/financial-express-hindi/media/media_files/2025/06/22/breakfast-with-buffett-3-2025-06-22-08-01-51.jpg)
20-पंच कार्ड वाला नियम तब भी उतना ही असरदार है जब आप 5,000 रुपये निवेश करें या 5 लाख रुपये. (AI Image)
by Suhel Khan
Breakfast with Buffett: सोचिए आपके पास एक कार्ड है जिसमें सिर्फ 20 छेद करने की जगह हैं. हर छेद मतलब एक बार निवेश करने का मौका. एक बार छेद कर दिया, तो वो मौका हमेशा के लिए चला गया. वॉरेन बफेट इसी सोच को ‘20 पंच कार्ड रूल’ कहते हैं.
मतलब ये कि अगर जिंदगी में आपको सिर्फ 20 बार निवेश करने की छूट हो, तो आप हर फैसले को बहुत समझदारी से लेंगे. भारत जैसे देश में, जहां आईपीओ अचानक चर्चा में आ जाते हैं और शेयर बाजार (सेंसेक्स) रोज ऊपर-नीचे होता है, वहां ये नियम आपको समझदारी से निवेश करने और पहला या अगला करोड़ कमाने में मदद कर सकता है.
ज्यादातर भारतीय निवेशक उन शेयरों के पीछे भागते हैं जो उस समय सुर्खियों में होते हैं, या फिर फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) में जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में दांव लगाते हैं और आखिर में नुकसान झेलते हैं. वॉरेन बफेट का सिंपल फंडा है - जल्दबाज़ी मत करो, सोच-समझकर निवेश चुनो, और धीरे-धीरे पैसे बनाओ. चलिए अब उनकी इसी सादगी भरी लेकिन दमदार सोच को समझते हैं और देखते हैं कि ये तरीका भारतीय निवेशकों के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है.
20 पंच कार्ड रूल क्या है?
वॉरेन बफेट ने एक बार कहा था कि मान लो मैं तुम्हें एक ऐसा कार्ड दे दूं जिसमें सिर्फ 20 बार छेद (यानि निवेश) करने की जगह हो. फिर तुम हर फैसले को बहुत सोच-समझकर लोगे. उनका मतलब साफ था कि हर निवेश को ऐसे देखो जैसे जिंदगी में सिर्फ 20 मौके मिलने वाले हैं. हर नए IPO या सोशल मीडिया पर दिख रहे टिप्स के पीछे मत भागो. ऐसी कंपनियां चुनो जिन्हें तुम अच्छे से समझते हो, जिन पर सालों तक भरोसा कर सको. निवेश की दुनिया में बात "ज्यादा निवेश" की नहीं, बल्कि "सही निवेश" की होती है.
SEBI कहता है कि 80% लोग जो F&O में ट्रेड करते हैं, वो पैसा गंवा देते हैं. आजकल कई नए निवेशक एक दिन किसी बड़े टेक IPO में पैसे लगाते हैं, और अगले दिन किसी छोटे, अनजान शेयर में और फिर बाद में पछताते हैं.
बफेट का ये नियम इस जल्दबाज़ी और घाटे से बचाता है. उन्होंने कहा भी है कि हर बॉल पर शॉट मारने की जरूरत नहीं होती. सही गेंद का इंतज़ार करो. और उनके पार्टनर चार्ली मंगर (Investor Charlie Mangar) का कहना था कि असली कमाई तो इंतज़ार करने में है. जब आपके पास सिर्फ 20 बार निवेश करने की छूट हो, तब आप बाजार के शोर पर ध्यान नहीं देते. आप सिर्फ उन कंपनियों को चुनते हैं जो वक्त के साथ आपको असली संपत्ति बना कर देती हैं.
इस रूल का भारत से क्या है कनेक्शन
भारत का शेयर बाजार इन दिनों किसी क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म जैसा लगने लगा है. तेज, उलझा हुआ और हर मोड़ पर चौंकाने वाला. 2025 में सेंसेक्स 85,000 तक पहुंच गया, फिर ग्लोबल टैक्स और व्यापारिक तनावों की खबर से गिर भी गया. एक नई टेक कंपनी का IPO पहले तेजी से भागा, फिर 30% टूट गया. कुछ छोटे शेयरों में 25% तक की उछाल आई और हर कोई उसमें कूद पड़ा. ऐसे माहौल में बह जाना बहुत आसान है.
आजकल के युवा निवेशक, जिनके पास डीमैट अकाउंट और सोशल मीडिया (X/Twitter) है, हर नए चमकते शेयर पर एक और पंच लगा देते हैं जैसे 20 बार का मौका कभी खत्म ही नहीं होगा. पर नतीजा क्या होता है? नुकसान होते हैं, और धीरे-धीरे वो 20 मौके बेवजह खत्म हो जाते हैं.
यहीं पर वॉरेन बफेट का 20 पंच कार्ड रूल जमीन पर पैर टिकाए रखने की सीख देता है. वो कहते हैं कि शेयर बाजार ऐसा जरिया है जो बेसब्र लोगों से पैसा लेकर उसे धैर्य रखने वालों को दे देता है. मतलब ये नहीं कि आपको हर IPO या हर तेजी वाले शेयर में कूदना है. बल्कि, कुछ गिने-चुने मजबूत शेयर चुनिए. जिनका बिजनेस आप समझते हों, जिनकी टीम भरोसेमंद हो, और जिन्हें आप लंबी दूरी तक पकड़ कर रख सकें. ना जरूरत से ज्यादा जोश दिखाइए, ना घबराकर फैसले लीजिए. जैसे बफेट के साथी चार्ली मंगर साफ शब्दों में कहते थे कि मूर्खता मत करो. वही चुनो जिसे तुम सच में समझते हो.
बफेट की तरह ‘पंच’ कैसे मारें?
अब सवाल उठता है कि आखिर इन 20 मौकों में निवेश कैसे चुनें? वॉरेन बफेट का ‘20 पंच कार्ड रूल’ कोई जटिल फॉर्मूला नहीं है. ये दरअसल एक सोच है. एक ऐसा नजरिया जो कहता है कि हर निवेश को बहुत सोच-समझकर करें, जैसे ज़िंदगी में बस 20 ही बार मौका मिलेगा.
बफेट और उनके साथी चार्ली मंगर को साफ-सुथरी चेकलिस्ट पसंद थी. तो चलिए, भारतीय निवेशकों के लिए एक आसान चेकलिस्ट तैयार करते हैं.
1. जो समझ आए, उसमें पैसे लगाओ
बिना समझे पैसे लगाना मतलब अंधेरे में तीर चलाना. बफेट कहते हैं कि जो आप ठीक से नहीं समझते, असल में वहीं से जोखिम शुरू होता है. अगर आपको समझ नहीं आता कि कोई टेक कंपनी मुनाफा कैसे कमा रही है, या स्टार्टअप क्यों गिर रहा है तो उसमें पैसा लगाना छोड़िए. बैंक, FMCG कंपनी, या कोई और ऐसा बिजनेस जिसे आप रोजमर्रा में देखते और समझते हों. वहीं बेहतर है.
2. मजबूत कंपनियां चुनिए, जिनका कोई मुकाबला न हो
ऐसी कंपनियां जिनके पास बाजार में बढ़त हो जैसे लोकप्रिय ब्रांड, ऑटो इंडस्ट्री में लीडर, या टेलिकॉम में सबसे किफायती खिलाड़ी. बफेट कहते हैं कि मैं ऐसे बिजनेस ढूंढता हूं जो एक किले जैसे हों, जिनकी रक्षा एक गहरी खाई कर रही हो (यानि कोई आसानी से हरा न सके).
3. ज्यादा कीमत मत दीजिए, सस्ते में ही खरीदिए
अगर कोई शेयर बहुत महंगा लग रहा है (जैसे P/E रेशियो 70 के पार), तो ठहरिए. बफेट कहते हैं कि एक बेहतरीन कंपनी को ठीक-ठाक दाम पर खरीदना, एक औसत कंपनी को सस्ते में खरीदने से कहीं बेहतर है. मतलब ये नहीं कि जो सस्ता है वही अच्छा है, जो अच्छा है, उसे सही दाम पर लीजिए.
4. लंबी सोच रखिए, तुरंत फायदा मत ढूंढिए
खुद से पूछिए कि क्या ये कंपनी अगले 20 सालों तक टिकेगी और बढ़ेगी? अगर हां, तो यही सही मौका है. बफेट कहते हैं कि हमारी सबसे पसंदीदा होल्डिंग पीरियड है, हमेशा के लिए. यानी अगर कंपनी भरोसेमंद है, तो उसे लंबे समय तक पकड़े रहना ही असली कमाई है.
5. धैर्य रखिए, हर समय कुछ करना जरूरी नहीं
सिर्फ इसलिए मत निवेश कीजिए कि कुछ करना है. सही कंपनी ढूंढिए, समय लीजिए और जब मिले, तो सब्र से साथ दीजिए. बफेट खुद कई शेयर दशकों तक पकड़े रहे. उन्होंने एक बार कहा था कि असली पैसा खरीदने या बेचने में नहीं, बल्कि इंतज़ार करने में बनता है.
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए साल 2005 में किसी ने 1 लाख रुपये एक नामी FMCG कंपनी (जैसे साबुन-तेल बनाने वाली) में लगाए. उसने न कोई फेरबदल किया, न बार-बार खरीदा-बेचा. बस बैठकर इंतजार किया. 2025 तक वो पैसा बढ़कर करीब 15 लाख रुपये हो गया. यानि हर साल करीब 15% की बढ़त, वो भी डिविडेंड समेत.
अब एक दूसरा बंदा आया वो 1 लाख को 50 अलग-अलग शेयरों में बांटता है, कभी टिप्स पर, कभी ट्विटर पर, कभी किसी यूट्यूबर की बात पर. रिटर्न? मुश्किल से 5% सालाना. FD जितना या उससे थोड़ा ज्यादा और वो भी अगर सब कुछ ठीक चला तो. ये फर्क है कि लोहार की एक जोरदार चोट बनाम सुनार की सौ हल्की चोटों का. कम बार, लेकिन सही जगह चोट मारिए. पैसा वहीं बनता है. 20 पंच कार्ड रूल का गणित बिल्कुल सीधा है
अब सोचिए, कोई 25 साल का नौजवान है. उसके पास आने वाले 40 साल हैं निवेश करने के लिए. वो 10 साल में धीरे-धीरे 20 बार निवेश करता है, हर बार 50,000 रुपये लगाता है. कुल मिलाकर 10 लाख रुपये. अब मान लीजिए, हर निवेश सालाना औसतन 12% बढ़ता है (जैसे Nifty का औसत). तो क्या होगा?
- 10 साल में - 31 लाख रुपये
- 20 साल में - 96 लाख रुपये
- 30 साल में - 3 करोड़ रुपये
- 40 साल में - 9 करोड़ रुपये
अब अगर यही बंदा 50 शेयर पकड़ ले, हर जगह थोड़ा-थोड़ा पैसा डाले, तो? इतनी कंपनियां अच्छे से चुनना मुश्किल है. कहीं गलती होगी, कहीं नुकसान. औसतन रिटर्न गिरकर 6% रह जाता है. उसका पैसा 40 साल में सिर्फ 1.8 करोड़ रुपये बनता है जबकि 20 पंच वाला शख्स 9 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका होता है.
कम निवेश, ज्यादा असर. कम निवेश करने का मतलब ये नहीं कि आप कम कमा रहे हैं. मतलब ये है कि आप कम गलती कर रहे हैं. टैक्स भी कम देना पड़ेगा, बार-बार बेचने-खरीदने का झंझट भी नहीं, और दिमाग में फालतू का शोर भी नहीं रहेगा. बफेट खुद कहते हैं कि ज़िंदगी में कुछ चीजें ही सही करनी होती हैं. बस बहुत सारी बेवकूफियां न करो.
Also read : Gold: यूरो को पछाड़कर सोना बना दूसरा सबसे बड़ा फॉरेक्स एसेट्स, अब आगे क्या?
कैश कुशन: बफेट का सेफ्टी नेट, आपके 20 निवेश मौकों की ढाल
बफेट का 20 पंच कार्ड रूल सिर्फ समझदारी से चुने गए निवेशों का खेल नहीं है. ये तभी सच में काम करता है जब आपके पास थोड़ा कैश (नकद) रिजर्व में हो. बफेट खुद अरबों डॉलर का कैश अपने पास रखते हैं, ताकि जब बाजार गिरता है, तो वो मौके का फायदा उठा सकें.
उन्होंने एक बार कहा था कि हमेशा इतना कैश पास में होता है कि रात को चैन की नींद सो सकूं. मतलब जब भी कोई बढ़िया कंपनी सस्ते में मिल रही हो, तो उन्हें सोचने की जरूरत नहीं. वो तुरंत अपना अगला ‘पंच’ मार सकते हैं. जैसे 2008 की मंदी में उन्होंने शानदार कंपनियों में निवेश किया और वही निवेश बाद में उन्हें बड़ा मुनाफा दे गया.
अब भारत की तस्वीर देखिए. यहां बाजार किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह तेजी से ऊपर-नीचे होता है. साल 2020 में सेंसेक्स 25,000 तक गिर गया था, और फिर कुछ साल में ही नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया. अब सोचिए कि अगर आपके पास उस समय कैश नहीं होता, तो आप या तो घबरा कर सब बेच देते, या फिर जब बाजार गिरा था, तब कोई शानदार शेयर सस्ते में मिल रहा था और आप कुछ कर नहीं पाए.
लेकिन अगर आपने पहले से 2 लाख रुपये लिक्विड फंड में रखे होते, और तभी कोई टॉप बैंक या कंपनी 20-30% गिरती, तो आप समझदारी से निवेश कर सकते थे. सस्ते में खरीदकर भविष्य का बड़ा फायदा उठाने का मौका.
यही है कैश कुशन यानी एक ऐसा सेफ्टी नेट, जो आपको डर में बेचने से रोकता है और मौके पर खेलने की ताकत देता है. अब सवाल उठता है कि कितना कैश पास में रखें? तो इसका जवाब है कि बहुत ज्यादा नहीं. अगर आपने 1 लाख रुपये निवेश किया है, तो उसमें से सिर्फ 10,000 रुपये, यानि 10% एक साइड में, किसी लिक्विड फंड या सुरक्षित जगह पर रख दीजिए.
इस पैसे को ना रोज के खर्चों में लगाइए, ना ही किसी क्रिप्टो या तात्कालिक शॉर्टकट में. इसे सिर्फ तभी इस्तेमाल कीजिए जब कोई बेहतरीन कंपनी सस्ते दाम पर मिले. यानी वही 20 पंचों में से एक बढ़िया मौका.
बाजार हमेशा शोर मचाएगा, लोग आपको हर दिन खरीदने-बेचने के लिए उकसाएंगे, लेकिन याद रखिए जिसके पास कैश और धैर्य है, वही खिलाड़ी असली मौके पकड़ता है. और यही वजह है कि बफेट जैसे लोग बाजार में इतने साल टिके हुए हैं कि क्योंकि वो हमेशा तैयार रहते हैं, पैसे के साथ भी और सोच के साथ भी.
सबसे मुश्किल चीज़: ‘ना’ कहना
निवेश की दुनिया में सबसे मुश्किल काम है - मना करना. साल 2021 में एक बड़ी टेक कंपनी का IPO आया था. चारों तरफ लोग इसमें पैसे लगाने को बेताब थे. लेकिन जो समझदार निवेशक था. जिसको अपनी जिंदगी के सिर्फ 20 मौकों का ख्याल था. उसने इससे दूरी बनाई. क्योंकि कंपनी मुनाफे में नहीं थी, उसका भविष्य साफ नहीं दिख रहा था. और हुआ भी वही.दो साल के भीतर उसका शेयर 60% गिर गया. ऐसी ही कहानी क्रिप्टो की थी. या फिर उस स्टॉक की, जिसे आपके दोस्त ने “100 गुना बढ़ने वाला” बताया था. बफेट कहते हैं कि सफल और बहुत सफल लोगों में फर्क ये होता है कि बहुत सफल लोग लगभग हर चीज़ को ‘ना’ कह देते हैं.” और उनके दोस्त चार्ली मंगर हमेशा कहते थे कि हर चीज को उल्टा सोचो. खुद से पूछो कि इसमें नुकसान कहां हो सकता है?” अगर जवाब साफ नहीं है, तो उस मौके को छोड़ दीजिए. पंच मत कीजिए.
भारत में आज हर जगह - WhatsApp ग्रुप, YouTube, Twitter. हर जगह कोई ना कोई आपको 10x स्टॉक बेचने की कोशिश कर रहा है. लेकिन याद रखिए बफेट ने ऐसे शोर को अनदेखा किया. वो किसी भी शेयर में सिर्फ इसलिए निवेश नहीं करते थे क्योंकि लोग कर रहे हैं. वो करते थे जब वो खुद समझते थे कि ये बिज़नेस मजबूत है.
अब आपकी बारी है — पहला Punch कब?
चाहे आप 5,000 रुपये लगाएं या 5 लाख रुपये. ये 20 पंच वाला नियम हर किसी के लिए काम करता है. शुरुआत करें किसी भरोसेमंद ऑप्शन से जैसे Nifty Index Fund या कोई अच्छा डिविडेंड देने वाला शेयर. पहला Punch सोच-समझकर मारिए. बफेट कहते हैं कि समय एक अच्छे बिज़नेस का सबसे अच्छा दोस्त होता है.” और उनके पार्टनर चार्ली मंगर की सलाह थी कि कंपाउंड (Compound) होने दो. बीच में मत रोको.
भारतीय बाजार आपको कई बार ललचाएगा. कभी बाजार गिरने पर डराएगा, तो कभी नया IPO देखकर उत्साहित करेगा. लेकिन अगर आपके पास सिर्फ 20 मौके हैं, तो आप निवेशक नहीं, बिज़नेस के मालिक हैं. बफेट ने अपने सारे पंच बहुत सोच-समझकर मारे और नतीजा सबके सामने है. अब आपकी बारी है. आपका पहला Punch कौन-सा होगा? कौन-सा सेक्टर आपको सही लगता है? जो भी चुनें सोच-समझकर चुनिए. यही फर्क बनाता है.
To read this article in English, click here.