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SIP Surya Nidhi : इस छठ एसआईपी के जरिए बच्चों के लिए बनाएं सूर्य निधि, सुनहरे भविष्य की शुरूआत

Chhath Puja special SIP investment plan : जिस तरह सूर्य जीवन को प्रकाश देता है, उसी तरह आज किए गए निवेश आपके बच्चे के कल को रोशन कर सकते हैं. छोटे-छोटे और नियमित कदम समय के साथ बड़ी सफलता में बदल जाते हैं.

Chhath Puja special SIP investment plan : जिस तरह सूर्य जीवन को प्रकाश देता है, उसी तरह आज किए गए निवेश आपके बच्चे के कल को रोशन कर सकते हैं. छोटे-छोटे और नियमित कदम समय के साथ बड़ी सफलता में बदल जाते हैं.

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Sushil Tripathi
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Chhath Puja SIP Plan : अगर हम जल्दी और नियमित रूप से निवेश शुरू करें, तो छोटी रकम भी आगे चलकर बड़ी बचत बन सकती है. (AI Image)

Chhath Puja financial planning ideas 2025 : छठ पूजा आत्मचिंतन और आस्था का पर्व है. इस समय लिया गया एक सही फैसला बच्चों का भविष्य उज्जवल बना सकता है. जिस तरह सूर्य जीवन को प्रकाश देता है, उसी तरह आज किए गए आपके निवेश आपके बच्चे के कल को रोशन कर सकते हैं. सूर्य, जो निरंतरता का प्रतीक है, हमें यह सिखाता है कि छोटे-छोटे और नियमित कदम समय के साथ बड़ी सफलता में बदल जाते हैं. 

जब हम आने वाली पीढ़ी के सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं, तो उसी तरह हमें उनके वित्तीय भविष्य (Financial Planning for Child) की सुरक्षा के लिए भी तैयारी करनी चाहिए. इस छठ पूजा के अवसर पर हमे नए फाइनेंशियल रिचुअल - ‘सूर्य निधि’ शुरू करने की सोचना चाहिए. 

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क्यों जरूरी हैं फाइनेंशियल रिचुअल

LIC म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट के सीईओ और एमडी, रवि कुमार झा का कहना है कि भारत आज एक जनसांख्यिकीय रूप से मजबूत दौर में है. देश की लगभग 65% आबादी कामकाजी उम्र की है. फिर भी, वित्तीय साक्षरता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. भारत में सिर्फ 27% एडल्ट ही आर्थिक रूप से जागरूक हैं.

दूसरी ओर, माता-पिता की बच्चों की शिक्षा और भविष्य को लेकर इच्छाएं और उम्मीदें लगातार बढ़ रही हैं. 

भारत में हायर एजुकेशन की लागत हर साल 10–12% तक बढ़ रही है, और आने वाले वर्षों में एक प्रोफेशनल डिग्री की कीमत 20 से 50 लाख रुपये तक हो सकती है. इसके साथ ही, शादी जैसे बड़े जीवन-घटनाक्रम भी आर्थिक रूप से बड़ी जिम्मेदारियां हैं, जिनके लिए पहले से लंबी अवधि की योजना जरूरी होती है.

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क्यों जरूरी है निवेश की जल्दी शुरुआत

रवि कुमार झा के अनुसार अगर हम जल्दी और नियमित रूप से निवेश शुरू करें, तो छोटी रकम भी आगे चलकर बड़ी बचत बन सकती है. उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति हर महीने 5,000 रुपये की SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) शुरू करे, तो 15 साल में यह रकम बच्चों की शिक्षा के लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर सकती है. यही है अनुशासन (discipline) और कंपाउंडिंग (compounding) की ताकत, वही क्वालिटी जो हमें छठ पूजा सिखाती है.

मंथली निवेश : 5,000 रुपये
अवधि : 15 साल 
रिटर्न अनुमान : 12 फीसदी सालाना
15 साल में एसआईपी की वैल्यू : 25,22,880 रुपये

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छठ और SIP : क्या है समानता

छठ पूजा (Chhath Puja) अनुशासन, धैर्य और सटीकता का पर्व है. इस पूजा के हर दिन का एक खास अर्थ होता है.

नहाय खाय : शुद्धि और तैयारी का दिन, जैसे हम अपने वित्तीय लक्ष्य (financial goals) तय करते हैं.

लोहंडा और खरना : व्रत और भरोसे का दिन, जैसे बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद निवेश पर टिके रहना.

संध्या अर्घ्य : डूबते सूर्य को अर्पण, यह अब तक की प्रगति और आभार का प्रतीक है.

ऊषा अर्घ्य : उगते सूर्य की पूजा, जो नई शुरुआत और भविष्य की उम्मीदों का प्रतीक है.

SIP : नियमितता, धैर्य और भरोसा है जरूरी

छठ की तरह ही, SIP भी नियमितता, धैर्य और भरोसे पर टिका होता है. समय के साथ, छोटे-छोटे निवेश मिलकर आपके बच्चों के लिए एक उज्जवल वित्तीय भविष्य बना सकते हैं. जैसे उगता सूरज नई शुरुआत और आशा का प्रतीक है, वैसे ही यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने बच्‍चों के सुरक्षित भविष्य के लिए ठोस कदम उठाएं. इस छठ पूजा पर SIP शुरू करना एक बेहतर निर्णय हो सकता है. 

यह बच्‍चों के लिए बेहतर तरीके से प्‍लान किया गया एक ऐसा उपहार है, जो समय के साथ बढ़ता है और आने वाली पीढ़ियों को वित्‍तीय स्थिरता और अवसर देता है.

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मजबूत फाइनेंशियल प्‍लानिंग की नींव

यह पर्व अनुशासन, कृतज्ञता और समर्पण का प्रतीक है, एक बेहतर जीवन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना का समय. यह हमें याद दिलाता है कि अनुशासन ही भक्ति का कार्यरूप है. छठ हमें धैर्य, समर्पण और पवित्रता जैसी सीखें देता है, जो किसी भी मजबूत फाइनेंशियल प्‍लानिंग की नींव होती हैं.

बता दें कि छठ पूजा, जिसे ‘सूर्य षष्ठी’ भी कहा जाता है, भारत के सबसे आध्यात्मिक और पवित्र त्योहारों में से एक है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित है, जिन्हें परिवार और खासकर बच्चों को आशीर्वाद देने वाली देवी माना जाता है. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित देश के कुछ हिस्‍सों में यह 4 दिनों तक पूरे नियम, श्रद्धा और पवित्रता के साथ मनाया जाता है.

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