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Tax reforms in 2024: बीते साल के दौरान देश के टैक्स सिस्टम में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिनका असर 2025 में भी देखने को मिलेगा. (Image : Freepik)
Tax reforms in 2024: Changes in Rule: बीते साल यानी 2024 में देश के टैक्स सिस्टम में कई अहम बदलाव किए गए. आम तौर पर इस बदलावों का मकसद टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाना, कंप्लायंस के बोझ को कम करना और टैक्स विवादों का समाधान करना रहा है. उम्मीद की जा रही है कि इन टैक्स सुधारों से कारोबार करना पहले से आसान होगा और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, लेकिन कुछ मामलों में यह सुधार थोड़े चुनौतीपूर्ण भी साबित हुए. इन बदलावों का असर आने वाले दिनों में भी देखने को मिलेगा. उम्मीद यह भी है कि टैक्स सुधारों का यह सिलसिला आने वाले बजट में भी जारी रहेगा.
एंजेल टैक्स का खात्मा
2024 में एंजेल टैक्स को समाप्त किया जाना एक स्वागत करने लायक कदम माना जा रहा है. इस टैक्स को खासतौर पर स्टार्टअप्स की फंड जुटाने की कोशिशों में बड़ी रुकावट माना जा रहा है था. इस टैक्स की वजह से निवेशकों के बीच असमंजस पैदा होता था और प्रीमियम वैल्यूएशन पर फंड जुटाने में अड़चन महसूस की जाती थी. इसके हटने से स्टार्टअप्स और अन्य कारोबार को फंड जुटाने में आसानी होगी, जिससे कारोबार शुरू करना और आगे बढ़ाना पहले से बेहतर होगा.
कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव
2024 में कैपिटल गेन्स टैक्स को अलग-अलग एसेट क्लास के लिए स्टैंडर्डाइज (Standardise) किया गया है. नए नियमों के तहत शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर अब 20% और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 12.5% टैक्स लगाया गया है, हालांकि LTCG के लिए इंडेक्सेशन बेनिफिट खत्म कर दिया गया है. नए नियमों में पहले किसी भी तरह की प्रॉपर्टी (Immovable Assets) पर इंडेक्सेशन बेनिफिट खत्म कर दिया गया था, लेकिन इस बदलाव का भारी विरोध किए जाने के बाद सरकार ने 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई संपत्तियों पर इंडेक्सेशन बेनिफिट को बनाए रखने का फैसला किया. इससे बरसों पहले संपत्ति खरीदने वालों को बड़ी राहत मिली है.
बाय-बैक टैक्स का खात्मा
पिछले बजट के प्रस्तावों के तहत 1 अक्टूबर 2024 से, शेयर्स के बाय-बैक पर लगने वाला 20% टैक्स समाप्त कर दिया गया है. इस पर लागू टैक्सेशन को अब डिविडेंड पर लागू टैक्स की तरह ही सामान्य स्लैब रेट (slab rates) के दायरे में ला दिया गया है. इस कदम की वजह से शेयर बाय-बैक अब कम आकर्षक हो गया है. ऐसे में नया नियम लागू होने से पहले यानी 30 सितंबर 2024 तक प्राइवेट कंपनियों के प्रमोटर्स बड़ी संख्या में बाय-बैक ऑफर लेकर आए. नियमों में हुए इस बदलाव ने भविष्य के लिए शेयर बायबैक को कम आकर्षक बना दिया है.
इंटरनेशनल टैक्सेशन में सुधार
विदेशी कंपनियों के ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन पर लागू 2% इक्वलाइजेशन लेवी (equalisation levy) को हटाना एक स्वागत करने लायक कदम माना जा रहा. इससे निवेश और कारोबार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. यह लेवी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से वसूले जाने वाले टैक्स को बेहतर बनाने के लिए प्रस्तावित बेस इरोज़न एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS) उपायों के पिलर 2 प्रॉविजन के लागू होने तक एक अंतरिम उपाय के रूप में लाई गई थी, लेकिन इस पर अमल करने में आ रही अड़चनों और स्पष्टता की कमी के कारण इसे खत्म कर दिया गया है. BEPS के तहत बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कम से कम 15% टैक्स वसूले जाने की व्यवस्था को लागू करने के मामले में दुनिया भर में अब भी असमंजस बना हुआ है. मौजूदा हालात में भारत भी अब इन प्रस्तावों को लागू करने में और देरी करने पर विचार कर रहा है.
टैक्स विवादों का बढ़ता बोझ
साल 2023-24 में डायरेक्ट टैक्स अपीलों की संख्या और विवादित राशि दोनों में भारी बढ़ोतरी हुई है. अपील के पेंडिंग मामलों की संख्या 51,567 से बढ़कर 64,311 हो गई है, और विवादों में शामिल रकम भी 6.64 लाख करोड़ रुपये की तुलना में दोगुने से ज्यादा बढ़कर 14.21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. सरकार ने विवाद से विश्वास योजना 2.0 जैसे उपायों के जरिए ऐसे विवादों की संख्या कम करने की कोशिश की है, लेकिन विवादों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और अधिक असरदार ढंग से काम किए जाने की जरूरत है.
2025 के लिए क्या हैं संभावनाएं?
2024 में हुए टैक्स सुधारों से खास तौर पर स्टार्ट-अप्स और इन्नोवेशन यानी नई-नई खोजों पर जोर देने वाले सेक्टर्स को मदद मिलने की उमीद है. टैक्स कानूनों को आसान बनाए जाने और टैक्स कंप्लायंस का बोझ घटने से बिजनेस करने वालों को प्रशासनिक उलझनों से उबर कर कारोबार के विस्तार पर फोकस करने का ज्यादा मौका मिलेगा. आने वाले साल में टैक्स विवादों को सुलझाने और टैक्स सिस्टम को ज्यादा स्टेबल बनाने की दिशा में और ठोस कदम उठाने की जरूरत है. सरकार को नीतिगत फैसलों को और असरदार बनाना होगा ताकि निवेशकों का विश्वास बढ़े और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक भरोसेमंद इनवेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में और मजबूत किया जा सके.
2024 का केंद्रीय बजट पेश करते समय दिए गए वित्त मंत्री के भाषण के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने अक्टूबर में इनकम टैक्स एक्ट (Income-tax Act, 1961) की व्यापक समीक्षा के लिए एक इंटर्नल कमेटी बनाई. इसका मकसद कानून को ज्यादा स्पष्ट और समझने में आसान बनाना है. एक्ट के साथ ही इनकम टैक्स रूल्स (Income-tax Rules, 1962) की भाषा को सरल बनाने, कंप्लायंस का बोझ घटाने और बेकार हो चुके प्रावधानों को खत्म करने जैसे मसलों पर आम लोगों से सुझाव भी मांगे गए हैं. उम्मीद है कि 2024 में शुरू हुआ यह काम 2025 में और आगे बढ़ेगा और आने वाले बजट में भी इसकी झलक देखने को मिलेगी.