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SIP Q and A : एसआईपी से जुड़े 7 सवाल, जवाब में छिपी है फायदे की बात

SIP Investment : एसआईपी के जरिये किए गए निवेश से पूरा फायदा लेना है, तो इन 7 सवालों के जवाब अच्छी तरह समझना जरूरी है. तभी आप निवेश की इस रणनीति पर सही ढंग से अमल कर पाएंगे.

SIP Investment : एसआईपी के जरिये किए गए निवेश से पूरा फायदा लेना है, तो इन 7 सवालों के जवाब अच्छी तरह समझना जरूरी है. तभी आप निवेश की इस रणनीति पर सही ढंग से अमल कर पाएंगे.

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Viplav Rahi
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Mutual Fund SIP : रिटेल इनवेस्टर बड़े पैमाने पर एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड्स में पैसे लगाते हैं. लेकिन क्या वे एसआईपी को अच्छी तरह समझते भी हैं? (Image : Pixabay)

Mutual Fund SIP : सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP, म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक पॉपुलर तरीका है. रिटेल इनवेस्टर बड़े पैमाने पर एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड्स में पैसे लगाते हैं. लेकिन क्या ज्यादातर निवेशक एसआईपी के जरिये निवेश की रणनीति को ठीक से समझते हैं? पिछले दिनों शेयर बाजार में गिरावट के दौरान अधिकांश फंड्स के SIP रिटर्न भी घटे. उस पर निवेशकों के बीच जिस तरह से घबराहट देखने को मिली और लोग एसआईपी को कटघरे में खड़ा करने लगे, उसे देखकर तो यही लगता है कि इस बारे में और अधिक समझदारी बनाने की जरूरत है. अगर रिटेल निवेशकों को एसआईपी के जरिये निवेश का पूरा फायदा उठाना है, तो उनके लिए निवेश के इस तरीके को सही संदर्भ में समझना और उससे जुड़ी गलतफहमियों को दूर करना जरूरी है. 

1. SIP क्या एक अलग इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है?

बहुत सारे इनवेस्टर SIP को एक अलग इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट समझ लेते हैं. जबकि सच ये है कि SIP कोई अलग इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट नहीं है. दरअसल, सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान किसी भी म्यूचुअल फंड में डिसिप्लिन के साथ रेगुलर इनवेस्टमेंट करने का एक तरीका है. ऐसा तरीका, जो निवेश करने की प्रक्रिया को आम निवेशकों के लिए आसान और सुविधाजनक बना देता है. साथ ही इसके जरिये रेगुलर इनवेस्टमेंट का डिसिप्लीन यानी अनुशासन भी मेंटेन किया जा सकता है. SIP का मतलब है, आपके चुने हुए इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट यानी म्यूचुअल फंड स्कीम में, पहले से तय अंतर पर (मसलन, हर महीने या 3 महीने में) एक निश्चित रकम निवेश करना. यानी इसमें एक फिक्स्ड रकम, पहले से तय फ्रीक्वेंसी के हिसाब से आपके चुने हुए म्यूचुअल फंड में निवेश कर दी जाती है. यानी असल में आपका फंड या चुनी हुई स्कीम ही इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है, जबकि एसआईपी तो सिर्फ उसमें पैसे लगाने का एक सुविधाजनक और बेहतर तरीका है.

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2. SIP क्या एक अलग एसेट क्लास है? 

नहीं. SIP कोई अलग एसेट क्लास नहीं है. लेकिन एसआईपी के जरिये आप अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करने वाले फंड्स में पैसे जरूर लगा सकते हैं. मिसाल के तौर पर अगर आप गोल्ड फंड में एसआईपी करते हैं, तो आपके पैसे उस फंड के जरिये गोल्ड में निवेश होते हैं. यानी SIP कोई अलग एसेट क्लास नहीं, बल्कि इनवेस्टमेंट का तरीका है. कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे पोस्ट ऑफिस या बैंक में आप रिकरिंग डिपॉजिट के जरिये पैसे जमा करते हैं.

3. SIP से तय होता है कम या ज्यादा रिटर्न? 

SIP के जरिये किए जाने वाले निवेश पर आपको कितना रिटर्न मिलेगा, यह उस फंड के परफॉर्मेंस से तय होता है, जिसमें आप पैसे डाल रहे हैं. एसआईपी को निवेश का बेहतर तरीका इसलिए माना जाता है, क्योंकि इसमें निवेश की टाइमिंग का टेंशन नहीं रहता है. यानी एक साथ पूरे पैसे लगाने की तुलना में एसआईपी के जरिये थोड़े-थोड़े करके पैसे डालने पर इनवेस्टमेंट की टाइमिंग से जुड़ा रिस्क कम हो जाता है. इसका फायदा लंबे अरसे में मिलता है. लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि एसआईपी के जरिये निवेश करने पर मिलने वाला रिटर्न लंपसम यानी एकमुश्त निवेश के रिटर्न से हमेशा ज्यादा या कम ही होगा. इसकी वजह ये है कि लंपसम इनवेस्टमेंट का रिटर्न किसी हद तक निवेश की टाइमिंग पर भी निर्भर रहता है. एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने पर रिटर्न की कोई गारंटी भी नहीं होती. इसका रिटर्न पूरी तरह उस म्यूचुअल फंड स्कीम के प्रदर्शन पर निर्भर है, जिसे आपने सेलेक्ट किया है.

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4. SIP क्या सिर्फ छोटे निवेशकों के लिए है?

SIP की बड़ी खूबी है कि आप इसके माध्यम से हर महीने सिर्फ 500 रुपये या उससे भी छोटी रकम से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं कि SIP सिर्फ छोटे निवेशकों के लिए है. सच तो यह है कि SIP में इनवेस्टमेंट की कोई अपर लिमिट यानी ऊपरी सीमा नहीं होती. इसलिए बड़ी पूंजी लगाने वाले हाई नेटवर्थ निवेशक (HNIs) भी SIP के जरिये निवेश करते हैं. उनकी SIP में दिलचस्पी इसलिए रहती है, क्योंकि इसके जरिये पैसे लगाने पर बाजार के उतार-चढ़ाव से फायदा होता है. मार्केट चढ़ने पर एसआईपी की रकम में कम यूनिट्स मिलती हैं, लेकिन जब बाजार गिरता है, तो एसआईपी के उसी फिक्स अमाउंट में ज्यादा यूनिट्स मिल जाती हैं. इस तरह लंबे अरसे के दौरान निवेश की एवरेज प्रति यूनिट कॉस्ट कम हो जाती है. इसी को रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee-Cost Averaging) कहा जाता है, जो SIP की सबसे बड़ी खूबी है.

5. SIP क्या सिर्फ इक्विटी फंड्स के लिए है?

ऐसा सोचना सही नहीं है कि SIP के जरिये सिर्फ इक्विटी फंड्स में ही निवेश किया जा सकता है. SIP का इस्तेमाल आप डेट फंड्स (Debt Funds) या हाइब्रिड फंड्स से लेकर गोल्ड फंड तक, किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसे लगाने के लिए कर सकते हैं. डेट फंड्स में SIP के जरिये इनवेस्ट करना, कुछ-कुछ वैसा ही है, जैसे बैंक या पोस्ट ऑफिस के रिकरिंग डिपॉजिट (RD) में पैसे लगाना. डेट फंड्स में आमतौर पर इक्विटी फंड्स के मुकाबले ज्यादा स्टेबल रिटर्न मिलते हैं. इसलिए डेट फंड में एसआईपी करना उन निवेशकों के लिए बेहतर रहता है, जो ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते या जो शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं.

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6. SIP के साथ क्या हमेशा लॉक इन पीरियड जुड़ा होता है?

टैक्स सेविंग इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) में किए गए निवेश पर 3 साल का लॉक-इन पीरियड लागू होता है, जबकि रिटायरमेंट फंड्स और चिल्ड्रेंस फंड्स में 5 साल का लॉक-इन होता है. यह लॉक-इन इन स्कीम्स में SIP के जरिये निवेश करने पर भी लागू रहता है. लेकिन बाकी ज्यादातर ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स में आप अपने निवेश को कभी भी निकाल सकते हैं. अगर आप SIP शुरू करने के बाद किसी वजह से उसे बीच में रोकना यानी पॉज़ करना चाहते हैं, तो आप यह काम भी बड़ी आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए आपको कोई एक्सट्रा फीस भी नहीं देनी पड़ती है. आप अपनी जरूरत के हिसाब से कुछ यूनिट्स भी बेच सकते हैं. ऐसा करते समय एग्जिट लोड और मुनाफे पर लागू टैक्स की जानकारी जरूर कर लेनी चाहिए. एग्जिट लोड यूनिट्स के होल्डिंग पीरियड के हिसाब से अलग-अलग लगता है. 

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7. SIP का 1 साल का रिटर्न देखकर राय बनाना कितना सही है?

SIP के जरिये किए गए निवेश पर सिर्फ 6 महीने या 1 साल का रिटर्न देखकर राय बनाना सही नहीं है. इक्विटी फंड्स की एसआईपी के मामले में यह बात समझना और भी जरूरी है. दरअसल, इक्विटी फंड्स में एसआईपी करने वालों को हमेशा यही सलाह दी जाती है कि उन्हें 5 साल या उससे भी ज्यादा समय के लिए SIP करने पर फोकस करना चाहिए. क्योंकि इनवेस्टमेंट पर एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का पूरा फायदा लेने के लिए ऐसा करना बेहतर रहता है. हालांकि अपने निवेश के उद्देश्य और इनवेस्टमेंट होराइजन के हिसाब से आप कम समय के लिए भी एसआईपी कर सकते हैं.लेकिन उसके लिए सही स्कीम या फंड का सेलेक्शन जरूरी है. उदाहरण के लिए अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन या शॉर्ट ड्यूरेशन फंड जैसे डेट फंड को शॉर्ट टर्म SIP के लिए बेहतर माना जाता है. लेकिन अगर आप स्मॉल कैप या मिड कैप जैसे किसी इक्विटी फंड में एसआईपी शुरू करने के बाद अगले 6 महीने या एक साल में शानदार रिटर्न की उम्मीद करने लगते हैं, तो जरूरी नहीं कि ऐसा हो. उसके लिए तो आपको 5-7 साल इंतजार करने की तैयारी रखनी होगी. यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम का पिछला रिटर्न भविष्य में भी जारी रहेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं होती. अगर आप शेयर बाजार में निवेश से जुड़ा रिस्क लेने की क्षमता नहीं रखते और शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो इक्विटी फंड आपके लिए सही च्वायस नहीं है.

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, निवेश की सिफारिश करना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने और अपने निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)

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