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Share Market Data: दिसंबर में FII दो महीने बाद बने नेट बायर, फिर भी 2% क्यों गिरा Nifty, कहां लगाए पैसे, किन सेक्टर्स में की बिकवाली?

FII Monthly Flow Tracker : विदेशी संस्थागत निवेशक दिसंबर 2024 में नेट बायर रहे, इसके बावजूद Nifty 50 में 2% की गिरावट देखी गई. क्या रही इसकी वजह?

FII Monthly Flow Tracker : विदेशी संस्थागत निवेशक दिसंबर 2024 में नेट बायर रहे, इसके बावजूद Nifty 50 में 2% की गिरावट देखी गई. क्या रही इसकी वजह?

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Viplav Rahi
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FIIs wre Net Buyers in December 2024 : विदेशी संस्थागत निवेशक दिसंबर 2024 में नेट बायर रहे. (Image : Freepik)

FIIs Turned Net Buyers in December 2024 After 2 Months : विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) दिसंबर 2024 में नेट बायर रहे. इसके बावजूद दिसंबर के दौरान Nifty 50 में 2% की गिरावट देखी गई. पहली नजर में यह बात थोड़ी चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन आंकड़ों के डिटेल में जाने पर इसकी वजह साफ हो जाती है. भारतीय शेयर बाजार में FII का रुझान दिसंबर 2024 के पहले 15 दिनों में अलग था और बाद के आधे महीने के दौरान उससे बिलकुल उलटा. इसके अलावा एफआईआई ने अलग-अलग सेक्टर्स में भी खरीद-बिक्री के मामले में अलग-अलग रुझान दिखाया है. ये सारी जानकारी जेएम फाइनेंशियल के दिसंबर महीने के एफआईआई मंथली फ्लो ट्रैकर (FII Monthly Flow Tracker) में दी गई है. इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि एफआईआई ने भारतीय बाजार के किन सेक्टर्स में खरीदारी की है और कहां उनका जोर बिकवाली पर रहा है.

FII की खरीद-बिक्री का कैसा रहा पैटर्न

दरअसल एफआईआई लगातार दो महीने (अक्टूबर, नवंबर 2024) तक नेट सेलर रहने के बाद दिसंबर 2024 में नेट बायर बने. दिसंबर 2024 के पूरे महीने के दौरान FII ने भारतीय बाजार में 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (111 अरब रुपये) का नेट इनवेस्टमेंट किया. दरअसल खरीदारी का यह सिलसिला नवंबर 2024 के दूसरे हाफ में शुरू हुआ था. दिसंबर के पहले हाफ (1H) में FII ने 3.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (269 अरब रुपये) के शेयर खरीदे. लेकिन दूसरे भाग (2H) में बिकवाली का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (158 अरब रुपये) के शेयर बेच डाले. क्रिसमस के बाद के चार ट्रेडिंग सेशन्स में FII ने कुल मिलाकर करीब 956 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बिकवाली की, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा और Nifty 50 में गिरावट दर्ज की गई. 

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ऑयल एंड गैस, ऑटो और FMCG में बिकवाली

मंथली फ्लो ट्रैकर के आंकड़ों को डिटेल में देखने पर भारतीय कंपनियों के स्टॉक्स के मामले में विदेशी संस्थागत निवेशकों के बर्ताव से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातों का खुलासा भी होता है. दिसंबर में FII ने ऑयल एंड गैस सेक्टर से लगातार तीसरे महीने 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बिकवाली की. ऑटो सेक्टर में यह रुझान लगातार पांचवें महीने जारी रहा, जिसमें 513 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बिकवाली हुई. इसी तरह, FMCG सेक्टर में भी 327 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बिकवाली देखी गई. इन सेक्टर्स में बिकवाली के पीछे ग्लोबल इकनॉमिक हालात, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और सेक्टर-स्पेसिफिक चुनौतियों का हाथ मान जा रहा है.

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IT, फार्मा और BFSI में बड़ी खरीदारी 

दूसरी तरफ, IT सेक्टर ने दिसंबर में सबसे ज्यादा 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FII निवेश आकर्षित किया. इसके बाद फार्मा सेक्टर में 442 मिलियन अमेरिकी डॉलर और BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) व कैपिटल गुड्स सेक्टर में 368 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ. यह रुझान दिखाता है कि निवेशक अभी भी तकनीकी और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों को लंबी अवधि के लिए आकर्षक मानते हैं. BFSI और कैपिटल गुड्स में निवेश आर्थिक स्थिरता और बुनियादी ढांचे के विकास पर विश्वास को दर्शाता है.

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FII की खरीदारी के बावजूद Nifty में क्यों रही गिरावट

FII के नेट बायर होने के बावजूद Nifty 50 में 2% की गिरावट देखी गई. इसके पीछे दिसंबर के दूसरे भाग में तेज बिकवाली और सेक्टर-स्पेसिफिक दबाव को मुख्य वजह माना जा सकता है. इसके अलावा, तेल और गैस तथा ऑटो सेक्टर जैसे भारी वेटेज वाले सेक्टर्स में लगातार बिकवाली ने इंडेक्स पर नकारात्मक प्रभाव डाला. क्रिसमस के बाद की ट्रेडिंग गतिविधियों में गिरावट ने भी बाजार को कमजोर किया.

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किन सेक्टर्स में बदल रही है FII की प्राथमिकता?

दिसंबर में FII ने कैपिटल गुड्स, मेटल्स और टेलीकॉम जैसे सेक्टर्स में फिर से निवेश करना शुरू किया. ये सेक्टर्स नवंबर में बिकवाली के केंद्र में थे. यह बदलाव दिखाता है कि FII सेक्टर-स्पेसिफिक संभावनाओं पर ध्यान दे रहे हैं और अपनी रणनीतियों को उसी हिसाब से एडजस्ट कर रहे हैं. दिसंबर 2024 का FII डेटा डिटेल में देखने से यह भी साफ होता है कि भारतीय बाजार में निवेश और बिकवाली के बैलेंस पर कई फैक्टर्स का असर पड़ता है. 

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भारतीय बाजार में FII की हिस्सेदारी का लॉन्ग टर्म ट्रेंड

दिसंबर 2024 के अंत तक कुल भारतीय इक्विटी में FII की हिस्सेदारी (FII ownership as a % of total Indian equities) 16.1% रही, जो अक्टूबर 2024 के 16% से थोड़ी अधिक थी. हालांकि पिछले साल के इसी महीने यानी दिसंबर 2023 के 16.8% से यह कुछ कम है. दरअसल भारतीय इक्विटी मार्केट में FII की ओनरशिप का प्रतिशत पिछले एक दशक में लगातार गिरा है. दिसंबर 2014 में यह 19.9% था, जबकि दिसंबर 2024 में यह घटकर 16.1% तक आ गया. यह डेटा भारतीय बाजार में घरेलू निवेशकों के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाता है.

रिपोर्ट की खास बातें

  • दिसंबर 2024 में एफआईआई नेट बायर रहे; लेकिन महीने के दूसरे हाफ में बिकवाली तेज हो गई.

  • एफआईआई ने ऑयल एंड गैस, ऑटो और एफएमसीजी में सबसे ज्यादा बिकवाली की.

  • एफआईआई ने आईटी, फार्मा, बीएफएसआई और कैपिटल गुड्स में सबसे ज्यादा निवेश किया.

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