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Zoho Mail या Gmail: कौन सी ईमेल सेवा है आपके लिए सही?

Zoho Mail सुरक्षा, प्राइवेसी, बड़े अटैचमेंट और सस्ती प्राइसिंग में बेहतर है, जबकि Gmail Google टूल्स और AI फीचर्स में मजबूत है. यूज़र अपनी जरूरत और डेटा प्राइवेसी के हिसाब से सही ईमेल सेवा चुन सकते हैं.

Zoho Mail सुरक्षा, प्राइवेसी, बड़े अटैचमेंट और सस्ती प्राइसिंग में बेहतर है, जबकि Gmail Google टूल्स और AI फीचर्स में मजबूत है. यूज़र अपनी जरूरत और डेटा प्राइवेसी के हिसाब से सही ईमेल सेवा चुन सकते हैं.

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FE Hindi Desk
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Zoho Mail vs Gmail

Zoho Mail और Gmail में से जानिए कौन सा प्लेटफ़ॉर्म आपके काम और डेटा सुरक्षा के लिए सबसे सही विकल्प है.

Zoho Mail vs Gmail: ज़ोहो मेल (Zoho Mail), जिसे ज़ोहो एंटरप्राइजेज़ ने बनाया है, गूगल की ईमेल सेवा जीमेल (Gmail) को कड़ी टक्कर दे रहा है. आजकल डिजिटल प्राइवेसी, काम की उत्पादकता और डेटा पर नियंत्रण को लेकर लोग ज्यादा जागरूक हैं. इसलिए ईमेल चुनना सिर्फ आसान होने के लिए नहीं, बल्कि अपने डेटा की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है. हालांकि जीमेल अभी भी दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है, लेकिन भारतीय ईमेल प्लेटफ़ॉर्म ज़ोहो मेल धीरे-धीरे भारत में लोकप्रिय हो रहा है. खासकर प्राइवेसी के मामले में जागरूक लोग और सरकारी संस्थाएं ज़ोहो मेल का इस्तेमाल बढ़ा रही हैं.

हाल ही में भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने ज़ोहो मेल की तरफ ध्यान दिलाया. उन्होंने ‘X’ पर बताया कि अब वे जीमेल छोड़कर ज़ोहो मेल इस्तेमाल कर रहे हैं. इस आर्टिकल में ज़ोहो मेल के बारे में काफी बात हुई है, इसलिए हमने इसके कुछ ऐसे फीचर्स बताए हैं जो इसे जीमेल से बेहतर बनाते हैं.

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प्रोडक्टिविटी टूल्स

जीमेल और ज़ोहो मेल दोनों ही ईमेल और काम करने वाले टूल्स देते हैं, लेकिन हर कोई अलग तरह के यूज़र के लिए बेहतर हैं. जीमेल, जो Google Workspace का हिस्सा है, Google Docs, Sheets, Drive और Meet के साथ अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. अगर आप पहले से Google के टूल्स इस्तेमाल करते हैं, तो जीमेल आपके लिए बहुत आसान और स्मूथ अनुभव देता है.

वहीं, ज़ोहो मेल उन पेशेवरों और छोटे व्यवसायों के लिए है जो साफ-सुथरी और आसान ईमेल सुविधा चाहते हैं. इसमें टास्क, कैलेंडर, नोट्स जैसी बिल्ट-इन ऐप्स और “Streams” नाम का सोशल कोलैबोरेशन फीचर भी है. खास बात यह है कि ज़ोहो मेल में ईमेल अटैचमेंट का साइज़ 1 GB तक भेजा जा सकता है, जबकि जीमेल में सीधे अटैचमेंट की लिमिट सिर्फ 25 MB है.

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एआई (AI) इंटीग्रेशन

टेक कंपनियां धीरे-धीरे अपने सभी प्रोडक्ट्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) जोड़ रही हैं. गूगल और ज़ोहो दोनों ही AI टूल्स में भारी निवेश कर रहे हैं. जीमेल में Google का Gemini AI इस्तेमाल होता है, जो यूज़र्स को स्मार्ट रिप्लाई, लिखने में सुझाव और कंटेंट का सार देने जैसी सुविधाएं देता है.

वहीं, ज़ोहो का अपना AI असिस्टेंट है, जिसका नाम Zia है और यह OpenAI से पावर लिया गया है. Zia ईमेल ड्राफ्ट करने, सब्जेक्ट लाइन सुझाने और लंबे कॉन्वर्सेशन को संक्षेप में बताने में मदद करता है. जहां गूगल का AI अपने बड़े इंटीग्रेशन के कारण ज्यादा व्यापक लगता है, वहीं Zia आसान और प्रैक्टिकल टूल्स देता है जो यूज़र्स के लिए चीज़ें जटिल नहीं बनाते.

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प्राइवेसी और सिक्योरिटी

प्राइवेसी की बात करें तो ज़ोहो के पास बढ़त है. भारत में आधारित ज़ोहो में कोई विज्ञापन और ट्रैकिंग नहीं होती, जिससे यह उन यूज़र्स के लिए खास है जो बड़ी टेक कंपनियों के डेटा प्रैक्टिस से परेशान हैं. यह ईमेल को स्टोर और भेजते समय एन्क्रिप्शन देता है और सुरक्षित ईमेल साइनिंग के लिए S/MIME जैसे एडवांस्ड टूल्स भी उपलब्ध हैं.

जीमेल सुरक्षित और भरोसेमंद है, लेकिन यह एक ऐसे सिस्टम का हिस्सा है जो बहुत बड़ा यूज़र डेटा इकट्ठा करता है, जिसे प्रोडक्ट डेवलपमेंट और पर्सनलाइजेशन में इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए जो यूज़र्स सुविधा से ज्यादा अपनी डेटा प्राइवेसी को महत्व देते हैं, उनके लिए ज़ोहो एक मजबूत विकल्प साबित होता है.

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प्राइसिंग

ज़ोहो मेल छोटे स्टार्टअप या टीम्स के लिए पांच यूज़र्स तक मुफ्त प्लान देता है. इसके पेड प्लान की शुरुआत केवल रु. 59 प्रति यूज़र प्रति महीने से होती है.

वहीं, जीमेल के फीचर्स, जो Google Workspace के जरिए मिलते हैं, की कीमत रु. 160 प्रति यूज़र प्रति महीने से शुरू होती है. हालांकि गूगल का महँगा प्लान इसके बड़े ऐप सूट तक एक्सेस देता है, ज़ोहो की सस्ती कीमत बजट के मामले में यूज़र्स के लिए बड़ा फायदा है.

Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.

To read this article in English, click here.

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