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Silver tax Guide : घर में कितनी रख सकते हैं चांदी, इससे होने वाली कमाई पर कैसे लगता है टैक्स

Tax on Silver : चांदी पर टैक्स के नियम की बात करें तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने फिजिकल सिल्‍वर खरीदी है या सिल्वर ETF या सिल्‍वर म्यूचुअल फंड में निवेश किया है, और आपने इसे कितने समय तक रखा है

Tax on Silver : चांदी पर टैक्स के नियम की बात करें तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने फिजिकल सिल्‍वर खरीदी है या सिल्वर ETF या सिल्‍वर म्यूचुअल फंड में निवेश किया है, और आपने इसे कितने समय तक रखा है

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Sushil Tripathi
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Silver Taxation Rules : इस साल चांदी का रिटर्न 80 फीसदी से अधिक रहा है. इससे निवेशकों के बीच चांदी की डिमांड बढ़ रही है (File Photo : Reuters)

Tax on physical silver, silver ETFs and silver mutual funds : निवेश की दुनिया में सोना (Gold) के साथ एक और एसेट क्लास सबसे ज्यादा चर्चा में है, जो है चांदी (Silver). वजह इसमें मिल रहा सुपर रिटर्न. साल 2025 में रिटर्न के मामले में चांदी ने सोने को पीछे छोड़ दिया है. इस साल चांदी का रिटर्न 80 फीसदी से अधिक रहा है. इससे निवेशकों के बीच चांदी की डिमांड बढ़ रही है, चाहे वह किसी भी फॉर्मेट में हो. तो यहां 2 बातें समझ लेना जरूरी है कि आप अपने घर में अधिक से अधिक कितना चांदी रख सकते हैं, ताकि इनकम टैक्स दिपर्टमेंट का कोई झंझट न हो. वहीं इससे होने वाली कमाई पर कितना टैक्स लगता है.       

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चांदी रखने पर लिमिट नहीं, लेकिन ध्यान रहे....

सोने की तरह, चांदी (जैसे सिक्के, गहने, बर्तन आदि) रखने पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत कोई सीमा तय नहीं की गई है. अगर चांदी कानूनी तरीके से खरीदी गई या विरासत में मिली है, तो उस पर कोई रोक नहीं है. टैक्स तभी लगता है जब आप चांदी बेचते हैं और उस पर कैपिटल गेंस (लाभ) कमाते हैं. टैक्स सिर्फ बिक्री पर या छुपाई गई संपत्ति पाए जाने पर लगता है.

हालांकि घर पर कितनी भी चांदी रखने की सीमा नहीं है, लेकिन अगर आपके पास ज्यादा चांदी है, तो उसकी खरीद के प्रमाण (बिल या रसीद) संभाल कर रखना बेहतर है. अगर आपने चांदी किसी ज्वेलर, डीलर या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से खरीदी है, तो उसका असली बिल जरूर रखें. भविष्य में अगर कभी इनकम टैक्स विभाग जांच करता है, तो ये दस्तावेज आपके लिए सुरक्षा कवच बन सकते हैं.

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चांदी से होने वाली कमाई पर कितना है टैक्स?

चांदी पर टैक्स के नियम की बात करें तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने फिजिकल सिल्‍वर (जैसे गहने, सिक्के, बार) खरीदी है या सिल्वर ETF (Silver ETF) या सिल्‍वर म्यूचुअल फंड में निवेश किया है, और आपने इसे कितने समय तक रखा है. इसलिए, टैक्स के नियम समझना जरूरी है ताकि आप सही निवेश निर्णय ले सकें.

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फिजिकल फार्म में चांदी पर टैक्स

अगर आपने चांदी के गहने या सिक्‍के को 24 महीने से पहले बेच दिया, तो उस पर हुआ लाभ शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस (STCG) माना जाएगा और यह आपकी इनकम टैक्‍स स्लैब की दर के अनुसार टैक्स होगा. लेकिन आपने चांदी को 24 महीने से ज्यादा समय तक रखा, तो यह लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) माना जाएगा. अगर चांदी 23 जुलाई 2024 या उसके बाद खरीदी गई है, तो इस पर 12.5% टैक्स लगेगा और इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा. वहीं 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी चांदी पर 20% लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा इंडेक्सेशन के साथ.

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सिल्वर म्यूचुअल फंड और ETF पर टैक्स

अगर आपने सिल्वर ETF या म्यूचुअल फंड को 12 महीने के अंदर बेचा, तो यह STCG माना जाएगा और इनकम टैक्‍स स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगेगा.

अगर 12 महीने से बाद बेचा, तो यह LTCG माना जाएगा और 12.5% टैक्स लगेगा, बिना इंडेक्सेशन बेनेफिट के. 

चांदी की ज्‍वैलरी, बिस्‍कुट और सिक्कों पर टैक्‍स 

चांदी (बार, सिक्के या गहने) के मूल्य पर 3 फीसदी GST लगता है. जबकि गहनों के मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी GST लगाया जाता है.

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं. पुराना प्रदर्शन भविष्य में भी जारी रहे, इसकी गारंटी नहीं है. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने के बाद और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेकर ही करें.)

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