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PPF और SIP की खूबियों और अंतर को समझने के बाद तय करें कि आपके लिए क्या बेहतर है. (Image : Pixabay)
SIP Vs PPF : Which Is Better Long Term Investment : पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और म्यूचुअल फंड का सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) - निवेश के ये दोनों ही विकल्प आम लोगों में काफी लोकप्रिय हैं. इन दोनों को ही, लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए बेहतर माना जाता है. पीपीएफ सरकार द्वारा समर्थित सुरक्षित स्कीम है, जबकि म्यूचुअल फंड एसआईपी को मार्केट से जुड़े हाई रिटर्न के लिए जाना जाता है. लेकिन इन दोनों विकल्पों में आपके लिए क्या बेहतर है, यह समझने के लिए PPF और SIP के बारे में पूरी जानकारी हासिल करना जरूरी है.
PPF यानी सुरक्षित और स्टेबल रिटर्न
पीपीएफ एक सरकारी योजना है, जो जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए डिज़ाइन की गई है. इसकी मैच्योरिटी अवधि 15 साल है, और इसमें सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित ब्याज दर के हिसाब से गारंटीड रिटर्न मिलता है. इसमें ब्याज और इनवेस्ट किए गए कैपिटल, दोनों पर सरकारी गारंटी है. इस स्कीम में हर साल अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है. जिस पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स की छूट भी मिलती है. यह स्कीम उन लोगों के लिए आदर्श मानी जाती है, जो अपनी पूंजी और रिटर्न की पूरी सुरक्षा चाहते हैं.
SIP: मार्केट आधारित रिटर्न का मौका
म्यूचुअल फंड में SIP के जरिये निवेश करना एक फ्लेक्सिबल और मार्केट से जुड़ा इनवेस्टमेंट ऑप्शन है. आप अपनी पसंद की म्यूचुअल फंड स्कीम या कई स्कीम्स में मंथली SIP के जरिये किस्तों में निवेश कर सकते हैं. आप चाहें तो SIP की फ्रीक्वेंसी साप्ताहिक, तिमाही या सालाना भी रख सकते हैं. लेकिन आम तौर पर मंथली SIP ही ज्यादा लोकप्रिय है. SIP के जरिये किए गए निवेश पर कितना रिटर्न मिलेगा, यह बाजार की चाल पर निर्भर है. खास तौर पर इक्विटी फंड्स में किए गए निवेश पर तो शेयर बाजार का सीधा असर पड़ता है. इसलिए इसमें रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती. फिर भी, इतना तो कहा जा सकता है कि लंबी अवधि के दौरान इक्विटी या हाइब्रिड फंड में SIP के जरिये नियमित निवेश करने पर आमतौर पर पीपीएफ या किसी भी फिक्स्ड रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलने की काफी संभावना रहती है. यह ऊंचा रिटर्न ही लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिहाज से SIP को निवेशकों के लिए काफी आकर्षक विकल्प बनाता है.
SIP और PPF की तुलना
रिटर्न के लिहाज से देखें, तो PPF एक फिक्स्ड रिटर्न वाली स्कीम है जिस पर अभी सालाना 7.1% की दर से ब्याज मिल रहा है. इस ब्याज दर की सरकार द्वारा हर 3 महीने पर समीक्षा होती है. वहीं म्यूचुअल फंड SIP पर मिलने वाला रिटर्न, फिक्स नहीं होता, बल्कि बाजार की चाल पर निर्भर करता है. आमतौर पर यह रिटर्न पीपीएफ जैसे फिक्स्ड रिटर्न वाले ऑप्शन्स से अधिक रहता है.
रिस्क के पैमाने पर तुलना करें तो PPF पूरी तरह रिस्क फ्री यानी जोखिम मुक्त विकल्प है, क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित स्मॉल सेविंग स्कीम है. वहीं, म्यूचुअल फंड SIP का रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, इसलिए इस पर बाजार के उतार-चढ़ावों का असर पड़ता है. खास तौर पर इक्विटी में निवेश करने वाले फंड्स के रिटर्न पर शेयर बाजार का सीधा असर पड़ता है. यही वजह है कि कैपिटल और रिटर्न, दोनों लिहाज से, पीपीएफ के मुकाबले म्यूचुअल फंड एसआईपी में रिस्क काफी अधिक रहता है.
लिक्विडिटी के हिसाब से देखें, तो PPF की लॉक-इन अवधि 15 साल होती है, हालांकि छठे साल के बाद कुछ शर्तों के साथ सीमित रूप से आंशिक निकासी की छूट मिलती है. मोटे तौर पर ये कहा जा सकता है कि पीपीएफ में लिक्विडिटी काफी कम रहती है. दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड में SIP के जरिये किए गए निवेश की लिक्विडिटी काफी बेहतर रहती है. सिर्फ इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में 3 साल और रिटायरमेंट फंड या चिल्ड्रेंन्स फंड्स जैसे सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स में 5 साल का लॉक-इन होता है. बाकी सभी स्कीम्स में आप किसी भी समय यूनिट्स को भुना सकते हैं. हालांकि उस फंड की शर्तों के मुताबिक एग्जिट लोड देना पड़ सकता है.
टैक्स बेनिफिट के मामले में दोनों स्कीमों की तुलना करें, तो PPF में किए जाने वाले निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है. साथ ही इंटरेस्ट और मैच्योरिटी अमाउंट भी टैक्स फ्री होता है. यानी यह एक ट्रिपल ई (Exempt-Exempt-Exempt) कैटेगरी में आने वाली स्कीम है. वहीं अगर आप म्यूचुअल फंड SIP के जरिये ELSS में निवेश करते हैं, तो उस पर भी सेक्शन 80C के तहत साल में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. साथ ही मैच्योरिटी के समय साल में 1.25 लाख रुपये तक के मुनाफे यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर (LTCG) कोई टैक्स नहीं लगता. इससे ज्यादा मुनाफा होने पर 12.5% की दर से LTCG टैक्स लगता है, जो ऊंचे टैक्स स्लैब में आने वालों के लिए फायदेमंद है.
PPF vs SIP : 1.5 लाख के सालाना निवेश से कितना बनेगा कॉर्पस
PPF और SIP में लंबी अवधि के लिए नियमित निवेश करने पर किस तरह वेल्थ क्रिएशन हो सकता है, इसका अनुमान हम दोनों में 15 साल तक 1.5 लाख रुपये के सालाना निवेश के उदाहरण की मदद से लगा सकते हैं. 1.5 लाख रुपये की रकम हम इसलिए ले रहे हैं, क्योंकि पीपीएफ में एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम इतना ही निवेश किया जा सकता है.
PPF का कैलकुलेशन
अगर आप PPF में हर साल 1.5 लाख रुपये यानी हर महीने 12,500 रुपये का निवेश करते हैं, तो 15 साल में आपका कुल योगदान 22.50 लाख रुपये होगा. 7.1% की मौजूदा ब्याज दर के हिसाब से इस रकम पर 15 साल में आपको कुल 16,94,599 रुपये ब्याज के तौर पर मिलेंगे, जबकि मैच्योरिटी पर आपका कुल कॉर्पस 39,44,599 रुपये होगा.
- PPF में निवेश की अवधि : 15 साल
- मौजूदा ब्याज दर : 7.1% सालाना
- मंथली इनवेस्टमेंट : 12,500 रुपये
- 15 साल में कुल निवेश : 22.50 लाख रुपये
- 15 साल में ब्याज से मिली कुल रकम : 16.94 लाख रुपये
- 15 साल बाद कॉर्पस : 39.45 लाख रुपये
SIP का कैलकुलेशन
अगर आप हर महीने 12,500 रुपये किसी इक्विटी म्यूचुल फंड में SIP के जरिये जमा करते हैं, तो 15 साल में आपका कुल योगदान तो 22.50 लाख रुपये ही होगा. लेकिन अगर इस निवेश पर आपको 12% की दर से सालाना अनुमानित रिटर्न मिले, तो 15 साल में आपको अपने निवेश पर करीब 40.57 लाख रुपये का मुनाफा होगा और 15 साल बाद आपका कुल कॉर्पस 63.07 लाख रुपये हो जाएगा.
- म्यूचुअल फंड SIP के जरिये निवेश की अवधि : 15 साल
- अनुमानित सालाना रिटर्न : 12%
- मंथली इनवेस्टमेंट : 12,500 रुपये
- 15 साल में कुल निवेश : 22.50 लाख रुपये
- 15 साल में ब्याज से मिली कुल रकम : 40.57 लाख रुपये
- 15 साल बाद कॉर्पस : 63.07 लाख रुपये
PPF vs SIP : आपके लिए क्या बेहतर है?
PPF और म्यूचुअल फंड SIP की खूबियों और उनके बीच अंतर को समझने के बाद आपको तय करना होगा कि आपके लिए इनमें से कौन सा विकल्प बेहतर है. ऐसा करते समय आपको अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं (Financial Priorities), जोखिम उठाने की क्षमता (Risk Taking Capacity) और निवेश के लक्ष्यों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए. अगर आप अपनी पूंजी की पूरी सुरक्षा और गारंटीड रिटर्न चाहते हैं, तो पीपीएफ एक भरोसेमंद विकल्प है. लेकिन अगर आप मार्केट रिस्क उठाने की क्षमता रखते हैं और लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड SIP के जरिये निवेश करके वेल्थ क्रिएशन कर सकते हैं. आप चाहें, तो अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने के लिए इन दोनों योजनाओं में बांटकर भी निवेश कर सकते हैं. निवेश शुरू करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम बर्दाश्त करने की क्षमता का आकलन जरूर करें.
(डिस्क्लेमर: यह लेख का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी फंड में निवेश की सिफारिश करना नहीं. किसी भी म्यूचुअल फंड का पिछला प्रदर्शन भविष्य में जारी रहने की गारंटी नहीं होती. निवेश से पहले सेबी से मान्यताप्राप्त निवेश सलाहकार की राय जरूर लें.)