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Top Equity Savings Funds ने पिछले 5 साल में 14 फीसदी तक सालाना रिटर्न दिए हैं. (Image : Pixabay)
Top Equity Savings Funds : Less Risk, Better Returns: इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में लंबी अवधि के लिए निवेश करना वेल्थ क्रिएशन का बेहतर तरीका माना जाता है. इक्विटी फंड्स के पॉपुलर ऑप्शन्स में फ्लेक्सी कैप, मल्टी कैप, लार्ज एंड मिड कैप, मिड कैप से लेकर तमाम सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स शामिल हैं. वहीं, टैक्स सेविंग के लिए निवेशकों का ध्यान आम तौर पर इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) की तरफ जाता है. लेकिन बहुत सारे निवेशक इक्विटी में काफी अधिक एक्सपोजर रखने वाले इन फंड्स में निवेश करने का रिस्क नहीं लेना चाहते. लेकिन दूसरी तरफ बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank FD) पर मिलने वाले कम रिटर्न भी उन्हें आकर्षित नहीं करते. नए नियमों के तहत डेट फंड्स (Debt Funds) के रिटर्न पर किसी तरह की टैक्स छूट नहीं मिलने की वजह से अब वे भी पसंदीदा ऑप्शन नहीं रह गए हैं.
ऐसे में कम जोखिम में एफडी या डेट फंड से बेहतर रिटर्न और टैक्स ट्रीटमेंट की चाहत रखने वाले निवेशक क्या करें? ऐसे निवेशकों के सामने एक विकल्प इक्विटी सेविंग्स फंड (Equity Savings Funds) का भी हो सकता है. टॉप इक्विटी सेविंग्स फंड्स ने पिछले 5 साल में 14 फीसदी तक सालाना रिटर्न दिए हैं, वो भी रिटर्न पर टैक्स बेनिफिट के साथ. इन फंड्स की जानकारी आगे देंगे, लेकिन पहले जानते हैं कि इक्विटी सेविंग्स फंड का मतलब क्या है?
क्या है इक्विटी सेविंग्स फंड का मतलब
इक्विटी सेविंग्स फंड (Equity Savings Fund) म्यूचुअल फंड्स की हाइब्रिड कैटेगरी में आते हैं. सेबी की परिभाषा के हिसाब से हाइब्रिड फंड्स इक्विटी के साथ ही साथ डेट इंस्ट्रूमेंट्स में भी निवेश करते हैं. हाइब्रिड कैटेगरी को भी आगे कई सब-कैटेगरी में बांटा गया है, जिसमें एक सब-कैटेगरी इक्विटी सेविंग्स फंड्स की भी है. सेबी के नियमों के मुताबिक इन फंड्स का कम से कम 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में और कम से कम 10 फीसदी हिस्सा डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना जरूरी है. इसके अलावा ये फंड हेजिंग यानी रिस्क को कम करने के लिए आर्बिट्राज में भी निवेश करते हैं. हेजिंग के लिए किए जाने वाले मिनिमम इनवेस्टमेंट की जानकारी स्कीम के दस्तावेज में देनी होती है.
5 साल में बेस्ट रिटर्न देने वाले टॉप 6 इक्विटी सेविंग्स फंड
1. HSBC Equity Savings Fund
5 साल में सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 14.67%
5 साल में सालाना रिटर्न (रेगुलर प्लान) : 13.65%
रिस्कोमीटर : मॉडरेटली हाई
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) : 445.75 करोड़ रुपये
2. Mahindra Manulife Equity Savings Fund
5 साल में सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 14.20%
5 साल में सालाना रिटर्न (रेगुलर प्लान) : 12.26%
रिस्कोमीटर : मॉडरेटली हाई
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) : 541.42 करोड़ रुपये
3. Mirae Asset Equity Savings Fund
5 साल में सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 14.16%
5 साल में सालाना रिटर्न (रेगुलर प्लान) : 13.02%
रिस्कोमीटर : मॉडरेटली हाई
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) : 1,277.87 करोड़ रुपये
4. Kotak Equity Savings Fund
5 साल में सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 13.37%
5 साल में सालाना रिटर्न (रेगुलर प्लान) : 12.24%
रिस्कोमीटर : मॉडरेटली हाई
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) : 6,995.23 करोड़ रुपये
5. Sundaram Equity Savings Fund
5 साल में सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 13.17%
5 साल में सालाना रिटर्न (रेगुलर प्लान) : 11.31%
रिस्कोमीटर : मॉडरेट
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) : 919.65 करोड़ रुपये
6. HDFC Equity Savings Fund
5 साल में सालाना रिटर्न (डायरेक्ट प्लान) : 12.89%
5 साल में सालाना रिटर्न (रेगुलर प्लान) : 11.94%
रिस्कोमीटर : मॉडरेटली हाई
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) : 5,026.41 करोड़ रुपये
रिटर्न पर टैक्स बेनिफिट
इक्विटी सेविंग्स फंड के पोर्टफोलियो का कम से कम 65 फीसदी हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने की वजह से इनमें निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को टैक्स के लिहाज से इक्विटी फंड की तरह ही माना जाता है. यानी अगर इस फंड की यूनिट्स को एक साल तक होल्ड करने के बाद बेचा जाए, तो एक वित्त वर्ष के दौरान हुए 1.25 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा. एक साल में इससे ज्यादा मुनाफा होने पर 12.50 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) देना होगा. वहीं, एफडी या डेट फंड के रिटर्न पर ऐसा कोई लाभ नहीं मिलता है. इस लिहाज से देखें, तो टॉप इक्विटी सेविंग्स फंड्स के पिछले 5 साल के रिटर्न के जो आंकड़े हमने ऊपर दिए हैं, वे और भी आकर्षक नजर आते हैं.
निवेश से पहले जानना जरूरी है
इक्विटी सेविंग्स फंड में निवेश के बारे में कोई भी फैसला करने से पहले यह जानना भी जरूरी है कि इन स्कीम में जोखिम प्योर इक्विटी प्लान के मुकाबले कम होता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इनमें रिस्क बिलकुल नहीं है. सेबी की परिभाषा के मुताबिक कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी या इक्विटी से जुड़े एसेट्स में रहता है. हालांकि इस रिस्क को हेजिंग के जरिये मैनेज भी किया जाता है. फिर भी बाजार के उतार-चढ़ाव का कुछ न कुछ असर इन पर भी पड़ता है. ज्यादातर इक्विटी सेविंग्स फंड को रिस्कोमीटर पर 'मॉडरेट रिस्क' या 'मॉडरेटली हाई रिस्क' की रेटिंग मिली हुई है.
(डिस्क्लेमर : इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी मुहैया कराना है, निवेश की सलाह देना नहीं. इक्विटी म्यूचुअल फंड के रिटर्न पर बाजार के उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है. उनके पिछले प्रदर्शन को भविष्य में वैसा ही रिटर्न देने की गारंटी नहीं माना जा सकता. निवेश का कोई भी फैसला अपने निवेश सलाहकार की सलाह से ही करें.)