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बाजार कभी-कभी आपके कंधे पर बैठे उस शैतान की तरह काम करता है, जो आपको भावनाओं में बहकर फैसले लेने को कहता है जबकि ऐसे मामलों में दिमाग से सोचना ज्यादा जरूरी होता है. Photograph: ((AI Image))
by Suhel Khan
Breakfast with Buffett:कल्पना कीजिए कि आपने अपनी मेहनत की कमाई से एक निवेश किया है. आप एक अच्छे इलाके में खेती की जमीन खरीदते हैं. और उस ज़मीन के साथ आपको पास वाली जमीन का मालिक यानी एक पड़ोसी भी मिलता है. अब यह पड़ोसी रोज़ आपकी जमीन पर आता है और अजीब-अजीब बातें करता है. कभी वो बहुत खुश होता है और आपकी जमीन के बदले बड़ी कीमत देने को तैयार रहता है. अगले ही दिन वो उदास रहता है और अफवाहों के चलते अपनी जमीन आपको बहुत ही सस्ते में बेचने की पेशकश करता है - जैसे सूखा पड़ने वाला है.
आपका यह पड़ोसी मौसम की हवा से भी तेज मिजाज बदलता है. लेकिन उसकी बातें जमीन की असली कीमत से कोई खास ताल्लुक नहीं रखतीं क्योंकि असली कीमत तो उपजाऊ मिट्टी, स्थिर पैदावार, भविष्य की संभावनाओं वगैरह पर निर्भर करती है. इन सब पर. तो क्या आप इस पड़ोसी को अपनी जमीन की कीमत तय करने देंगे?
यह वॉरेन बफेट की मिस्टर मार्केट (Mr. Market) वाली कहानी है, जो उन्होंने अपने गुरु बेंजामिन ग्राहम से सीखी थी. यह खासतौर पर भारतीय निवेशकों के लिए बेहद उपयोगी है, जो अक्सर शेयर बाजार की उठापटक में उलझ जाते हैं. अगर आप कभी तेजी में जोश में आ गए हों या गिरावट में डरकर ठिठक गए हों, तो यह तरीका आपके लिए एक सहारा बन सकता है. यह तेज पैसे कमाने की नहीं, बल्कि भारत जैसे रंग-बिरंगे और अनिश्चित बाजार में स्थायी संपत्ति बनाने की सोच है. क्या आप मिस्टर मार्केट की इस पागलपन भरी चाल को अपने दौलत बनाने के साथी में बदलना चाहेंगे?
Mr. Market कैसे काम करता है?
बफेट इसे सीधे शब्दों में कहते हैं कि शेयर बाजार अल्पकाल में वोटिंग मशीन और दीर्घकाल में वजन करने की मशीन होता है. यानी रोज-रोज के भाव एक लोकप्रियता का खेल हैं - जिन्हें डर, हाइप या X (पहले ट्विटर) की किसी वायरल पोस्ट से बदला जा सकता है. लेकिन समय के साथ, शेयरों की कीमतें कंपनी की असली काबिलियत को दर्शाने लगती हैं - जैसे मुनाफा, संपत्ति और भविष्य की संभावनाएं.
भारत का बाजार इसकी जिंदा मिसाल है. किसी एक नीति से जुड़ी खबर बैंकों के शेयरों को ऊपर उछाल सकती है या गिरा सकती है. मानसून की खराब भविष्यवाणी खेती से जुड़े शेयरों को तोड़ सकती है. दिवाली में कंज्यूमर कंपनियों के शेयर चमकने लगते हैं, जबकि तेल की बढ़ती कीमतें जैसी वैश्विक घटनाएं पूरे बाजार में घबराहट फैला सकती हैं. मिस्टर मार्केट को आपकी घर खरीदने या बच्चों की पढ़ाई की योजनाओं से कोई मतलब नहीं. वह तो बस अपने भावनात्मक झूले पर झूलता रहता है - जब खुश होता है तो दाम आसमान पर होते हैं, और जब उदास होता है तो चीजें सस्ते में बेचने को तैयार होता है. इसका राज? आप उसके हर ऑफर को “ना” कह सकते हैं और सिर्फ उन बातों पर ध्यान दे सकते हैं जो वाकई मायने रखती हैं.
Mr. Market की दीवानगी के जाल में क्यों फंस जाते हैं लोग
सच कहें तो भारत में निवेश की दुनिया कभी-कभी किसी तेज और शोरगुल वाले हाट बाजार जैसी लगती है. व्हाट्सऐप ग्रुप्स में "पक्का फायदा" देने वाले स्टॉक टिप्स की भरमार रहती है. टीवी चैनलों पर हर समय चमकते टिकलर और "ब्रेकिंग न्यूज़" के बीच पूरा ड्रामा चलता है. आपका पड़ोसी किसी अनजान शेयर से तीन गुना मुनाफा कमाने की डींगें हांकता है और आप सोचने लगते हैं कि कहीं आप कुछ मिस तो नहीं कर रहे?
बफेट की सलाह इस शोर को काटती है. जब सब लालची हों तो डरो, और जब सब डरे हुए हों तो लालची बनो. सुनने में आसान है, लेकिन मानना मुश्किल. सेंसेक्स (Sensex) जब चढ़ रहा होता है, तो हम में से बहुत से लोग “आसान पैसे” के लालच में शेयरों के पीछे भागते हैं. और जब बाजार गिरता है, तो अखबारों की डरावनी सुर्खियों से घबराकर डर के मारे सब कुछ बेच डालते हैं. यह भावनात्मक झूलना ही असली संपत्ति का नुकसान करता है. आंकड़े बताते हैं कि भारतीय खुदरा निवेशक अक्सर बाजार के औसत रिटर्न से पीछे रह जाते हैं - वजह यह नहीं कि उनमें समझ की कमी है, बल्कि इसलिए कि वे Mr. Market के मूड के हिसाब से चलने लगते हैं.
सोचिए अगर कोई बुरे मूड में आकर आपके घर की आधी कीमत लगाए, तो क्या आप घर बेच देंगे? तो फिर Mr. Market के झल्लाहट भरे मूड पर अपने निवेश क्यों चलने देंगे? यह समझदारी की बात कम और स्थिर रहने की कला ज्यादा है - तब भी, जब बाकी सब घबरा रहे हों.
बफेट का मास्टर प्लान: Mr Market को अपना पार्टनर बनाना
बफेट सिर्फ Mr. Market से निपटते नहीं हैं, बल्कि उसे अपने लिए काम पर लगा देते हैं. जब Mr. Market उदासी में होता है और अच्छे बिजनेस सस्ते दामों पर देता है, तो बफेट खरीदते हैं. जब वह जोश में आकर जरूरत से ज्यादा कीमत लगाता है, तो बफेट बेच सकते हैं. अगर ऑफर समझदारी से बाहर हो, तो वे बस कंधे उचकाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं.
बफेट कहते हैं कि मेरा पसंदीदा होल्डिंग पीरियड हमेशा के लिए है. यानी वे अच्छी कंपनियों के साथ लंबे समय तक टिके रहते हैं, ट्रेंड्स के पीछे नहीं भागते. भारतीय निवेशकों के लिए इसका मतलब है - सोचने के तरीके में तीन बड़े बदलाव
1 खुद को व्यापारी समझिए, जुआरी नहीं
जब आप कोई शेयर खरीदते हैं, तो आप असल कंपनी का एक हिस्सा खरीद रहे हैं. उसके कारखाने, ग्राहक और मुनाफा. रोज के उतार-चढ़ाव से ये नहीं बदलते.
2 उतार-चढ़ाव को मौका समझिए
Mr. Market के मूड स्विंग्स आपके लिए अवसर हैं. जब वह निराश होता है, तब मजबूत कंपनियां सस्ते में मिलती हैं - तब खरीदिए. जब वह जरूरत से ज्यादा दाम देता है - तब बेचने पर विचार कीजिए.
3 धैर्य आपकी ताकत है.
बफेट कहते हैं कि बाजार धैर्यवान को इनाम देता है. आज के फटाफट नतीजों वाले दौर में इंतजार करना आपकी छुपी हुई ताकत हो सकती है.
भारतीय शेयर बाजार में जीतने का तरीका
शोर-शराबे से दूर रहें. हर घंटे अपने पोर्टफोलियो को चेक करना छोड़ दें. यह सिर्फ तनाव देने वाला जाल है. इसकी जगह महीने में एक बार रिव्यू करें. एक्स (X) पर शेयर टिप्स पढ़ने के बजाय कंपनियों की सालाना रिपोर्ट पढ़ें. जरूरी सवाल पूछें - क्या इस बिज़नेस की कोई ऐसी ताकत है जिसे कोई हरा नहीं सकता? क्या मैनेजमेंट भरोसेमंद है? क्या कंपनी के वित्तीय हालात मजबूत हैं? ऐसी कंपनियों को ढूंढिए जो मुश्किल हालात में भी टिक सकें और बेहतर निकलें.
एक चेकलिस्ट बनाइए. निवेश के लिए साफ नियम तय कीजिए - क्या कंपनी अपने सेक्टर में सबसे आगे है? क्या आप इसके बिजनेस को किसी दोस्त को सरल भाषा में समझा सकते हैं? उतार-चढ़ाव के समय में कंपनी कैसे प्रदर्शन करती है? क्या मैनेजमेंट ईमानदार और भरोसेमंद है?
हमेशा तैयार रहें. जब Mr. Market उदास होता है, जैसे 2020 के बाजार क्रैश में, तो समझदार निवेशक अच्छे स्टॉक्स को सस्ते में खरीदते हैं तो ऐसे मौकों के लिए कैश रखें. जब दाम पागलपन की हद तक पहुंचें, जैसे 2021 के टेक बूम में, तो खरीदने से बचें या मुनाफा लेकर निकलें.
होमवर्क अच्छे से करें. बफेट चेताते हैं कि जो आप कर रहे हैं वो न जानना ही असली जोखिम है. निवेश से पहले कंपनी की कमाई, प्रतिस्पर्धा और जोखिम को समझें. कंपनी किस सेक्टर में है, उसका वर्चस्व क्या है और उसकी कमजोरियां क्या हैं - सब जानना जरूरी है.
अपने इमोशंस पर कंट्रोल पाना ज़रूरी है
Mr. Market को हराने के लिए अपने इमोशंस पर काबू पाना जरूरी है. और यह आप ऐसे कर सकते हैं —
अपने फैसले ऑटोमैटिक बनाएं
हर महीने 5,000 रुपये जैसे किसी तय राशि का SIP एक अच्छे ETF में लगाइए, ताकि बाजार के उतार-चढ़ाव के वक्त भावनाओं में बहकर गलत टाइमिंग से बच सकें.
जर्नल रखें
आपने कोई शेयर क्यों खरीदा या बेचा, यह लिखिए. क्या आपने घबराकर कोई अच्छा स्टॉक बेच दिया और बाद में देखा कि वह फिर से चढ़ गया? ऐसे अनुभवों से सीखें - अपनी ही गलतियों से सबसे अच्छी सीख मिलती है.
सही लोगों के साथ रहें
लॉन्ग टर्म निवेशकों के साथ चर्चा करें, दिन भर ट्रेडिंग करने वालों या शोर मचाने वाले टिप्स से दूर रहें. वॉरेन बफेट के शेयरहोल्डर लेटर्स पढ़िए या बेंजामिन ग्राहम की द इंटेलीजेंट इनवेस्टर (The Intelligent Investor). टीवी के शोर से दूरी बनाएं.
प्लान से न डगमगाएं
अपने निवेश के नियम पहले से तय कर लें - जैसे सिर्फ मुनाफा कमा रही कंपनियों में ही निवेश करना और चाहे बाजार में कितना भी हंगामा हो, अपने उस प्लान से न हटें.
बफेट कहते हैं कि समय को औसत कंपनियां नहीं, बेहतरीन कंपनियां पसंद हैं. इसलिए ऐसी कंपनियां ढूंढिए जो वाकई शानदार बिज़नेस कर रही हों जैसे Infosys जैसी कंपनियां और फिर उन्हें समय के साथ आपकी दौलत बढ़ाने दें.
भारत के लिए बड़ा मौका
भारत की अर्थव्यवस्था एक ताकतवर इंजन की तरह है - युवा, डिजिटल और खर्च करने के लिए तैयार. लेकिन बाजार डगमगाएगा, कभी ज़रूरत से ज्यादा उत्साहित होगा, कभी निराश. समझदार निवेशक इन्हीं उतार-चढ़ाव का फायदा उठाएंगे - मजबूत कंपनियों के शेयर गिरावट में खरीदेंगे और लंबे समय तक थामे रहेंगे.
आपकी अगली चाल क्या होनी चाहिए
आज Mr. Market का मूड जांचिए. क्या वो शेयरों को ज़रूरत से ज़्यादा ऊंचा कर रहा है या फिर सस्ते में बेच रहा है? P/E रेशियो जैसे आंकड़ों पर नजर डालिए. अगर आंकड़े मेल नहीं खाते, तो इंतजार कीजिए. बाजार अजीब हो सकता है, लेकिन आपको जबरदस्ती कुछ खरीदने या बेचने की जरूरत नहीं है.
Mr. Market को एक सहयोगी की तरह सोचिए. जब वह कोई बुरा सौदा पेश करे, तो मुस्कुरा कर मना कर दीजिए. जब वह कोई शानदार कंपनी सस्ते में बेचने की जल्दी में हो, तो तुरंत काम कीजिए. बफेट सही कहते हैं कि बुद्धि नहीं, स्वभाव एक महान निवेशक बनाता है. न तो किसी बड़ी डिग्री की जरूरत है, न ही जटिल तकनीकों की - बस बाजार के शोर को नजरअंदाज करने का साहस चाहिए, बढ़िया कंपनियां सही दाम पर खरीदने की समझ और उन्हें थामे रहने का धैर्य. भारत के जोशीले बाजार में, यही तरीका है Mr. Market के ड्रामे को टिकाऊ दौलत में बदलने का.
इस लेख का उद्देश्य सिर्फ दिलचस्प आंकड़े, विचार और जानकारियां साझा करना है. यह निवेश की सिफारिश नहीं है. कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से जरूर परामर्श लें. यह लेख केवल शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है.
(Note - Suhel Khan has been a passionate follower of the markets for over a decade. During this period, He was an integral part of a leading Equity Research organisation based in Mumbai as the Head of Sales & Marketing. Presently, he is spending most of his time dissecting the investments and strategies of the Super Investors of India.
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