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भारतीय मूल की लीना नायर, जिन्होंने बिज़नेस जगत में बाधाएँ तोड़ते हुए शनैल की ग्लोबल सीईओ बनकर इतिहास रचा. Photograph: (Leena Nair/Instagram)
भारतीय महिलाएँ आज हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और मेहनत से दुनिया भर में नाम कमा रही हैं. कभी वे घर की ज़िम्मेदारियों तक सीमित मानी जाती थीं, लेकिन अब वही महिलाएँ तकनीक, मीडिया, शिक्षा, फैशन और बिज़नेस जैसे बड़े क्षेत्रों में नेतृत्व की मिसाल बन चुकी हैं. जहाँ भी भारतीय महिलाएँ जाती हैं, वहाँ अपनी पहचान छोड़ती हैं. वे न सिर्फ़ कामयाबी हासिल कर रही हैं, बल्कि दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही हैं.
ऐसी ही एक अद्भुत शख्सियत हैं लीना नायर, जिन्होंने बिज़नेस की दुनिया में तहलका मचा दिया है. लीना ने अपने काम और नेतृत्व क्षमता से साबित किया है कि अगर इरादा मज़बूत हो, तो कोई मंज़िल दूर नहीं होती. वे आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय महिलाओं की ताकत और काबिलियत का प्रतीक बन चुकी हैं. लीना नायर जैसी महिलाएँ यह दिखाती हैं कि भारत की बेटियाँ अब सिर्फ़ इतिहास नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास, मेहनत और नेतृत्व से भविष्य भी लिख रही हैं.
जो लोग उनके बारे में नहीं जानते, उनके लिए बता दें कि लीना नायर इस समय शनैल (Chanel) की ग्लोबल सीईओ हैं. इससे पहले वे यूनिलीवर (Unilever) में चीफ़ ह्यूमन रिसोर्सेज़ ऑफ़िसर के पद पर कार्यरत थीं. एक बिज़नेस लीडर के रूप में लीना नायर हमेशा से मानव-केंद्रित कार्यस्थलों (human-centered workplaces) और संवेदनशील नेतृत्व (compassionate leadership) की प्रबल समर्थक रही हैं. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने काम से यह साबित किया है कि दया, समझ और इंसानियत के साथ भी मज़बूत नेतृत्व किया जा सकता है.
आज, आइए हम लीना नायर के इस अद्भुत सफ़र पर थोड़ा और गहराई से नज़र डालते हैं. यह उस महिला की कहानी है जिसने भारतीय जड़ों से निकलकर वैश्विक मंच पर अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराया है.
कोल्हापुर की गलियों से ग्लोबल स्टेज तक
लीना नायर का जन्म 11 जून 1969 को कोल्हापुर, महाराष्ट्र में एक हिंदू मलयाली परिवार में हुआ था. पारंपरिक माहौल में पली-बढ़ी लीना के परिवार ने हमेशा उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया. यही वजह थी कि वे होली क्रॉस कॉन्वेंट स्कूल, कोल्हापुर से पढ़ने वाली पहली महिला बैच का हिस्सा बनीं. अपनी स्कूली शिक्षा के बाद लीना ने इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने 1992 में जेवियर कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट (XLRI) से एमबीए किया और गोल्ड मेडल हासिल किया. वे अपने परिवार की पहली महिला थीं जिन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और यही उनकी कहानी की सबसे प्रेरक शुरुआत बनी.
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, लीना को हिंदुस्तान यूनिलीवर में समर इंटर्न के रूप में काम करने का मौका मिला. अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर उन्होंने जल्द ही कंपनी में जगह बना ली और 1992 में ही मैनेजमेंट ट्रेनी बन गईं. यह जानकारी वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में दी गई है.
ट्रेनी से टॉप लीडर तक: लीना नायर की यूनिलीवर जर्नी
लीना नायर का सफ़र हिंदुस्तान यूनिलीवर में वाकई प्रेरणादायक रहा है. जो लोग उस दौर में उनके साथ थे, वे जानते हैं कि उनकी तरक़्क़ी किसी चमत्कार से कम नहीं थी. जो शुरुआत मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में हुई थी, वह आगे चलकर कई दशकों तक चलने वाले शानदार करियर में बदल गई. इस दौरान उन्होंने कंपनी के कई अहम और चुनौतीपूर्ण पद संभाले. लीना ने फैक्ट्रियों, सेल्स ऑफिसों और कॉर्पोरेट हेडक्वार्टर तीनों स्तरों पर काम किया. उन्होंने हर जगह अपनी काबिलियत साबित की, खासकर उन जगहों पर जहाँ ज़्यादातर पुरुष काम करते थे.
साल 2007 तक लीना नायर ने हिंदुस्तान यूनिलीवर में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था. वे कंपनी की एक्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर ऑफ़ ह्यूमन रिसोर्सेज़ बनीं और इसी के साथ वे कंपनी की मैनेजमेंट कमेटी में शामिल होने वाली सबसे कम उम्र की और पहली महिला बन गईं. लीना के नेतृत्व में कंपनी में डाइवर्सिटी और इन्क्लूज़न (समानता) पर विशेष ध्यान दिया गया. उनके प्रयासों से यूनिलीवर की कार्यसंस्कृति पूरी तरह बदल गई. महिलाओं के लिए नए अवसर खुले और कार्यस्थलों पर समानता के नए मानक स्थापित हुए.
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, लीना की कोशिशों से यूनिलीवर ने अपने ग्लोबल लीडरशिप और मैनेजमेंट रोल्स में 50-50 जेंडर बैलेंस हासिल किया. साल 2016 में, वे कंपनी की पहली महिला, पहली एशियाई, और अब तक की सबसे कम उम्र की चीफ़ ह्यूमन रिसोर्सेज़ ऑफ़िसर (CHRO) बनीं. वे 2020 तक कंपनी की एक्ज़िक्यूटिव कमेटी की सदस्य रहीं.
शनैल में नई राहें बनाती लीना नायर
लेकिन लीना नायर का सफ़र यहीं नहीं रुका. दिसंबर 2021 में उन्होंने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींच लिया, जब उन्हें शनैल (Chanel) जो दुनिया के सबसे मशहूर फैशन ब्रांड्स में से एक है, का ग्लोबल सीईओ नियुक्त किया गया. दिलचस्प बात यह थी कि लीना का फैशन इंडस्ट्री से पहले कोई अनुभव नहीं था, फिर भी शनैल के चेयरमैन एलेन वर्टहाइमर (Alain Wertheimer) ने उन्हें उनकी बेहतरीन प्रतिष्ठा और नेतृत्व क्षमता के कारण इस पद के लिए चुना.
उनकी यह नियुक्ति इतिहास रचने वाली थी क्योंकि वे न केवल शनैल का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय बनीं, बल्कि दुनिया की कुछ गिनी-चुनी रंगभेद से परे महिला लीडर्स में से एक भी हैं जिन्होंने किसी वैश्विक फैशन कंपनी की कमान संभाली. इस कदम ने यह साफ़ संकेत दिया कि अब फैशन जगत में समावेशिता और विविधता को गर्व से अपनाया जा रहा है.
शनैल में भी लीना ने वही सोच और मूल्य अपनाए, जिनके लिए वे यूनिलीवर में जानी जाती थीं- संवेदनशीलता, समानता और उद्देश्य के साथ काम करना. उनका हमेशा से यह मानना रहा है, “किसी चीज़ को बदलने से पहले, उसे समझने की कोशिश करें.” सीईओ बनने के बाद उन्होंने दुनिया भर के कई रीजनल ऑफिस, सैकड़ों रिटेल स्टोर और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का दौरा किया, ताकि वे कंपनी के हर हिस्से को करीब से समझ सकें. उन्होंने फैशन जगत के शीर्ष लोगों, जिनमें उस समय शनैल की क्रिएटिव डायरेक्टर वर्जिनी वियार्ड (Virginie Viard) भी शामिल थीं, के साथ घुलने-मिलने और उद्योग को समझने की पूरी कोशिश की.
लीना नायर के योगदान को दुनिया ने खूब सराहा है. साल 2025 में उन्हें ब्रिटिश शाही परिवार की ओर से कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर (CBE) जैसी यूके की सबसे प्रतिष्ठित नागरिक उपाधियों में से एक से सम्मानित किया गया. यह सम्मान उन्हें बिज़नेस की दुनिया में उनके शानदार योगदान के लिए दिया गया.
इससे पहले, 2017 में, उन्हें रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा यूके की सबसे सफल भारतीय बिज़नेस लीडर्स में से एक के रूप में सम्मानित किया गया था. साल 2021 में, लीना नायर को फोर्ब्स की दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में 68वां स्थान मिला.
एक छोटे शहर की बड़ी सोच वाली लड़की से लेकर दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिला नेताओं में शामिल होने तक, लीना नायर का सफ़र वाकई कमाल का रहा है. उनकी कहानी उन लाखों भारतीय लड़कियों के सपनों को आवाज़ देती है जो अपनी मेहनत और हौसले से बेहतर जीवन बनाना चाहती हैं. उनकी सफलता यह साबित करती है कि लीडरशिप नरम दिल भी हो सकती है और निडर भी, दयालु भी और मज़बूत भी। आज लीना नायर उन छोटी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं जो बड़े सपने देखती हैं क्योंकि कभी वो भी उन्हीं की तरह एक सपनों से भरी साधारण लड़की थीं।
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
To read this article in English, click here.
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