5.2% सालाना), 30 जून, 2006 (4.4% सालाना)

2006: ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस
बाजार में गिरावट : 60 फीसदी
बेस्ट डे : 18 मई, 2009 (17.7% सालाना), 31 अक्टूबर, 2008 (7.0% सालाना), 25 जनवरी, 2008 (7.0% सालाना), 13 अक्टूबर, 2008 (6.4% सालाना)

2020: कोविड 19 महामारी
बाजार में गिरावट : 40 फीसदी
बेस्ट डे : 7 अप्रैल, 2020 (8.8% सालाना), 25 मार्च, 2020 (6.6% सालाना), 20 मार्च, 2020 (5.8% सालाना)

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बेस्ट डे चूकने से रिटर्न पर असर

FundsIndia Research रिपोर्ट ने 1995 से 2024 के बीच यानी 19 साल से ज्यादा समय के दौरान बेस्ट डे चूकने से रिटर्न पर असर की जानकारी दी है. यहां Nifty 50 TRI में 2005 से 2024 YTD तक 10 लाख रुपये के निवेश पर रिटर्न का कैलकुलेशन किया गया है. 

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10 लाख रुपये के बदले कितना मिला

पूरे समय बाजार में बने रहे : 1.46 करोड़ रुपये (14.5% सालाना)
बाजार के बेस्ट 5 दिन चूक गए : 94 लाख रुपये (11.9% सालाना)
बाजार के बेस्ट 10 दिन चूक गए : 69 लाख रुपये (10.2% सालाना)
बाजार के बेस्ट 15 दिन चूक गए : 52 लाख रुपये (8.7% सालाना)
बाजार के बेस्ट 20 दिन चूक गए : 40 लाख रुपये (7.3% सालाना)
बाजार के बेस्ट 25 दिन चूक गए : 32 लाख रुपये (6.0% सालाना)
बाजार के बेस्ट 30 दिन चूक गए : 25 लाख रुपये (4.8% सालाना)
बाजार के बेस्ट 40 दिन चूक गए : 17 लाख रुपये (2.7% सालाना)
बाजार के बेस्ट 50 दिन चूक गए : 12 लाख रुपये (0.8% सालाना)

साफ है कि इस दौरान अगर 10 बेस्‍ट डे चूक गए तो रिटर्न आधा हो गया. वहीं 20 बस्‍ट डे चूकने पर रिटर्न करीब एक चौथाई रह गया.जबकि 50 दिन चूकने पर रिटर्न में 12 गुना से ज्‍यादा मी आ गई. 

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गिरावट के बाद तेजी : उदाहरण से समझें

एक रिपोर्ट के अनुसाार इंडियन मार्केट के लिए बिगेस्ट बुल मार्केट 2003 - 2007 के बीच रही, जबकि इस दौरान निफ्टी ने 214% रिटर्न जेनरेट किया. 5 साल में लार्जकैप का CAGR 35% रहा था. जबकि 2003 में इंट्रा ईयर मार्केट फाल 14 फीसदी था. यानी अगर किसी ने 2003 में अपना पूरा निवेश निकाल लिया होगा तो उसे 214 फीसदी रिटर्न से हाथ धोना पड़ा. इसका मतलब है कि उस गिरावट के दौर में बाजार में निवेश बनाए रखना मुनाफे की डील साबित हुआ. 

मंदी के दौर में निवेशक क्या करें

मोतीलाल ओसवाल की हालियार रिपोर्ट के अनुसार बाजार के लिए खराब साल के बाद अच्छे साल भी आते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड की बात करें तो बहुत से निवेशक 5 साल भी इंतजार नहीं कर पाते. जब बाजार बुल पर सवार होता है तो वे निवेश करते रहते हैं, लेकिन जब बाजार में करेक्‍शन आता है, तो वे निवेश भुनाने में समझदारी मानते हैं. यही गलत स्‍ट्रैटेजी है, जिसके चलते बहुत से निवेशकों को फायदा नहीं मिल पा रहा है. मोतीलाल ओसवाल के अनुसार कम से कम 7 साल तक धैर्य बनाए रखें तो आपको अपने निवेश पर हाई रिटर्न मिलने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं. 

· मंदी के दौर में शांत रहें और सिर्फ दूसरों की देखा देखी या घबराहट में शेयर न बेचें.

· बाजार में क्या हो रहा है, इसकी परवाह किए बिना, एक लक्ष्य बनाकर निवेश करने की रणनीति का पालन करें.

· आपका वर्तमान एसेट एलोकेशन अपने लक्ष्य से भटक गया है या भटक रहा है, तो एक फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेकर अपने एसेट एलोकेशन में जरूरी बदलाव कर बेहतर रिजल्ट हासिल कर सकते हैं.

· आप अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने पर उस समय विचार कर सकते हैं, जब आपका पोर्टफोलियो बेहतर प्रदर्शन न कर रहा हो या उसी कैटेगरी की दूसरी स्कीम या अपने बेंचमार्क की तुलना में कमजोर प्रदर्शन कर रहा हो. 

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