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Pay with Mutual Fund का क्या है मतलब? UPI की ये नई सुविधा इस्तेमाल करने से पहले समझ लें फायदे और लिमिटेशन

UPI Pay with Mutual Fund : यूपीआई के नए फीचर "पे विद म्यूचुअल फंड" के जरिये निवेशक अब यूपीआई पेमेंट के लिए अपने लिक्विड म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल कर सकेंगे.

UPI Pay with Mutual Fund : यूपीआई के नए फीचर "पे विद म्यूचुअल फंड" के जरिये निवेशक अब यूपीआई पेमेंट के लिए अपने लिक्विड म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल कर सकेंगे.

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FE Hindi Desk
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Pay with Mutual Fund: अब म्यूचुअल फंड से भी कर सकेंगे UPI पेमेंट (AI Generated Image)

UPI Pay with Mutual Fund Feature : अब तक आपने म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल सिर्फ निवेश और रिटर्न कमाने के लिए किया होगा, लेकिन अब इसका इस्तेमाल पेमेंट करने में भी किया जा सकेगा. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के नए फीचर "पे विद म्यूचुअल फंड" (Pay with Mutual Fund) के जरिये अब निवेशक यूपीआई पेमेंट के लिए अपने लिक्विड म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल कर सकेंगे. यह फीचर न सिर्फ इस्तेमाल में आसान है, बल्कि निवेशकों को बेहतर रिटर्न के साथ फ्लेक्सिबल कैश मैनेजमेंट का मौका भी देता है.

UPI में कैसे काम करता है ‘पे विद म्यूचुअल फंड’

UPI के ‘पे विद म्यूचुअल फंड’ इस फीचर के जरिए आप अपनी लिक्विड म्यूचुअल फंड होल्डिंग से सीधे UPI पेमेंट कर पाएंगे. मिसाल के तौर पर अगर आपने किसी फंड हाउस के लिक्विड फंड में निवेश किया है, और वह फंड इस सुविधा को सपोर्ट करता है, तो आप अपने उस निवेश का इस्तेमाल UPI के जरिये किसी पेमेंट के लिए कर पाएंगे. जैसे ही आप यूपीआई से पेमेंट करेंगे, उतनी रकम के बराबर यूनिट्स अपने आप रिडीम हो जाएंगी और पैसे फौरन ट्रांसफर हो जाएंगे.

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इसे इस तरह समझिए कि यह फीचर लिक्विड म्यूचुअल फंड (Liquid Mutual Fund) को एक मिनी बैंक अकाउंट की तरह काम करने की क्षमता देता है, लेकिन फर्क यह है कि यहां आपका पैसा बेहतर मार्केट-लिंक्ड रिटर्न भी कमा रहा होता है. इस सुविधा को फिलहाल आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड (ICICI Prudential Mutual Fund) और बजाज फिनसर्व एएमसी (Bajaj Finserv AMC) जैसे फंड हाउसेज ने लॉन्च किया है.

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क्यों खास है यह फीचर

लिक्विड फंड शॉर्ट-टर्म मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जिनकी लिक्विडिटी बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में जब जरूरत पड़े, तो निवेशक फौरन पैसे निकाल सकते हैं. अब "Pay with Mutual Fund" फीचर से यह प्रॉसेस और आसान हो गई है, क्योंकि अब आपको पहले पैसा बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं.

इसके अलावा यह फीचर आपके निवेश पर फुल लिक्विडिटी के बावजूद सेविंग अकाउंट से ज्यादा संभावित रिटर्न का फायदा भी देता है. सेविंग अकाउंट में जहां आम तौर पर 4% से कम सालाना ब्याज मिल रहा है, वहीं लिक्विड फंड इस समय करीब 6-7% तक का रिटर्न दे रहे हैं. यानी आपका पैसा बेकार पड़े रहने की बजाय बेहतर रिटर्न भी दे सकता है और जरूरत पर फौरन काम भी आ सकता है.

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नई सुविधा से कैसे आसान होगा पेमेंट

UPI आज हर रोजमर्रा के लेनदेन का हिस्सा बन चुका है. किराने की दुकान से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक, हम सभी इसका इस्तेमाल करते हैं. अब अगर यह पेमेंट सीधे म्यूचुअल फंड से हो जाए, तो आपको अलग-अलग ऐप्स में ट्रांसफर या रिडेम्प्शन की झंझट नहीं झेलनी पड़ेगी.

व्यक्तिगत निवेशकों के साथ-साथ छोटे बिजनेस के लिए भी यह फीचर बहुत मददगार साबित हो सकता है. वे अपने शॉर्ट-टर्म कैश को लिक्विड फंड में रखकर रिटर्न कमा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उसी से पेमेंट कर सकते हैं. यह कैश मैनेजमेंट का स्मार्ट और फ्लेक्सिबल तरीका है.

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क्या यह सेविंग अकाउंट से बेहतर है?

कई मामलों में हां, लेकिन कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं. सेविंग अकाउंट ज्यादा सुरक्षित होते हैं और उनमें 5 लाख रुपये तक के डिपॉजिट का इंश्योरेंस भी होता है. वहीं लिक्विड फंड में थोड़ा मार्केट रिस्क रहता है. हालांकि यह रिस्क बहुत कम होता है, फिर भी अगर आपका लक्ष्य केवल सुरक्षा है, तो सेविंग अकाउंट ही बेहतर है.

लेकिन अगर आप थोड़ा जोखिम लेने को तैयार हैं और चाहते हैं कि आपका पैसा फुल लिक्विडिटी के बावजूद बेहतर रिटर्न कमाए, तो नई सुविधा आपके लिए सही विकल्प हो सकती है. हां, यह ध्यान रखना जरूरी है कि आप जिस फंड में निवेश करें, उसकी लिक्विडिटी और रिडेम्प्शन प्रोसेस भरोसेमंद हो.

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अच्छी तरह समझने के बाद करें इस्तेमाल

भले ही यह फीचर बेहद सुविधाजनक है, लेकिन निवेशकों को इसका इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातें जरूर समझ लेनी चाहिए. लिक्विड फंड के रिटर्न अलग-अलग फंड हाउस में अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए औसत रिटर्न और एक्सपेंस रेशियो (expense ratio) पर नजर रखना चाहिए. साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि “इंस्टैंट रिडेम्प्शन” (Instant Redemption) के साथ भी कुछ लिमिट्स या कट-ऑफ टाइम जुड़े हो सकते हैं.

इसके अलावा, लिक्विड फंड से होने वाली कमाई पर टैक्स उसी तरह लगता है जैसे बैंक ब्याज पर. इसलिए इसे पूरी तरह इमरजेंसी फंड का विकल्प न मानें. अपने पैसे का कुछ हिस्सा हमेशा सेविंग अकाउंट में भी रखें ताकि किसी देरी की स्थिति में परेशानी न हो.

"Pay with Mutual Fund" फीचर निवेशकों के लिए सुविधा और रिटर्न दोनों को जोड़ता है. यह दिखाता है कि भारत में डिजिटल पेमेंट और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री कितनी तेजी से एक-दूसरे के करीब आ रही है. जो निवेशक अपने पैसों को हर वक्त रिटर्न के लिहाज से इनवेस्ट रखना चाहते हैं, उनके लिए यह फीचर एक स्मार्ट ऑप्शन बन सकता है. बशर्ते वे इसके फायदों और रिस्क को समझकर इसका इस्तेमाल करें.

(डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सलाह देना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला पूरी जानकारी हासिल करने के बाद और अपने इनवेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह लेकर ही करें.)

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