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Mutual Fund Tips : म्यूचुअल फंड में SIP पोर्टफोलियो जब निवेशकों को नुकसान कराने लगता है तो खासतौर से नए निवेशक घबरा जाते हैं. (Pixabay)
Losing Money in Mutual Funds : जब म्यूचुअल फंड निवेशक अधिक रिटर्न चाहते हैं, तो वे इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेशकों का पैसा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है. इक्विटी फंड असल में इक्विटी मार्केट से जुड़े होते हैं, इसलिए इनमें रिस्क मौजूद होता है. वैसे तो म्यूचुअल फंड में अगर SIP के जरिए लंबी अवधि के लक्ष्य के साथ निवेश करें तो निवेशकों को हाई रिटर्न मिलने के चांस ज्यादा होते हैं. लेकिन कुछ मामलों में म्यूचुअल फंड में भी निवेशकों को नुकसान होने की संभावना रहती है.
म्यूचुअल फंड में एसआईपी पोर्टफोलियो जब निवेशकों को नुकसान कराने लगता है तो कई बार खासतौर से नए निवेशक घबरा जाते हैं और वे अपनी यूनिट बेचने लगते हैं या अपना पूरा निवेश ही निकाल लेते हैं. लेकिन ये कदम उन निवेशकों के फाइनेंशियल प्लानिंग को बिगाड़ सकता है और वे अपने लक्ष्य से पीछे रह जाते हैं. एक्सपर्ट घबराकर यूनिट सेल करने या गलत निर्णय लेने की बजाए, इन मामलों में ऐसे उपाय पर ध्यान देने की बात करते हैं, जिससे पहले तो आपका रिटर्न वापस पटरी पर लौट आए, फिर उनके द्वारा तय किया गया लक्ष्य भी पूरा हो सके.
1. धैर्य रखें और मन को शांत रखें
सफल निवेश के लिए यह पहला कदम है कि चुनौतियों में भी मन को शांत रखते हुए धैर्य बनाए रखें. शेयर बाजार में उतार चढ़ाव एक आम घटना है, जो समय समय पर देखने को मिलता है. लेकिन लंबी अवधि की हिस्ट्री देखें तो बाजार अच्छा प्रदर्शन करते हैं. शॉर्ट टर्म में, अस्थिरता के कारण कीमत ऊपर और नीचे जाती है. जहां शॉर्ट टर्म में अस्थिरता के चलते म्यूचुअल फंड में नुकसान होता है, वहीं अगर आप लंबी अवधि पर नजर डालें तो 3-4 साल की होल्डिंग के बाद पॉजिटिव रिटर्न ही देखने को मिलता है.
2. जल्दबाजी में यूनिट बेचने से बचें
आप गिर रहे बाजार में म्यूचुअल फंड में छोटी अवधि के दौरान नुकसान उठा सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह है कि आपको अपना निवेश भुना लेना चाहिए. निवेश से एक साल पहले भुनाए जाने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड पर ज्यादातर मामलों में 1% का एक्जिट लोड लगता है.
कुछ निवेशकों का मानना ​​है कि जब म्यूचुअल फंड की वैल्यू नीचे जाए तो वे अपना पैसा इससे निकाल सकते हैं, लेकिन इसका रिजल्ट ठीक नहीं होता है. SIP आपको बाजार के टाइमिंग से मुक्त कर देता है. जब बाजार नीचे होता है तो यह आपके लिए अधिक यूनिट खरीदने के लिए रुपये की औसत लागत का भी लाभ उठाता है.
3. अपने फंड के प्रदर्शन की दूसरे फंड के साथ तुलना करें
निगेटिव रिटर्न आने पर अपने म्यूचुअल फंड स्कीम की उसी कैटेगरी में और अन्य कैटेगरी में दूसरे म्यूचुअल फंड स्कीम के साथ तुलना करें. अगर आप देखते हैं कि बेस्ट रेटिंग वाले फंडों की तुलना में आपके म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन थोड़ा ही खराब है, तो स्विच करना आवश्यक नहीं होगा. अगर प्रदर्शन में बहुत ज्यादा अंतर है तो स्विच करने के पहले एडवाइजर की सलाह लें.
4. बाजार का ट्रेंड पहचानें
अगर इक्विटी की बात करें तो स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव बाजार के सामान्य ट्रेंड के कारण होते हैं. जब आप ट्रेंड के सही पक्ष में होते हैं, तो आपके लिए कंपाउंडिंग काम करती है, चाहे वह चढ़ रहा बाजार हो या गिर रहा बाजार. इसलिए, पहला कदम बाजार के सही ट्रेंड का आकलन करना है, आपको पहचानना होगा कि बाजार में बुल ट्रेंड में या बियर ट्रेंड में. फिर उसी ट्रेंड के साथ निवेश करें.
5. डाइवर्सिटी
सफल निवेश के लिए डाइवर्सिटी भी बहुत जरूरी है. इसी वजह से म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय हमेशा पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइड करने पर जोर देना चाहिए. इसके लिए अलग अलग कैटेगरी के फंड पर विचार कर सकते हें. मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप को भी पोर्टफोलियो में रखने पर विचार कर सकते हैं.
6. सेक्टर और स्टॉक का रिसर्च करें
अगर आप किसी सेक्टर या निवेश के विकल्प में सिर्फ मिलने वाले रिटर्न को देखकर पैसा लगाते हैं तो यह सही तरीका नहीं है. कुछ समय तक हाई रिटर्न देने वाला विकल्प अगले कुछ दिनों में निगेटिव रिटर्न भी दे सकता है. इसलिए पहले आप रिचर्स करें कि जिस फंड में पैसे लगा रहे हैं, उसके पोर्टफोलियो में किन कंपनियों के शेयर हैं. उन कंपनियों में हाई ग्रोथ के साथ लंबी अवधि तक मार्केट में आगे बने रहने की क्षमता है या नहीं. उसके बाद उस फंड के बारे में मसलन उसके पिछले प्रदर्शन, आउटलुक और एक्सपेंस रेश्यो की तुलना करनी चाहिए. निवेश के पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से भी सलाह लें.
(Source: Financial Websites Blog)