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चुपचाप इस दुनिया से विदा हो गए, सबको हँसाने वाले असरानी

वरिष्ठ अभिनेता असरानी, जो बॉलीवुड में हास्य का प्रतीक थे, कल मुंबई में चुपचाप इस दुनिया से विदा हो गए. 50 साल से अधिक करियर और 400 से अधिक फिल्मों में उनके बेहतरीन अभिनय और कॉमिक टाइमिंग ने हमेशा दर्शकों का दिल जीता.

वरिष्ठ अभिनेता असरानी, जो बॉलीवुड में हास्य का प्रतीक थे, कल मुंबई में चुपचाप इस दुनिया से विदा हो गए. 50 साल से अधिक करियर और 400 से अधिक फिल्मों में उनके बेहतरीन अभिनय और कॉमिक टाइमिंग ने हमेशा दर्शकों का दिल जीता.

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Pallavi Mehra
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Actor Asrani

गोवर्धन असरानी ने कई आइकॉनिक रोल्स किए हैं, जिन्हें फैंस कभी नहीं भूल सकते. Photograph: (X)

वरिष्ठ अभिनेता गोवर्धन असरानी का कल मुंबई में निधन हो गया. वो एक ऐसे कलाकार थे जो सिर्फ अपनी एक नजर से आपको हँसा सकते थे. अपने 50 साल से ज्यादा के करियर में उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किय. उन्होंने फिल्मों में सिर्फ एक्टिंग नहीं की, बल्कि अपनी कला से वे भारतीय सिनेमा में कॉमेडी का चेहरा बन गए.

असरानी की बॉलीवुड यात्रा 

असरानी की बॉलीवुड (Bollywood) यात्रा आसान नहीं थी. उन्होंने छोटे-छोटे रोल्स से शुरुआत की और बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष किया. लेकिन उनके भावपूर्ण अभिनय और बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग ने सभी का दिल और ध्यान जीत लिया. चाहे कॉमेडी हो, ड्रामा हो या गंभीर रोल्स, वह सब कुछ बखूबी निभा सकते थे.

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यहां हम उनकी दस सबसे यादगार फिल्मों (films) की सूची दे रहे हैं, जो दिखाती हैं कि असरानी की हँसी का प्रभाव हमेशा जीवित रहेगा.

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असरानी के सबसे यादगार रोल्स जो हम कभी नहीं भूलेंगे

शोले (1975): इस फिल्म को कौन नहीं जानता! असरानी ने फिल्म में प्रसिद्ध जेलर का किरदार निभाया था. भले ही यह रोल छोटा था लेकिन अपने अभिनय से उन्होंने इसे लेजेंड्री बना दिया था. उनका डायलॉग, “हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं,” आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है. उन्होंने बॉसी लिटिल जेलर वाले रोल को बेहद मजेदार बना कर इस साइड रोल को क्लासिक बना दिया.

चुपके चुपके (1975): यह एक कॉमेडी फिल्म थी जो गलत पहचान (mistaken identity) पर आधारित कहानी थी, और इसे ऋषिकेश मुखर्जी ने निर्देशित किया था. असरानी की होशियार और चतुर भूमिका ने कहानी को और भी मजेदार बना दिया था. फिल्म में उनके स्मार्ट डायलॉग्स और नैचुरल रिएक्शंस आज भी लोगों को हँसा देते हैं.

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अमर अकबर एंथनी (1977): यह एक बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म थी जिसमें सितारों की भरमार थी, लेकिन असरानी ने फिल्म में अपनी अलग पहचान बनाई. उनका मजेदार सहायक रोल फिल्म में और भी ऊर्जा भर देता था.

नमक हराम (1973): अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की इस फिल्म में असरानी अपने मजेदार एक्सप्रेशन्स, अनोखी बॉडी लैंग्वेज और चतुर डायलॉग्स के लिए जाने जाते थे जो कई बार शो चुरा लेते थे.

तक़दीरवाला (1995): 90 के दशक की यह क्लासिक कॉमेडी फिल्म थी! असरानी और कादर खान ने साथ मिलकर फिल्म में अभिनय का जादू बिखेरा था. उनकी मजेदार बातों का आदान-प्रदान पूरी फैंटेसी-एक्शन कहानी में दर्शकों को हँसाता रहा.

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हेरा फेरी (2000) और धमाल (2007): असरानी की कॉमेडी सिर्फ क्लासिक्स में ही नहीं, बल्कि आधुनिक फिल्मों में भी सभी को हँसाती रही. फिल्म में अक्षय कुमार, संजय दत्त और अन्य बड़े सितारों कि मौजूदगी के बावजूद भी इन फिल्मों में उनके सहायक रोल्स ने दर्शकों को खूब हँसाया और पूरे शो की जान बन गए.

बाग़बान (2003): फिल्म बाग़बान में असरानी ने बैंक कर्मचारी मिस्टर बेदी का किरदार निभाया, जो मुख्य पात्र राज मल्होत्रा (अमिताभ बच्चन) के करीबी दोस्त थे. भले ही उनका रोल छोटा था, लेकिन उसने कहानी में गर्मजोशी और अपनापन जोड़ दिया. बाग़बान मुख्य रूप से अपने भावुक पारिवारिक कहानी के लिए याद की जाती है, लेकिन असरानी का मिस्टर बेदी के रूप में रोल इसे और भी यादगार बना गया.

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भूल भुलैया (2007): भूल भुलैया में असरानी ने मुरारी का किरदार निभाया, जो भूतिया घर में एक वफादार स्टाफ मेंबर था. उन्होंने डरावने पलों में भी लोगों को हँसाया और अपने अभिनय से छाप छोड़ी.

बोल बच्चन (2012): अपने करियर के आखिरी समय में भी असरानी की कॉमिक कला ने सबका ध्यान खींचा. उनके चतुर डायलॉग्स और भावपूर्ण अंदाज ने उन्हें खास बनाया और उनके अनोखे ह्यूमर को जीवित रखा.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.

To read this article in English, click here.

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