/financial-express-hindi/media/media_files/2025/10/17/bollywood-actors-2025-10-17-12-52-38.jpg)
सेलिब्रिटी अपने व्यक्तित्व अधिकारों के लिए क्यों लड़ रहे हैं?
पिछले कुछ महीनों में, कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ ने अदालत में याचिका दायर की है ताकि उनके नाम, तस्वीर, आवाज़ और अन्य व्यक्तिगत गुणों का एआई-जेनरेटेड कंटेंट में गलत इस्तेमाल न हो. अन्विती राय बता रहीं हैं कि भारतीय कानून व्यक्तित्व अधिकारों (personality rights) को कैसे समझता है और क्यों इसे डीपफेक्स (deepfakes) के जमाने में अपडेट करने की ज़रूरत है.
अभिनेताओं और गायकों ने अपनी सुरक्षा के लिए अदालत का रुख किया
बुधवार को गायक कुमार सानू को अदालत ने उनके व्यक्तित्व के अधिकारों की सुरक्षा देने का आदेश दिया. सानू चाहते थे कि उनका नाम, आवाज़, गायन का तरीका, गाने की शैली, हाव-भाव, तस्वीरें और हस्ताक्षर बिना उनकी अनुमति के इस्तेमाल न हों. इसी तरह, अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने भी बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) से अपने व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा की मांग की है.
AI जनरेटेड डीपफेक तस्वीरों और वीडियो के बढ़ते इस्तेमाल और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण, कई सेलिब्रिटी ऐसे मामले झेल रहे हैं जहाँ उनकी शक्ल या लोकप्रिय बातें बिना अनुमति के इस्तेमाल की जा रही हैं. कभी-कभी उनका नाम या चेहरा ऐसे प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होता है जिन्हें उन्होंने आधिकारिक रूप से समर्थन नहीं दिया होता, या उनके नाम का इस्तेमाल राजनीतिक विचारों का समर्थन दिखाने के लिए किया जाता है, या ठगी जैसे गैरकानूनी कामों में किया जाता है. कुछ मामलों में, डीपफेक अश्लील तस्वीरें भी वायरल हो चुकी हैं.
इस साल व्यक्तित्व अधिकारों से जुड़े कई मामले सामने आए हैं. कई सेलिब्रिटी अपनी तस्वीर, नाम या छवि की सुरक्षा के लिए अदालत गए हैं और चाहते हैं कि कोई भी बिना उनकी अनुमति इसके व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल न करे. इसी वजह से आशा भोसले, ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिषेक बच्चन, ऋतिक रोशन और करण जौहर के मामले सामने आए हैं.
Also Read: दिल्ली-एनसीआर के इन मार्केट्स में जाए बिना अधूरी है दिवाली की शॉपिंग!
व्यक्तित्व और प्रचार अधिकार क्या हैं?
किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के मामले में, उनके व्यक्तित्व का व्यावसायिक रूप से प्रचार करने का अधिकार उनकी प्राइवेसी के अधिकार का हिस्सा माना जाता है, क्योंकि उनका व्यक्तित्व उनका अपना होता है. इसे ही प्रचार अधिकार (publicity rights) कहा जाता है. जब कोई खास शब्द, हाव-भाव, बोलने का तरीका या किसी व्यक्ति की विशिष्ट चाल केवल उसी व्यक्ति से जुड़ी हो और सार्वजनिक तौर पर पहचानी जाती हो, तो इसका व्यावसायिक इस्तेमाल उस सेलिब्रिटी के व्यक्तित्व अधिकार (personality rights) में आता है.
जहाँ एक तरफ़ बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, वहीं सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार भी है. इसलिए इन दोनों अधिकारों के बीच संतुलन बनाना ज़रूरी होता है.
उदाहरण के तौर पर, अभिनेता अनिल कपूर का शब्द “झकास” और अमिताभ बच्चन की गहरी आवाज़ को कानूनी सुरक्षा मिली हुई है. सेलिब्रिटी के व्यक्तित्व का गलत इस्तेमाल उनके ब्रांड की छवि को नुकसान पहुंचाता है और आम लोगों को भी गुमराह करता है. कई बार सोशल मीडिया पर AI जनरेटेड तस्वीरों के जरिए सेलिब्रिटी के नाम पर फर्जी विज्ञापन और ब्रांड एंडोर्समेंट भी फैलाए जाते हैं.
एक सेलिब्रिटी के अधिकार क्या-क्या हैं?
अब तक के फैसलों के अनुसार, अगर कोई चीज़ सार्वजनिक तौर पर किसी सेलिब्रिटी से जुड़ी हुई और पहचानी जाती है, तो उन्हें उसके व्यक्तित्व अधिकार दिए जा सकते हैं. ये अधिकार सीधे पहचान पर निर्भर करते हैं, इसलिए अभिनेता और गायक को उनके खास हाव-भाव, बोलने या गाने के तरीके जैसे “signature expressions” का अधिकार दिया गया है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि ये अधिकार पीढ़ी दर पीढ़ी नहीं चलते हैं. यानी सेलिब्रिटी के निधन के बाद उनके व्यक्तित्व अधिकार खत्म हो जाते हैं. ऐसा कृष्ण किशोर सिंह बनाम सरला ए सराओगी और अन्य मामले में भी तय हुआ था, जिसमें दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता को फिल्म न्याय: द जस्टिस बनाने वालों के खिलाफ जो रोक लगाने की मांग थी, वह नहीं मिली. फिल्म अभिनेता के जीवन पर आधारित थी.
रायटर्स के अनुसार, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन (Aishwarya Rai Bachchan) ने अदालत से कहा है कि Google यह सुनिश्चित करे कि YouTube पर अपलोड किए जाने वाले वीडियो किसी भी तरह से अन्य AI प्लेटफॉर्म को सीखने या ट्रेन करने में इस्तेमाल न हों.
भारतीय कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून में व्यक्तित्व या प्रचार अधिकार (personality और publicity rights) के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं. ऐसे मामले बौद्धिक संपत्ति अधिकार (Intellectual Property Rights - IPR) के अंतर्गत आते हैं. इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 भी लागू होते हैं, जो क्रमशः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार देते हैं.
सेलिब्रिटी की छवि का गलत इस्तेमाल
नवंबर 2022 में हुए एक मामले में अदालत ने अमिताभ बच्चन की फोटो के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश (injunction order) दिया. यह उन लोगों के खिलाफ था जो उनकी शक्ल (खासकर टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति से) का इस्तेमाल WhatsApp पर लॉटरी धोखाधड़ी चलाने के लिए कर रहे थे. इसके पहले, 2012 में Titan Industries बनाम Ramkumar Jewellers मामले में अमिताभ बच्चन का नाम सामने आया था. इसमें अदालत ने Ramkumar Jewellers को आदेश दिया कि वे अपने होर्डिंग्स हटा दें, जिनमें बच्चन की तस्वीरें Tanishq के अभियान से कॉपी की गई थीं.
हाल ही में अभिनेता सुनील शेट्टी के पक्ष में दिए गए अस्थायी आदेश में, जज ने कहा कि, “सेलिब्रिटी की AI जनरेटेड तस्वीरों का बिना अनुमति इस्तेमाल उनकी प्राइवेसी और मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है.”
क्या कानून को और मजबूत बनाया जा सकता है?
जैसे-जैसे डीपफेक्स (deepfakes) बढ़ रहे हैं, व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों को कानूनी रूप से स्पष्ट और मजबूत करने की जरूरत भी बढ़ गई है. OpenAI के वॉइस असिस्टेंट Sky को लेकर विवाद में, Scarlett Johansson ने कहा कि उसने उनकी फिल्म Her से उनकी आवाज़ की नकल की, जिससे यह दिखा कि तकनीक कैसे सहमति और पहचान को भ्रमित कर सकती है. संगीतकार इलैयाराजा का मामला दिखाता है कि कानून में अभी कमी है. उनके मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि वह फिल्मों में दिए गए संगीत रचनाओं (compositions) के अकेले मालिक नहीं हो सकते, और यह फैसला अब अपील में है.
दुनिया भर में हुए ऐसे कुछ मामले इस दिशा में कुछ रास्ते जरूर सुझाते हैं. अमेरिका की अदालतों ने 1953 में प्रचार अधिकार (publicity rights) को मान्यता दी, और 2003 में यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स ने भी इसी तरह की सुरक्षा दी. गायक और गीतकार टेलर स्विफ्ट (Taylor Swift) का अपने मास्टर रिकॉर्डिंग वापस पाने का प्रयास भी यह दिखाता है कि पूरी दुनिया में कलाकार अपने काम पर ज्यादा नियंत्रण चाहते हैं. भारत में, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इंटरव्यू में कहा है कि आईटी नियमों में प्रस्तावित बदलाव डीपफेक नकली पहचान (deepfake impersonation) के मामलों को संभाल सकते हैं, लेकिन व्यक्तित्व अधिकार (personality rights) के लिए कोई खास कानून अभी नहीं है.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
To read this article in English, click here.