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UPS to NPS switching deadline : केंद्र सरकार के कर्मचारी यूपीएस और एनपीएस में किसी एक का चुनाव कर सकते हैं. (Image : Freepik)
UPS to NPS Switching Deadline : केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को एक बड़ा विकल्प दिया है. अगर आपने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) चुनी थी और अब आपको लगता है कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) आपके लिए बेहतर है, तो आपके पास अपनी पेंशन स्कीम बदलने का एक और मौका है. सरकार ने साफ कर दिया है कि 30 सितंबर 2025 तक कर्मचारी यूपीएस से एनपीएस में स्विच कर सकते हैं. इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं जिन्हें पूरा करना जरूरी है.
एक ही बार मिलेगा मौका
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक, यह सुविधा वन टाइम चान्स यानी केवल एक बार के लिए है. यानी अगर आप UPS से NPS में स्विच कर लेते हैं, तो दोबारा यूपीएस में लौटने का ऑप्शव आपके पास नहीं रहेगा. वहीं, जो केंद्रीय कर्मचारी अभी एनपीएस में हैं, वे 30 सितंबर 2025 के बाद यूपीएस का चुनाव नहीं कर पाएंगे. इसका मतलब है कि एक तय समय सीमा के भीतर ही फैसला लेना होगा.
इन शर्तों पर ध्यान देना जरूरी
सरकार ने इस बदलाव के लिए कुछ नियम बनाए हैं. कर्मचारी तभी स्विच कर सकते हैं जब उनकी रिटायरमेंट की तारीख में कम से कम एक साल बाकी हो या उन्होंने वॉलंटरी रिटायरमेंट के लिए तीन महीने पहले आवेदन न किया हो. अगर किसी कर्मचारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है या उन्हें हटाने, बर्खास्तगी या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा मिली है, तो वे इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे.
समय पर अप्लाई नहीं किया तो क्या होगा
अगर कोई कर्मचारी 30 सितंबर 2025 तक स्विचिंग के लिए आवेदन नहीं करता, तो वह अपने आप ही यूपीएस के दायरे में बना रहेगा. उसके पास एनपीएस में जाने का कोई दूसरा मौका नहीं होगा. इसलिए जिन कर्मचारियों को लगता है कि एनपीएस उनके लिए ज्यादा फायदेमंद है, उन्हें समय रहते कदम उठाना होगा.
यूनिफाइड पेंशन स्कीम क्या है
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) अप्रैल 2025 से शुरू हुई है. यह स्कीम उन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए है जो पहले से एनपीएस के दायरे में आते हैं. यूपीएस का मकसद रिटायरमेंट के बाद एक तयशुदा आय सुनिश्चित करना है. इस स्कीम के तहत कम से कम 10,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलने की गारंटी है, बशर्ते कर्मचारी ने 10 साल या उससे ज्यादा की क्वालिफाइंग सर्विस पूरी की हो और योगदान समय पर जमा किया गया हो.
परिवार के लिए भी सुरक्षा
यूपीएस का एक अहम पहलू यह भी है कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने वाले कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिवार को भी सहारा मिलता है. ऐसी स्थिति में, पत्नी या पति को कर्मचारी की पेंशन का 60% हिस्सा दिया जाएगा. यह प्रावधान तभी लागू होगा जब जीवनसाथी की शादी कानूनी रूप से मान्य हो और वह रिटायरमेंट की तारीख तक जीवित हो.
किन हालात में नहीं मिलेगा फायदा
यूपीएस की गारंटीड पेंशन का फायदा हर कर्मचारी को नहीं मिलेगा. अगर कोई कर्मचारी 10 साल से कम की सेवा के बाद रिटायर हो जाता है तो उसे यह सुविधा नहीं दी जाएगी. इसी तरह अगर कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया जाता है, बर्खास्त कर दिया जाता है या वह खुद इस्तीफा दे देता है, तो भी उसे यूपीएस की गारंटीड पेंशन का हक नहीं होगा.
क्यों लिया गया यह फैसला
सरकार का मानना है कि पेंशन प्रणाली में पारदर्शिता और लचीलापन बनाए रखना जरूरी है. कुछ कर्मचारियों ने शुरुआती दिनों में यूपीएस को चुना, लेकिन अब उन्हें लगता है कि एनपीएस उनके भविष्य की योजनाओं के लिए बेहतर है. ऐसे में यह विकल्प उनके लिए राहत साबित हो सकता है.
सरकार ने साफ कर दिया है कि यह मौका एक बार का है और इसे गंवाना भविष्य की आर्थिक सुरक्षा पर असर डाल सकता है. केंद्र सरकार के जिन कर्मचारियों (Central Government Employees ) को अभी ये ऑप्शन मिल रहा है, उन्हें अपनी जरूरत और सुविधा को ध्यान में रखते हुए समय रहते फैसला करना चाहिए.