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SIP Return in Red : शेयर बाजार में मौजूदा करेक्शन का असर निवेशकों के म्यूचुअल फंड एसआईपी पोर्टफोलियो पर भी पड़ रहा है. (P:ixabay)
Are you losing money in mutual funds : शेयर बाजार में सितंबर 2024 से ही दबाव देखने को मिल रहा है. सेंसेक्स और निफ्टी अपने पीक से करीब 10 फीसदी तक नीचे आ चुके हैं. मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी खासी गिरावट देखने को मिली है. बाजार में इस बिकवाली का असर निवेशकों के म्यूचुअल फंड एसआईपी पोर्टफोलियो पर भी पड़ रहा है. इक्विटी मार्केट में गिरावट के चलते बीते 1 साल के एसआईपी रिटर्न पर भी असर हुआ है. कई ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम हैं, जिनका एसआईपी रिटर्न एक साल के दौरान डबल डिजिट से हाई डबल डिजिट में निगेटिव हो गया है. ऐसे में कई निवेशक अपना पैसा गंवा रहे हैं.
1 साल में सबसे ज्यादा नुकसान कराने वाले फंड
Samco Flexi Cap : -25.25%
Quant Infrastructure Fund : -21.16%
Samco ELSS Tax Saver Fund : -21%
Aditya Birla Sun Life PSU Equity Fund : -20%
Quant ELSS Tax Saver Fund : -20%
Kotak Nifty PSU Bank ETF : -19.36%
ICICI Prudential Nifty PSU Bank ETF : -19.26%
ICICI Prudential Nifty Commodities ETF : -14%
SBI PSU Fund : -14%
Shriram ELSS Tax Saver Fund : -12%
(source : value research)
म्यूचुअल फंड में एसआईपी पोर्टफोलियो जब निवेशकों को नुकसान कराने लगता है तो कई बार खासतौर से नए निवेशक घबरा जाते हैं और वे अपनी यूनिट बेचने लगते हैं या अपना पूरा निवेश ही निकाल लेते हैं. लेकिन ये कदम उन निवेशकों के फाइनेंशियल प्लानिंग को बिगाड़ सकता है और वे अपने लक्ष्य से पीछे रह जाते हैं.
1. बाजार में टिकना सीखें
वॉरेन बफेट जैसे दिग्गज निवेशक हमेशा कहते हैं कि सफल निवेश के लिए यह पहला कदम है कि बाजार में टिकना सीखें. शॉर्ट टर्म की चुनौतियों में घबराने की बजाय धैर्य बनाए रखें. शेयर बाजार में उतार चढ़ाव एक आम घटना है, जो समय समय पर देखने को मिलता है. लेकिन लंबी अवधि की हिस्ट्री देखें तो बाजार अच्छा प्रदर्शन करते हैं. शॉर्ट टर्म में, अस्थिरता के कारण कीमत ऊपर और नीचे जाती है. जहां शॉर्ट टर्म में अस्थिरता के चलते म्यूचुअल फंड में नुकसान होता है, वहीं अगर आप लंबी अवधि पर नजर डालें तो 3-4 साल की होल्डिंग के बाद पॉजिटिव रिटर्न ही देखने को मिलता है.
2. घबराकर पैसा न निकालें
आप गिर रहे बाजार में म्यूचुअल फंड में छोटी अवधि के दौरान नुकसान उठा सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह है कि आपको अपना निवेश भुना लेना चाहिए. निवेश से एक साल पहले भुनाए जाने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड पर ज्यादातर मामलों में 1% का एक्जिट लोड लगता है. कुछ निवेशकों का मानना ​​है कि जब म्यूचुअल फंड की वैल्यू नीचे जाए तो वे अपना पैसा इससे निकाल सकते हैं, लेकिन इसका रिजल्ट ठीक नहीं होता है. SIP आपको बाजार के टाइमिंग से मुक्त कर देता है. जब बाजार नीचे होता है तो यह आपके लिए अधिक यूनिट खरीदने के लिए रुपये की औसत लागत का भी लाभ उठाता है.
3. अपने पोर्टफोलियो को कंपेयर करें
निगेटिव रिटर्न आने पर अपने म्यूचुअल फंड स्कीम की उसी कैटेगरी में और अन्य कैटेगरी में दूसरे म्यूचुअल फंड स्कीम के साथ तुलना करें. अगर आप देखते हैं कि बेस्ट रेटिंग वाले फंडों की तुलना में आपके म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन थोड़ा ही खराब है, तो स्विच करना आवश्यक नहीं होगा. अगर प्रदर्शन में बहुत ज्यादा अंतर है तो स्विच करने के पहले एडवाइजर की सलाह लें. ध्यान रखें कि सफल निवेश के लिए डाइवर्सिटी भी बहुत जरूरी है.
4. बाजार का ट्रेंड पहचानें
अगर इक्विटी की बात करें तो स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव बाजार के सामान्य ट्रेंड के कारण होते हैं. जब आप ट्रेंड के सही पक्ष में होते हैं, तो आपके लिए कंपाउंडिंग काम करती है, चाहे वह चढ़ रहा बाजार हो या गिर रहा बाजार. इसलिए, पहला कदम बाजार के सही ट्रेंड का आकलन करना है, आपको पहचानना होगा कि बाजार में बुल ट्रेंड में या बियर ट्रेंड में. फिर उसी ट्रेंड के साथ निवेश करें.
5. सही सेक्टर की पहचान
अगर आप किसी सेक्टर या निवेश के विकल्प में सिर्फ मिलने वाले रिटर्न को देखकर पैसा लगाते हैं तो यह सही तरीका नहीं है. कुछ समय तक हाई रिटर्न देने वाला विकल्प अगले कुछ दिनों में निगेटिव रिटर्न भी दे सकता है. इसलिए पहले आप रिचर्स करें कि जिस फंड में पैसे लगा रहे हैं, उसके पोर्टफोलियो में किन कंपनियों के शेयर हैं. उन कंपनियों में हाई ग्रोथ के साथ लंबी अवधि तक मार्केट में आगे बने रहने की क्षमता है या नहीं. उसके बाद उस फंड के बारे में मसलन उसके पिछले प्रदर्शन, आउटलुक और एक्सपेंस रेश्यो की तुलना करनी चाहिए. निवेश के पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से भी सलाह लें.
(Source: Financial Websites Blog)
(नोट : किसी भी इक्विटी फंड में पुराना रिटर्न आगे भी जारी रहेगा या नहीं, इसकी गारंटी नहीं है. यह भविष्य में कायम भी रह सकता है और नहीं भी. बाजार में जोखिम होती है, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह लें.)