scorecardresearch

Warren Buffett: बफेट की कैश कुशन स्ट्रैटेजी क्या है? 90% भारतीय निवेशक इस अहम सीख की क्यों कर रहे हैं अनदेखी

Warren Buffett’s cash cushion formula: आइए समझते हैं कि कैश कुशन क्या है, वॉरेन बफेट इसे क्यों अहम मानते हैं, और आप भारत जैसे देश में इसे कैसे बना सकते हैं.

Warren Buffett’s cash cushion formula: आइए समझते हैं कि कैश कुशन क्या है, वॉरेन बफेट इसे क्यों अहम मानते हैं, और आप भारत जैसे देश में इसे कैसे बना सकते हैं.

author-image
FE Hindi Desk
New Update
Warren Buffett FEATURE IMAGE by AI Generated

कैश कुशन ना सिर्फ सुरक्षा है, बल्कि मौके को भुनाने की ताकत भी है. (AI Generated)

By Suhel Khan

Breakfast with Buffett:कुछ साल पहले मेरे एक दोस्त की मुंबई में अचानक नौकरी चली गई. अब मुंबई जैसा महंगा शहर, जहां किराए आसमान छूते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी भी जेब पर भारी पड़ती है. वहां बिना आमदनी के टिके रहना बेहद मुश्किल हो गया. बचत पहले से बहुत कम थी, और जब किराया देने की बारी आई, तो मजबूरी में उसे क्रेडिट कार्ड का सहारा लेना पड़ा. कुछ ही महीनों में उस पर इतना ब्याज चढ़ गया कि उबरना और भी कठिन होता गया.

सच कहें तो, भारत में ऐसी कहानियां आम हो गई हैं. हममें से कई लोगों ने ऐसी घटनाएं सुनी हैं या खुद झेली हैं. रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 30% लोगों के पास ही इमरजेंसी के लिए कोई फंड होता है. लेकिन मेरे हिसाब से यह आंकड़ा कुछ ज्यादा ही आशावादी है. जमीनी हकीकत इससे इतर है, शायद 10% लोग ही इस तरह की तैयारी कर पाते हैं.

Advertisment

Also read : Retirement Planning: आज से करें तैयारी, ताकि कल न हो फिकर, रिटायरमेंट प्लानिंग के ये 5 स्मार्ट स्टेप्स

ऐसे ही वक्त में वॉरेन बफेट की सीख अहम हो जाती है. दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में गिने जाने वाले बफेट ने बर्कशायर हैथवे को एक ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बनाया है, और उनकी एक बड़ी सीख यह है कि जिंदगी के अनिश्चित मोड़ों के लिए हमेशा कैश या तुरंत काम आने वाली राशि अपने पास रखनी चाहिए. उन्होंने 2014 के अपने शेयरधारकों को लिखे पत्र में कहा था कि हम हमेशा कम से कम 20 अरब डॉलर, और अक्सर इससे कहीं ज्यादा कैश जैसे निवेश रखते हैं. आज उनकी कंपनी के पास करीब 350 अरब डॉलर की नकद राशि के बराबर है.

आज के समय में जब भारत में महंगाई लगातार बढ़ रही है और नौकरी की स्थिरता भी सवालों के घेरे में है, ऐसे में आम आदमी की जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा असुरक्षित हो गई है. इस माहौल में वॉरेन बफेट की "कैश कुशन" यानी नकद सुरक्षा की रणनीति भारतीयों के लिए एक बेहद व्यावहारिक और जरूरी राह दिखाती है.

Also read : Warren Buffett: बफेट की वसीयत से सीखिए, अगली पीढ़ी को सिर्फ अमीर नहीं, जिम्मेदार कैसे बनाएं

सोचिए, अगर हमारे पास थोड़ी सी कैश पड़ी हो, तो मुश्किल वक्त में हम बिना कर्ज के, बिना तनाव के हालात का सामना कर सकते हैं. आइए समझते हैं कि बफेट की इसी सलाह को भारतीय अंदाज में अपनाकर कैसे हम अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं.

भारतीय के लिए क्यों जरूरी है बफेट की ‘कैश कुशन’ स्ट्रैटेजी?

हम सब जानते हैं कि भारत में जिंदगी आसान नहीं है. रोजमर्रा की चीजें लगातार महंगी हो रही हैं. दाल से लेकर फ्यूल तक, हर चीज के दाम ऊपर जा रहे हैं. हाल ही में महंगाई दर 5.5% पर पहुंच गई है. दूसरी ओर, शहरों में बेरोजगारी भी चिंता का कारण है, जो 2024 में CMIE डेटा के मुताबिक 7% तक रही.

सबसे बड़ा डर होता है मेडिकल इमरजेंसी का. एक छोटी सी बीमारी भी अगर अस्पताल ले जाए, तो 50,000 रुपये से 2 लाख तक का खर्चा (IRDAI, 2024 के मुताबिक) आम बात हो गई है. इस हकीकत को एक वायरल कहावत ने बखूबी बताया है कि एक भारतीय मिडल क्लास परिवार गरीबी से बस एक मेडिकल इमरजेंसी दूर होता है.

Also read : Gold: आपकी गोल्ड ज्वेलरी असली है या नकली? खरीदने से पहले जरूर जान लें ये डिटेल, नहीं होगा नुकसान

आज भारत के शहरी युवाओं में से करीब 60% ऐसे हैं जो हर महीने की सैलरी पर ही निर्भर रहते हैं. यानी, अगर जरा-सी भी मुसीबत जैसे मेडिकल इमरजेंसी आ जाए या नौकरी चली जाए, तो फौरन उधारी और कर्ज का दौर शुरू हो सकता है. हममें से ज्यादातर ने ऐसे रिश्तेदार या दोस्तों को देखा है जो अस्पताल का बिल चुकाने के लिए ऊंचे ब्याज पर पैसे उधार लेते हैं.

वॉरेन बफेट की कैश के प्रति "दीवानगी" इसी वजह से समझ में आती है. उनके अनुसार, अपने पास कैश रखना दो बड़े फायदे देता है. पहला, जब कोई अच्छा मौका आपके दरवाजे पर दस्तक दे, तो आपके पास तुरंत पैसा हो जिससे आप उस मौके का पूरा फायदा उठा सकें. और दूसरा, जब लाइफ में कोई इमेरजेंसी जैसी स्थिति आए, तो आपको अपने निवेश (जैसे कि शेयर या एसेट्स) बेचने की मजबूरी न हो. असल बात ये है कि बफेट की कैश कुशन स्ट्रैजेजी आपको मजबूरी में लिए गए गलत फैसलों से बचाती है और ये सोच भारत के हर वर्ग में लागू होती है.

बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे हमेशा बड़े कैश रिजर्व संभालकर रखती है, ताकि अच्छे मौके मिलने पर निवेश कर सके या मुश्किल समय में बिना घबराए काम चला सके. 2008 में बफेट ने एक लेटर में लिखा था कि कैश किसी बिजनेस के लिए वही है, जो ऑक्सीजन किसी इंसान के लिए. जब मौजूद होता है, तब उसकी कद्र नहीं होती; लेकिन जब नहीं होता, तो बस उसी की कमी सबसे ज़्यादा महसूस होती है.

Also read : Warren Buffett Wisdom : बाजार में मची हो तबाही तो क्या करें निवेशक? ये है दिग्गज मार्केट गुरु वॉरेन बफेट्स की बेशकीमती सलाह

आपके लिए भी 'कैश कुशन' वही ऑक्सीजन है जो किराया, EMI, अचानक आई मरम्मत या मेडिकल खर्चों को संभालने में मदद करता है, वो भी बिना अपने SIPs रोके या रिटायरमेंट के सपनों को खतरे में डाले. और अगर बाजार गिर जाए, तो आप उन बेहतरीन शेयर्स में निवेश भी कर सकते हैं जो उस वक्त कम कीमत पर मिल रहे होते हैं. आइए अब, जानते हैं बफेट की सीख से प्रभावित कैश कुशन बनाने की 4 स्टेप स्ट्रैटेजी, जिसे कोई भी भारतीय आसानी से अपना सकता है.

कैश कुशन की सही तैयारी कैसे करें?

वॉरेन बफेट हमेशा कहते हैं कि किसी भी चीज को संभालने से पहले उसे साफ-साफ़ समझना ज़रूरी होता है. इसलिए इमरजेंसी फंड बनाने की शुरुआत भी यहीं से होती है. आपको कितनी रकम बचाकर रखनी चाहिए? ज्यादातर लोग यहीं पर गलती कर बैठते हैं, क्योंकि वे अपने खर्चों का सही अंदाजा ही नहीं लगाते. याद रखिए, जिसे आप माप नहीं सकते, उसे संभाल भी नहीं सकते. अब ये कोई नियम नहीं है, लेकिन फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स आमतौर पर मानते हैं कि आपके पास कम से कम 6 से 12 महीने के जरूरी खर्चों के बराबर राशि एक इमरजेंसी फंड के रूप में जरूर होनी चाहिए.

मान लीजिए, आप मुंबई में रहते हैं और हर महीने का औसत खर्च 50,000 रुपये आता है. जिसमें किराया, राशन, ट्रांसपोर्ट और बिजली-पानी शामिल हैं. तो ऐसे में 6 महीने का फंड हुआ 3 लाख रुपये. अगर आप अकेले कमाने वाले हैं या फ्रीलांसर हैं जैसे कि भारत के शहरी इलाकों में करीब 20% लोग होते हैं, तो आपके लिए 12 महीने का फंड यानी 6 लाख रुपये रखना समझदारी होगी. और ये तो सिर्फ जरूरी खर्च हैं. अगर आप बच्चों की स्कूल फीस, मेडिकल इमरजेंसी या किसी और जिम्मेदारी को भी शामिल करें, तो यह राशि और भी बढ़ सकती है. यहां बताए गए आसान तरीकों से अपनी जरूरत का हिसाब लगाएं.

Also read : Buffett Investment Rule: बफेट का सर्कल ऑफ कॉम्पिटेंस क्या है, स्टार्टअप दौर में कैसे ये फार्मूला निवेश फैसलों के लिए है कारगर?

मान लीजिए मंथली किराया 20,000 रुपये, राशन पर खर्च 10,000 रुपये,  बिजली, पानी, मोबाइल बिल वगैरह पर 5,000 रुपये, ट्रांसपोर्ट के लिए 5,000 रुपये, मेडिकल, स्कूल फीस जैसे खर्च के लिए 20,000 रुपये. इस तरह से कुल जरूरी मंथली खर्च 60,000 रुपये के आसपास पहुंच जाएगा. अब इसे 6 से 12 महीने से गुणा करें,  तो आपका इमरजेंसी फंड टारगेट 3.6 लाख से 7.2 लाख के बीच आसपास हो जाता है.

आप चाहें तो एक आसान एक्सेल शीट में यह सब नोट कर सकते हैं या कोई बजट ऐप इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर जरूरत हो तो OTT सब्सक्रिप्शन या वीकेंड खर्च जैसे गैर-ज़रूरी खर्च फिलहाल टाल दें क्योंकि मकसद है एक मज़बूत 'कैश कुशन' तैयार करना. और हां, अपने जोखिम का भी ध्यान रखें. अगर आपकी नौकरी अस्थिर है, आप फ्रीलांसर हैं या किसी ऐसे सेक्टर में काम करते हैं जहां अचानक काम बंद हो सकता है (जैसे IT या मीडिया), तो 12 महीने का फंड रखना और भी जरूरी हो जाता है.

वॉरेन बफेट की एक बेहद सरल लेकिन गहरी सीख है कि जो पैसा खर्च करने के बाद बचता है, उसे मत बचाओ. बल्कि जो पैसा बचाने के बाद बचे, उसी से खर्च चलाओ. अगर आप इस बात को थोड़ा सोचकर समझें, तो पाएंगे कि यही वित्तीय आजादी की असली शुरुआत है.

Also read : Warren Buffett: वॉरेन बफेट की मास्टरक्लास, मार्केट क्रैश में भी दौलत बढ़ाने के 7 कारगर राज

हममें से कई लोग सैलरी आते ही खर्च की लंबी लिस्ट बना लेते हैं जैसे EMI, मोबाइल अपग्रेड, नए कपड़े, घूमने-फिरने के प्लान और जब महीने के अंत में कुछ नहीं बचता, तो कहते हैं कि सेविंग का टाइम ही नहीं मिलता. लेकिन बफेट की सोच बिल्कुल उलटी है. पहले बचत तय करो, फिर खर्च करो.

आप शुरुआत छोटे कदमों से कर सकते हैं जैसे महीने में 2000 से 5000 रुपये ऐसे खर्चों से बचाना जो जरूरी नहीं हैं. मॉल में बिना जरूरत की शॉपिंग, हर हफ्ते बाहर खाना, या नई टेक गैजेट्स. ये सब थोड़ी देर की खुशी देते हैं, लेकिन आपकी वित्तीय सुरक्षा में कोई योगदान नहीं करते.

बफेट खुद इस रणनीति की जीती-जागती मिसाल हैं. सोचिए, सालों तक वो एक साधारण Samsung फ्लिप फोन इस्तेमाल करते रहे, जबकि वो दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं. और जब उन्होंने iPhone 11 इस्तेमाल करना शुरू किया, तो वो भी उन्होंने खुद नहीं खरीदा था. उन्हें ऐपल (Apple) के CEO टिम कुक ने गिफ्ट किया था.

Also read : Warren Buffett vs Donald Trump : टैरिफ वॉर से अपनी दौलत को कैसे बचाएं? ये हैं वॉरेन बफेट के 6 आसान नियम

पैसे को रखें ऐसी जगह, जहां वो सुरक्षित होने के साथ जरूरत पड़ने पर तुरंत काम आ सके

इमरजेंसी फंड या 'कैश कुशन' बनाने में सबसे जरूरी बात ये होती है कि आपका पैसा ना तो कहीं फंसे, ना ही उसका मूल नुकसान हो, और जब जरूरत पड़े तो तुरंत निकल सके. यही सोच वॉरेन बफेट की भी है. वे अपने पैसे पर ज्यादा रिटर्न पाने की दौड़ में नहीं लगते, बल्कि उन्हें इस बात की परवाह होती है कि पैसा सेफ और एक्सेसिबल रहे. अब सवाल ये है कि हम भारत में ऐसा कैसे करें? आइए, कुछ आसान और समझदारी भरे तरीके देखते हैं.

सेविंग्स अकाउंट – आसान, सीधा और तुरंत पहुंच वाला

आप अपनी शुरुआती 1-2 महीने की जरूरतों का खर्च (मान लीजिए 80,000 रुपये) एक अच्छे सेविंग्स अकाउंट में रखें. आजकल बैंकों में सेविंग अकाउंट पर 3% से 7% तक ब्याज मिलता है और आप UPI या ATM के जरिए पैसा जब चाहें निकाल सकते हैं. इसके लिए आपको अलग से कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. बस जिस बैंक में सुविधाएं और ब्याज दर बेहतर हो, वहां खाता खोलिए.

लिक्विड म्यूचुअल फंड – सुरक्षा के साथ थोड़ा बेहतर रिटर्न

अगर आप थोड़ा बेहतर रिटर्न चाहते हैं, तो लिक्विड फंड एक अच्छा विकल्प है. यहां आपका पैसा 1–2 दिन में निकाला जा सकता है और आमतौर पर 6.5% से 7% (2024) तक रिटर्न मिल जाता है. इन फंड्स में जोखिम बहुत कम होता है, और ये सिर्फ भरोसेमंद सरकारी या टॉप रेटेड कंपनियों की सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं. ऐसे कई ऐप्स मौजूद हैं जो इस पूरी प्रक्रिया को आसान बना देते हैं.

शॉर्ट-टर्म FD – कुछ महीनों के लिए स्थिरता

अगर आप चाहते हैं कि पैसा कुछ समय के लिए जमा रहे, तो 90–180 दिन की फिक्स्ड डिपॉजिट एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इनसे 6%–7% तक का रिटर्न मिल सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि FD ऐसी होनी चाहिए जिसमें जरूरत पड़ने पर बिना ज्यादा पेनाल्टी के पैसा निकाला जा सके. साथ ही, पूरे फंड यानी सेविंग को किसी एक FD में लॉक न करें. कुछ हिस्सा हमेशा तुरंत एक्सेस में रखें. और FD करने के लिए किसी भरोसेमंद बैंक को ही चुनें.

रिकरिंग डिपॉजिट – छोटी शुरुआत, बड़ी आदत

अगर आप एकमुश्त रकम नहीं जोड़ सकते, तो 5,000 रुपये मंथली जैसी छोटी रकम से रिकरिंग डिपॉजट (Recurring Deposit) शुरू की जा सकती है. यह एक डिसिप्लिन वाला तरीका है, जिससे आप धीरे-धीरे अच्छा फंड बना सकते हैं और इस पर भी 6.5% के आस-पास ब्याज मिलता है.

ध्यान रहे ‘कैश कुशन’ का पैसा कभी भी शेयर बाजार या लॉन्ग-टर्म FD में न लगाएं. बफेट खुद कहते हैं कि जो आप समझते नहीं, उसमें निवेश करना ही असली जोखिम है. इस बात को उदाहरण से समझिए. सोचिए कि अगर आपने कोई बढ़िया स्टॉक (जैसे MRF) लिया और वो अचानक 25% गिर गया, और आपका पैसा उसमें फंसा रह गया, तो आप चाहकर भी न बेच पाएंगे और न उस मौके का फायदा उठा पाएंगे. या फिर, किसी मेडिकल इमरजेंसी में पैसा चाहिए और आपका फंड लॉक-इन में फंसा हो, तो ऐसी हालत में सिर्फ पछतावा ही हाथ आता है. इसलिए, 'कैश कुशन' बनाते समय आपकी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए - सेफ्टी और लिक्विडिटी. रिटर्न आए तो अच्छा है, लेकिन पैसे का वक्त पर काम आना सबसे बड़ी कमाई होती है.

बफेट की तरह बचत करें, धीरे-धीरे लेकिन निरंतर

अगर आप वॉरेन बफेट की कामयाबी को गौर से देखें, तो एक बात साफ नजर आती है कि उनकी सफलता किसी लॉटरी की तरह नहीं आई, बल्कि सालों तक लगातार छोटी-छोटी समझदारी भरी आदतों से बनी है. आपका ‘कैश कुशन’ भी कुछ ऐसा ही है. इसे एक बार में नहीं, धीरे-धीरे और लगातार मेहनत से तैयार करना होता है.

बफेट ने एक बार कहा था कि आज जो लोग छांव में बैठे हैं, वो इसलिए क्योंकि किसी ने बहुत पहले एक पेड़ लगाया था. तो आइए समझते हैं कि आपकी आम सैलरी से ऐसा ‘आर्थिक पेड़’ कैसे लगाया जाए.

बचत को ऑटो-पायलट पर डालिए

हर महीने एक तय राशि को अपने खाते से लिक्विड म्यूचुअल फंड या सेविंग स्कीम में ऑटो डेबिट करवा दीजिए.
एक बार यह सेट हो गया, तो आप बिना सोचे हर महीने अपने फंड में पैसा जोड़ते रहेंगे और यही सबसे ज़रूरी है. जरूरी बात ये है कि ये काम हर महीने बिना रुके होता रहे, चाहे वह रकम छोटी ही क्यों न हो.

फिजूलखर्ची से दूरी बनाइए

जरा सोचिए कि क्या हर महीने 2–3 OTT सब्सक्रिप्शन वाकई जरूरी हैं? या बार-बार कैब लेना, हर दूसरे दिन बाहर से खाना मंगवाना? अगर आप इन छोटी-छोटी चीजों से थोड़ी कटौती कर लें और वो पैसा अपने कैश कुशन में डाल दें, तो बड़ा फर्क पड़ेगा. बफेट खुद हर दिन सिर्फ 3 डॉलर  का नाश्ता करते थे, वो भी सालों तक. यह आदत उन्होंने खुद 2017 में एक इंटरव्यू में बताई थी. मतलब ये कि सादगी और अनुशासन ही असली अमीरी है.

अचानक मिलने वाले पैसों का सही इस्तेमाल करें

अगर आपको साल में एक बार बोनस, कोई कमीशन या गिफ्ट में पैसे मिलते हैं, तो उसका कम से कम 50% अपने कैश कुशन में जोड़ दीजिए. बाकी पैसा आप अपने मनपसंद खर्चों पर लगा सकते हैं लेकिन आधा हिस्सा बचत में डालना एक स्मार्ट आदत बन सकती है. इस तरह आप जिदगी का मजा भी लेंगे और भविष्य के लिए तैयारी भी करते रहेंगे.

लक्ष्य तय करें और ट्रैक करते रहें

मान लीजिए आपको 4 लाख रुपये का कैश कुशन बनाना है. अगर आप हर महीने 10,000 रुपये जोड़ते हैं, तो यह लक्ष्य सिर्फ 40 महीनों में पूरा हो सकता है. आप चाहें तो इसे एक सिंपल एक्सेल शीट, गूगल शीट या बजट ऐप में ट्रैक करें.

बस ये ध्यान रखें कि हर महीने प्रगति हो रही हो. इस फंड को आप ऐसे समझें जैसे अपना छोटा सा बिज़नेस, जिसे रोज़ थोड़ा-थोड़ा पोषण देकर बड़ा करना है. कैश कुशन कोई जादू की चीज़ नहीं है, ये आपकी रोज़मर्रा की आदतों से बनता है. और अगर आप बफेट की तरह लगातार चलते रहें, तो एक दिन यही छोटी-छोटी बचतें बड़ी सुरक्षा और मानसिक शांति में बदल जाएंगी.

क्या है Cash Cushion?

यह आपके मासिक खर्चों का एक हिस्सा होता है जिसे आप नकद, सेविंग अकाउंट या लिक्विड म्यूचुअल फंड में रखते हैं ताकि आप किसी भी इमरजेंसी जैसी स्थिति में बिना कर्ज लिए काम चला सकें. यह आपके वित्तीय जीवन का एयरबैग है जो दुर्घटना की स्थिति में आपको बड़ा नुकसान होने से बचाता है.

कैश कुशन को समझदारी से बनाए रखें

कैश कुशन सिर्फ एक बार जमा कर लेने भर से काम नहीं चलता. जैसे बगीचे को समय-समय पर पानी और देखभाल की जरूरत होती है, वैसे ही इस फंड की भी नियमित देखरेख और अपडेट की ज़रूरत होती है. वॉरेन बफेट ने भी यही सिद्धांत अपनाया. उन्होंने हमेशा अपने पास इतना कैश रखा कि उन्हें कभी ज़रूरत पड़ने पर नुकसान में अपने निवेश न बेचने पड़ें. तो आइए समझते हैं कि आप अपने कैश कुशन को किस तरह संभाल सकते हैं.

अगर खर्च हो जाए, तो दोबारा से भरना शुरू करें

मान लीजिए आपको अचानक मेडिकल खर्च करना पड़ा या किसी अच्छे निवेश मौके में पैसा लगाना पड़ा, तो इसके बाद सबसे पहला काम यही होना चाहिए कि कैश कुशन को दोबारा से भरना शुरू करें. हो सके तो कुछ महीनों तक ज़्यादा बचत करें ताकि जो रकम निकली थी, वो जल्दी वापस आ सके.

जैसे-जैसे जिंदगी बदले, वैसे-वैसे इसे अपडेट करें

शादी, बच्चा, किराया बढ़ना या माता-पिता की जिम्मेदारी. इन सबके साथ आपके खर्चे बढ़ते हैं, और उसी के अनुसार आपके कैश कुशन का आकार भी बढ़ना चाहिए. अगर पहले 50,000 रुपये महीना खर्च था, और अब 70,000 रुपये हो गया है, तो अब 12 महीने का कैश कुशन 8.4 लाख रुपये तक होना चाहिए, न कि पुराने 6 लाख रुपये पर अटका रहे.

इसे सिर्फ ज़रूरत के समय ही इस्तेमाल करें

यह फंड आपके लिए एक सुरक्षा कवच है. इसका इस्तेमाल केवल आपातकाल की स्थिति में या फिर ऐसे मौके पर करें जो वाकई ज़िंदगी बदलने वाला हो. मोबाइल अपग्रेड, महंगी छुट्टियां या तात्कालिक सुख-सुविधा के लिए इस फंड को ना छेड़ें.

हर छह महीने में एक बार समीक्षा जरूर करें

समय के साथ चीज़ें बदलती हैं. आपकी आय, खर्च, और बाजार के रिटर्न भी. हर छह महीने में देखें कि आपका फंड कहां रखा है, कितनी ग्रोथ मिल रही है, और क्या कोई बेहतर विकल्प उपलब्ध है. जरूरत हो तो निवेश का तरीका थोड़ा बदल सकते हैं, लेकिन सुरक्षा और लिक्विडिटी बनी रहनी चाहिए. कहने का मतलब है कि कैश कुशन एक जिंदा चीज है, जिसे आपको वक्त-वक्त पर देखना, समझना और मजबूत करना होता है. बफेट की तरह सोचिए नुकसान से बचना ही असली कमाई है. और जब आपके पास यह सुरक्षित फंड होगा, तब आप किसी भी मुश्किल समय में न सिर्फ टिक पाएंगे, बल्कि आत्मविश्वास से आगे बढ़ पाएंगे.

भारत में सेविंग की असल चुनौतियां और उनसे निपटने का सही तरीका

सच कहें तो, भारत में पैसे बचाना जितना जरूरी है, उतना ही मुश्किल भी है. जिंदगी में न जाने कब कौन-सी परेशानी सामने आ जाए. नौकरी चली जाए, तबीयत बिगड़ जाए या कोई पारिवारिक ज़रूरत आ खड़ी हो. ऐसे में ज़्यादातर लोग इसलिए परेशान होते हैं क्योंकि उनके पास कोई बचत नहीं होती. पर राहत की बात ये है कि हालात जैसे भी हों, बचत की शुरुआत कहीं से भी की जा सकती है.

कम आमदनी है? शुरुआत छोटी कीजिए, पर कीजिए जरूर

अगर आपकी कमाई ज्यादा नहीं है, तो भी 1,000 रुपये से शुरुआत कीजिए. राशि चाहे छोटी क्यों न हो, लेकिन इससे बचत की आदत बनती है, और यही सबसे बड़ी बात है. क्योंकि अगर आज आप कुछ नहीं बचाते, तो कल जब ज़्यादा कमाएंगे, तब भी बचाना मुश्किल लगेगा. आदत की कमी, आमदनी से ज़्यादा भारी पड़ती है.

कर्ज है? पहले उसे चुकाइए, पर बचत भी पूरी तरह मत रोकिए

अगर आपके ऊपर क्रेडिट कार्ड जैसा महंगा कर्ज़ है, तो सबसे पहले उसे चुकाना समझदारी होगी, क्योंकि उसका ब्याज आपकी कमर तोड़ सकता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप बचत बिल्कुल बंद कर दें. भले ही छोटी रकम हो, बचत की लय बनी रहनी चाहिए, ताकि धीरे-धीरे आप दोबारा स्थिरता पा सकें.

दिखावे का दबाव है? लिमिट तय करना सीखिए

आजकल बहुत से लोग दूसरों को दिखाने के लिए खर्च करते हैं. हर फंक्शन में जाना, महंगे तोहफे देना, या सबसे स्टाइलिश दिखना जैसे ज़रूरी बन गया है. पर याद रखिए, आप टॉम क्रूज़ नहीं हैं, और न ही ज़रूरत है कि हर शादी में 2 किलो का केक भेजें. अगर ऐसे खर्च आपकी बचत में रुकावट बन रहे हैं, तो खुद के लिए सीमाएं तय करना सीखिए.

कभी-कभी किसी फंक्शन में न जाना, या कोई चीज साफ मना कर देना भी. आपकी आर्थिक आज़ादी के लिए एक मजबूत कदम हो सकता है. और अगर बात परिवार या करीबी रिश्तेदारों की है, तो उनसे खुलकर बात कीजिए. आपका समझदारी भरा रवैया उन्हें भी पैसे के सही इस्तेमाल की प्रेरणा दे सकता है.

तो कुल मिलाकर बात ये है कि हालात जैसे भी हों, बचत की शुरुआत जरूर कीजिए. थोड़ी सी सच्चाई, थोड़ी सी समझदारी और थोड़ी सी हिम्मत के साथ. आप अपनी आर्थिक ज़िंदगी को एक नई दिशा दे सकते हैं.

कैश कुशन: सिर्फ जमा पैसा नहीं, सुकून और आज़ादी का नाम है

‘कैश कुशन’ कोई बड़ी फाइनेंशियल थ्योरी नहीं है. ये असल में ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के बीच आपकी ढाल है. ये वो सहारा है जो मुश्किल वक्त में घबराने की जगह संभलने का मौका देता है. जब नौकरी चली जाए, मेडिकल इमरजेंसी आ जाए, या कोई अचानक बड़ा खर्च सामने खड़ा हो. तब यही बचत आपको किसी के आगे हाथ फैलाने से बचा सकती है. यह आपको आत्मनिर्भर बनाती है और यही असली आज़ादी है.

बफेट की एक बात बहुत मशहूर है कि सबसे ज़रूरी बात ये है कि आप रात को चैन की नींद सो सकें. और यही चैन की नींद आपको तब मिलती है, जब आप जानते हों कि आप हर हालात से निपटने के लिए तैयार हैं.

हर हाल में परफेक्ट होना जरूरी नहीं. शुरुआत ज़रूरी है. साल 1998 में वॉरेन बफेट ने कहा था कि थोड़ा सही होना, पूरी तरह गलत होने से बेहतर है. मतलब ये कि आप अगर पूरी तरह परफेक्ट प्लान का इंतजार करते रहेंगे, तो शायद कभी शुरुआत ही नहीं कर पाएंगे. इसलिए जरूरी है कि आप अभी, आज, यहीं से जितना हो सके, उतना बचाना शुरू करें. आपकी ये छोटी-छोटी कोशिशें ही मिलकर कल एक मजबूत कैश कुशन बनेंगी, जो आपको न सिर्फ मुश्किल वक्त में बचाएंगी, बल्कि अच्छे मौकों को भी पकड़ने की ताकत देंगी.

इस लेख का उद्देश्य है कि आप सोचें, समझें और खुद के लिए एक बेहतर वित्तीय रास्ता चुनें. यह किसी तरह की निवेश सलाह नहीं है. अगर आप निवेश करना चाहते हैं, तो किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह ज़रूर लें. यह जानकारी शुद्ध रूप से जागरूकता और शिक्षा के मकसद से साझा की गई है.

(Disclosure: The writer and his dependents do not hold the stocks discussed in this article. 

The website managers, its employee(s), and contributors/writers/authors of articles have or may have an outstanding buy or sell position or holding in the securities, options on securities or other related investments of issuers and/or companies discussed therein.  The content of the articles and the interpretation of data are solely the personal views of the contributors/ writers/authors.  Investors must make their own investment decisions based on their specific objectives, resources and only after consulting such independent advisors as may be necessary.)

To read this article in English, click here.

breakfast with buffett