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कैसे डॉली जैन बनीं भारत की नंबर 1 सेलिब्रिटी साड़ी ड्रेपर? Photograph: (Instagram)
जब भी साड़ी को बेमिसाल अंदाज़ में पहनने की बात आती है, तो एक नाम सबसे पहले ज़ेहन में उभरता है — डॉली जैन. चाहे अंबानी परिवार की शाही शादियाँ हों या बॉलीवुड (Bollywood) के चमचमाते रेड कार्पेट इवेंट्स, हर जगह परफेक्ट साड़ी ड्रेपिंग के लिए उन्हीं को बुलाया जाता है. डॉली जैन ने साड़ी पहनने के पारंपरिक तरीके को एक नई ऊँचाई दी है — उनके हर प्लीट, हर फोल्ड में एक कला झलकती है.
लेकिन उनकी कहानी को सचमुच खास बनाता है यह तथ्य कि कभी उन्हें साड़ी पहनना बिल्कुल पसंद नहीं था. हाँ, वही डॉली जैन जो आज सैकड़ों अभिनेत्रियों और सेलिब्रिटीज़ को साड़ी में संवारती हैं, एक समय साड़ी से दूरी बनाए रखती थीं. और यहीं से शुरू हुई उनकी प्रेरणादायक यात्रा — साड़ी से नापसंदगी से लेकर “साड़ी ड्रेपिंग की क्वीन” बनने तक की कहानी, जो आज हर महिला को अपने स्टाइल और जुनून को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए प्रेरित करती है.
जिस साड़ी से थी दूरी, वही बनी पहचान की डोरी
डॉली जैन का जन्म और पालन-पोषण बेंगलुरु में हुआ. उनकी ज़िंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब 21 साल की उम्र में उनकी शादी हुई और वे कोलकाता के एक पारंपरिक परिवार में आ गईं. यहीं से साड़ी उनके जीवन का हिस्सा बनी लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह उनका चुनाव नहीं था, बल्कि परिवार के नियमों का हिस्सा था.
हर दिन साड़ी पहनना उनके लिए शुरू में एक मजबूरी जैसा था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इस परिधान को एक कला के रूप में देखना शुरू किया. जो साड़ी कभी उनके लिए बंधन लगती थी, वही आगे चलकर उनकी पहचान बन गई. डॉली जैन ने साड़ी को सिर्फ पहना नहीं, बल्कि उसे एक नया रूप, एक नई परिभाषा दी और इसी तरह उनकी साड़ी ड्रेपिंग की यात्रा की शुरुआत हुई.
टेलीग्राफ इंडिया को दिए एक साक्षात्कार में डॉली जैन ने बताया कि उनके ससुराल में सभी महिलाएँ सिर्फ साड़ी ही पहनती थीं. शुरुआत में उन्हें यह इतना नापसंद था कि वे कई बार रो भी पड़ती थीं. लेकिन वक्त बीतने के साथ कुछ बदलने लगा- साड़ी के प्रति उनका नजरिया, उनका एहसास, और धीरे-धीरे वही परिधान उनके जीवन का सबसे बड़ा जुनून बन गया.
डॉली जैन ने टेलीग्राफ इंडिया से बातचीत में कहा, “शुरुआती दिनों में मेरा अनुभव अच्छा नहीं था, क्योंकि मुझे साड़ियाँ बिल्कुल पसंद नहीं थीं. लेकिन ससुराल में मुझे सिर्फ साड़ी पहनने की ही अनुमति थी. धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि यह परिधान कितना रोचक है और शायद वहीं से मुझे साड़ी से प्यार होने लगा. जब मैंने साड़ी से प्यार करना शुरू किया तभी से ड्रेपिंग की यह यात्रा भी शुरू हुई.”
इस तरह उनके लिए साड़ी पहनना जो एक मजबूरी के तौर पर शुरू हुआ था, वह धीरे-धीरे एक जुनून में बदल गया और फिर वही जुनून आगे चलकर उनका पेशा बन गया.
टर्निंग पॉइंट: मदद के हाथ से करियर तक का सफर
डॉली जैन ने किसी के अधीन प्रशिक्षण नहीं लिया. उन्होंने खुद देखकर, प्रयोग करके और अभ्यास के ज़रिए साड़ी ड्रेपिंग की कला सीखी- पहले अपने ऊपर और फिर अन्य महिलाओं पर. उनका एक ही सिद्धांत था: साड़ी सिर्फ खूबसूरत नहीं दिखनी चाहिए, बल्कि पहनने में आरामदायक भी होनी चाहिए.
यही “कम्फर्ट-फर्स्ट” सोच उनकी पहचान बन गई. एक दिन, एक भव्य भारतीय शादी में शामिल होते हुए उन्होंने देखा कि दुल्हन भारी साड़ी संभालने में परेशान थी. डॉली ने उसकी साड़ी इस तरह से ठीक की कि दुल्हन अपने लुक से समझौता किए बिना तुरंत सहज महसूस करने लगी. और बस, उसी पल से सब कुछ बदल गया. डॉली जैन के लिए यह एक नई शुरुआत थी, जिसने उनके जुनून को करियर का रूप दे दिया.
टाइम्स नाउ से बातचीत में डॉली जैन ने बताया कि उसी दिन फैशन डिज़ाइनर संदीप खोसला ने उनके हुनर को पहचाना. उनकी साड़ी ड्रेपिंग की कला से प्रभावित होकर संदीप खोसला ने डॉली का नाम कई सेलिब्रिटीज़ को सुझाया. यही वह पल था जब डॉली जैन का सफर ग्लैमर की दुनिया और हाई-प्रोफाइल शादियों की ओर शुरू हुआ.
भारत के सबसे प्रतिष्ठित आयोजनों की ड्रेपर
जब डॉली जैन की प्रतिभा की चर्चा फैलने लगी, तब पीछे मुड़कर देखने का कोई सवाल ही नहीं था. बॉलीवुड सितारों से लेकर अरबपतियों तक हर कोई जो परफेक्ट और टिकाऊ साड़ी ड्रेपिंग चाहता था. उसके लिए डॉली जैन सबकी पहली पसंद बन गईं.
उन्होंने अंबानी परिवार की शादियों में भी साड़ियाँ ड्रेप कीं. यह एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था, जिसमें 101 अलग-अलग शादी के कार्यक्रम शामिल थे. फिर भी, डॉली कहती हैं कि उन्होंने इसे किसी अन्य क्लाइंट से अलग नहीं माना.
टेलीग्राफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मैं अपने सभी क्लाइंट्स को समान महत्व देती हूँ. अंबानी शादी के लिए भी मैंने कोई खास तैयारी नहीं की थी. मेरे लिए वह भी एक शादी थी, जहाँ मुझे दूसरों की तरह ही अपना 100 प्रतिशत देना था.”
357 तरीकों से साड़ी ड्रेप करने वाली कलाकार
डॉली जैन के नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में यह रिकॉर्ड दर्ज है कि वे साड़ी को 357 अलग-अलग तरीकों से ड्रेप करना जानती हैं. हैदराबादी, गुजराती, असमिया या राजस्थानी- हर शैली में वे माहिर हैं. उनकी हर प्लीट और हर फोल्ड में परंपरा और आधुनिकता का अनोखा मेल झलकता है.
लेकिन डॉली का काम केवल साड़ी ड्रेपिंग तक सीमित नहीं है. वे गहनों के चुनाव से लेकर हेयरस्टाइल तक पूरी स्टाइलिंग के लिए गाइड करती हैं, ताकि हर लुक पूरी तरह निखरकर सामने आए.
सियासत के अनुसार, डॉली जैन प्रति साड़ी ड्रेपिंग के लिए₹35,000 से लेकर ₹2,00,000 तक चार्ज करती हैं, यह दर अवसर और साड़ी की बारीकियों पर निर्भर करती है.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
To read this article in English, click here.
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