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स्वीप-इन एफडी खाते के लिए ब्याज दर किसी भी सामान्य एफडी के समान ही होती है. यह निवेश की अवधि पर भी निर्भर करता है. (Pixabay)
What is Sweep-In FD : ट्रेडिशनल फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) की बात करें तो यह सेविंग्स अकाउंट से अधिक या तकरीबन डबल ब्याज देता है. बैंकों के सेविंग्स अकाउंट पर जहां 3.5 से 4 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज मिल रहा है, वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट पर 7 से 8 फीसदी ब्याज दर है. हालांकि एफडी में एक​ तय समय के लिए पैसा ब्लॉक हो जाने से तुरंत लिक्विडिटी (Liquidity Benefits) की सुविधा नहीं मिलती है. इस वजह से बहुत से लोग सेविंग्स अकाउंट में पैसे पड़े रहने देते हैं. लेकिन अगर आप लिक्विडिटी के साथ हाई इंटरेस्ट रेट चाहते हैं तो स्वीप इन एफडी (Sweep In FD) काम आ सकती है.
एफडी की स्वीप-इन सुविधा निवेशक को बैंक खाते में अतिरिक्त धनराशि को एफडी अकाउंट में ट्रांसफर करने की अनुमति देता है. कहने का मतलब है कि स्वीप-इन-एफडी एक ऑटो-स्वीप सर्विस होती है. इसके तहत आपके सेविंग्स अकाउंट में जो भी एक्स्ट्रा पैसे होते हैं, उन्हें एफडी में ट्रांसफर कर दिया जाता है. यानी यह एक प्रकार का फिक्स्ड डिपॉजिट है जो निवेशकों को अपने बचत खाते से अतिरिक्त धनराशि को आटोमैटिक रूप से एफडी खाते में ट्रांसफर करने की अनुमति देता है. इसमें जहां एफडी के बराबर ब्याज मिलता है, वहीं इमरजेंसी में भी तुरंत आप अपने फंड तक पहुंच सकते हैं.
तय करनी होती है लिमिट
इसके लिए आपको पहले अपने अकाउंट के लिए एक थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करनी होगी. इस लिमिट से ज्यादा पैसे एक्स्ट्रा पैसे माने जाएंगे. वैसे तो बैंक ही स्वीप थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करना है, लेकिन अकाउंट होल्डर को जरूरत के हिसाब से इसे कस्टमाइज करने का विकल्प भी देता है. यह वह लिमिट होती है, जिससे अधिक पैसे होने पर वह अमाउंट खुद ही एफडी अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है. इस तरह से आपने जो लिमिट तय की है, उसे इमरजेंसी फंड के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, वहीं एक्स्ट्रा फंड पर आपको एफडी वाला ब्याज मिलने लगेगा.
अवधि और कम से कम निवेश
स्वीप इन एफडी की अवधि 1 साल से 5 साल की होती है. वहीं बैंक आम तौर पर बचत खाते से स्वीप-इन एफडी में 1 हजार रुपये के मल्टीपल में रकम ट्रांसफर करते हैं. कुछ बैंक निवेशकों के निर्देश के अनुसार 1 रुपये से 1000 रुपये की रेंज में ट्रांसफर की भी अनुमति देते हैं.
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कितना है ब्याज दर
स्वीप-इन एफडी खाते के लिए ब्याज दर किसी भी सामान्य एफडी (Best Sweep In FD Rates) के समान ही होती है. यह निवेश की अवधि पर भी निर्भर करता है. जैसे एफडी में अलग अलग अवधि के लिए अलग अलग ब्याज दरें तय होती हैं. बैंकों में अलग अलग अवधि के लिए ब्याज दरों की डिटेल.....
Axis Bank : 5.75%-7.00%
SBI: 4.75%-6.50%
HDFC Bank: 4.50%-7.00%
ICICI Bank: 4.50%-6.90%
Canara Bank: 5.50%-6.70%
Bank of Baroda: 5.50%-6.50%
PNB: 4.50%-6.50%
IDBI: 4.50%-4.80%
Indian Bank: 3-50%-6.10%
Yes Bank: 4.75%-7.00%
Post Office: 6.90%-7.50%
RBL: 4.75%-7.00%
IDFC Fist: 4.50%-7.00%
(Source : Groww)
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पैसे निकालने का क्या है नियम
आम तौर पर स्वीप-इन एफडी अपनी मैच्योरिटी से पहले आपके स्वीप-इन एफडी से पैसा निकालते समय लास्ट इन फर्स्ट आउट (LIFO) मेथड का उपयोग करते हैं. इसका मतलब है कि अगर आपके बैंक बचत खाते में बैलेंस चेक या एसआईपी के भुगतान के लिए जरूरी धनराशि से कम है, तो LIFO मेथड का उपयोग करके स्वीप-इन एफडी से राशि निकाल ली जाती है. यानी स्वीप-इन एफडी आपको आकर्षक ब्याज दर के साथ हाई लेवल की लिक्विडिटी भी प्रदान करता है.
अगर आप अक्सर स्वीप-इन एफडी से पैसा निकालते हैं, तो निकाली गई राशि पर उतना ही ब्याज मिलेगा, जितने दिन वह निवेश रहा है. स्वीप-इन सुविधा के माध्यम से एफडी में निवेश की गई अतिरिक्त राशि को पूरी एफडी तोड़े बिना निकाला जा सकता है. साथ ही, बैंक एफडी से स्वेप्ट-इन पैसा निकालने पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा.