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Tax Loss Harvesting : शेयर बाजार में घाटे से कैसे उठाएं फायदा? टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग से होगी इनकम टैक्स की बचत

Income Tax Saving : शेयर बाजार में घाटा उठाना पड़ा है, तो आप टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग की मदद से अपनी इनकम टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं. जानें क्या है टैक्स सेविंग का यह तरीका.

Income Tax Saving : शेयर बाजार में घाटा उठाना पड़ा है, तो आप टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग की मदद से अपनी इनकम टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं. जानें क्या है टैक्स सेविंग का यह तरीका.

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Viplav Rahi
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Tax Loss Harvesting की मदद से इनकम टैक्स देनदारी वैधानिक रूप से कम की जा सकती है. (Image : Financial Express)

Reduce Income Tax Liability by Tax Loss Harvesting : भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछले कुछ महीने निगेटिव रहे हैं. इस दौरान इक्विटी में निवेश करने वाले बहुत सारे इनवेस्टर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. लेकिन हम आपको एक ऐसे उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे इक्विटी इनवेस्टमेंट पर घाटा उठाने वाले निवेशकों का दर्द कुछ कम हो सकता है. इस उपाय का नाम है, टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग. दरअसल, यह एक ऐसा तरीका है, जिसकी मदद से निवेशक शेयर बाजार में हुए घाटे का इस्तेमाल करके अपनी इनकम टैक्स देनदारी वैधानिक रूप से कम कर सकते हैं.

क्या है टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग का तरीका? 

अपने पोर्टफोलियो में शामिल घाटे वाले शेयर, म्यूचुअल फंड या किसी और ऐसे ही निवेश का इस्तेमाल आप अपनी इनकम टैक्स की देनदारी को कम करने के लिए कर सकते हैं. टैक्स बचाने की इस रणनीति को ही टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग (Tax loss harvesting) कहते हैं. टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग एक ऐसी रणनीति है, जिसका इस्तेमाल घाटे को मुनाफे के साथ एडजस्ट करने के लिए किया जाता है. यानी आप अपने किसी लॉस में बेचे गए एसेट पर हुए घाटे को किसी दूसरे एसेट को बेचने से हुए मुनाफे के साथ एडजस्ट कर सकते हैं. इससे आपकी कुल टैक्स देनदारी घट जाती है. 

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उदाहरण की मदद से समझें टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग 

टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग की रणनीति कैसे काम करती है, इसे अच्छी तरह समझने के लिए एक आसान उदाहरण की मदद ले सकते हैं. 

मान लीजिए आपने एक वित्त वर्ष के दौरान अलग-अलग लिस्टेड इक्विटी इनवेस्टमेंट से 2 लाख रुपये का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) और 2.50 लाख रुपये का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) हासिल किया. और इसी वित्त वर्ष के दौरान आपको 50 हजार रुपये का शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस यानी घाटा भी उठाना पड़ा.

ध्यान रहे कि 2.50 लाख रुपये के LTCG में से 1.25 लाख रुपये पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. बाकी 1.25 लाख रुपये पर 12.5 फीसदी की दर से LTCG टैक्स लगेगा. वहीं STCG पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा.

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टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग के बिना देनदारी 

ऊपर दिए उदारण में अगर आपने टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग का उपाय नहीं आजमाया, तो आपकी टैक्स देनदारी इस तरह होगी:

> STCG टैक्स = 2,00,000 का 20% = 40,000 रुपये

> LTCG टैक्स = 1,25,000 का 12.5% = 15,625 रुपये

> कुल टैक्स देनदारी = 40,000 + 15,625 = 55,625 रुपये

टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग से कितना होगा फायदा 

अगर आपने ऊपर दिए उदाहरण में टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग की रणनीति पर अमल किया, तो आप 50 हजार रुपये के शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस को STCG में एडजस्ट कर सकते हैं. यानी अब आपको 2 लाख रुपये की जगह 1.50 लाख रुपये पर ही STCG टैक्स देना होगा. ऐसे में कैलकुलेशन कुछ इस तरह होगा :

> STCG टैक्स = 1,50,000 का 20% = 30,000 रुपये

> LTCG टैक्स = 1,25,000 का 12.5% = 15,625 रुपये

> कुल टैक्स देनदारी = 30,000 + 15,625 = 45,625 रुपये 

टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग के कारण टैक्स की बचत : 55,625 - 45,625 = 10,000 रुपये

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निवेश रणनीति में सुधार का मौका

ऊपर दिए उदाहरण से साफ है कि टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग की रणनीति के कारण आप किस तरह टैक्स की बचत कर सकते हैं. इसका एक फायदा यह भी होता है कि घाटा दे रहे निवेश को बेचने पर उसमें फंसी पूंजी दोबारा किसी बेहतर निवेश के लिए फ्री हो जाती है. यानी इससे आपको अपनी निवेश रणनीति में सुधार करने का मौका भी मिलता है. जिससे आप पहले से बेहतर रिटर्न भी हासिल कर सकते हैं. ऊपर दिए उदाहरण में अगर आपका घाटा, मुनाफे से अधिक होता, तो आप बचे हुए घाटे को अगले 8 वित्त वर्ष तक कैरी-फॉरवर्ड कर सकते थे.

ध्यान रहे कि आप शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस को तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन, दोनों के साथ  एडजस्ट कर सकते हैं. लेकिन लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को केवल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ ही एडजस्ट किया जा सकता है. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के साथ नहीं. अगर किसी एक वित्त वर्ष के दौरान हुआ घाटा, उस वित्त वर्ष के दौरान हुए LTCG या STCG से अधिक है, तो उसे आप अगले 8 वित्त वर्ष तक कैरी-फॉरवर्ड करके उन वर्षों के दौरान होने वाले मुनाफे से एडजस्ट कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए, डेडलाइन से पहले इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य है.

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LTCG और STCG टैक्स का क्या है नियम

लिस्टेड इक्विटी से होने वाले मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स की मौजूदा दर 20 फीसदी और LTCG टैक्स की दर 12.5 फीसदी  है. ऐसे एसेट्स को 1 साल से कम होल्ड करने पर STCG लागू होता है. उससे ज्यादा होल्ड करने के बाद बेचा जाए, तो LTCG लागू होगा. वहीं, अनलिस्टेड इक्विटी या नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स को 2 साल से कम होल्ड करने पर STCG लागू होता है, जो इनकम टैक्स स्लैब के बराबर होता है. ऐसे एसेट्स को 2 साल या उससे अधिक होल्ड करने के बाद बेचने पर हुआ मुनाफा LTCG माना जाएगा, जिसकी दर 12.5 फीसदी होगी.

सोच-समझकर करें फैसला 

टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग, टैक्स देनदारी कम करने में मददगार हो सकती है, लेकिन निवेश से जुड़े फैसले सिर्फ इसी आधार पर नहीं करने चाहिए. किसी एसेट को टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग के लिए बेचने का फैसला सिर्फ तभी करना चाहिए, जब आपको ये लगता हो कि उसमें आपकी पूंजी फंसी हुई और भविष्य में रिकवरी की संभावना काफी कम है. वैसे कई बार निवेशकों को अगर ये लगता है कि घाटे वाले एसेट्स की तस्वीर जल्द ही बदलने वाली है, तो वे मार्च के आखिर में उन्हें बेचने के बाद अगले वित्त वर्ष की शुरुआत, यानी अप्रैल में फिर से खरीद लेते हैं. इससे उन्हें टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग का फायदा भी मिल जाता है और  लंबे समय में मुनाफा देने की संभावना वाला निवेश भी बना रह जाता है. लेकिन यह तकनीक बाजार के माहिर खिलाड़ियों के लिए है. रिटेल इनवेस्टर अगर इससे दूर रहें तो ही बेहतर है. उन्हें तो अपने लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट गोल को ध्यान में रखते हुए ही फैसले करने चाहिए. या फिर इसके लिए किसी माहिर इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेनी चाहिए.

(डिस्क्लेमर : इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी देना है. टैक्स से जुड़े मामलों में किसी टैक्स एक्सपर्सट सलाह लेकर ही फैसले करें.)

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