/financial-express-hindi/media/media_files/5ybCEIYjkuyQKfdfbkpU.jpg)
Sensex crash : सोमवार को भारतीय शेयर बाजार की भारी गिरावट से निवेशकों के 14 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं. (Image : Pixabay)
Share Market Crash : भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली. बीएसई सेंसेक्स (Sensex) 1048.90 अंक यानी -1.36% गिरकर 76,330.01 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी (Nifty 50) भी 345.55 अंक या -1.47% टूटकर 23,085.95 पर आ गया. इस गिरावट से निवेशकों को 14 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. निफ्टी के 50 में से सिर्फ 4 शेयर बढ़त के साथ बंद हुए, जबकि 46 शेयरों में गिरावट रही. 1 शेयर के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ. बाजार में आई इस चौतरफा गिरावट ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है. आइए जानते हैं इस मार्केट क्रैश की 7 बड़ी वजहें.
1. अमेरिका में मजबूत जॉब डेटा
हाल ही में जारी अमेरिका के जॉब डेटा ने बाजार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. दिसंबर में अमेरिका में अनुमान से ज्यादा 2.56 लाख नौकरियां जुड़ीं, जबकि उम्मीद 1.65 लाख की थी. इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो गई. ब्याज दरों में कटौती न होने से ग्लोबल निवेशकों का रुझान उभरते बाजारों से घट सकता है.
2. बॉन्ड यील्ड में उछाल
अमेरिका के मजबूत आर्थिक आंकड़ों के चलते 10-वर्षीय ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड 4.73% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. इससे डॉलर मजबूत हुआ और विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से पूंजी निकालना शुरू कर दी. बॉन्ड यील्ड बढ़ने से इक्विटी मार्केट पर दबाव बना रहता है.
3. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने जनवरी 2025 में अब तक 22,259 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती और डॉलर की मजबूती के चलते निवेशक भारतीय बाजार से दूरी बना रहे हैं. यह बिकवाली बाजार में गिरावट का प्रमुख कारण बनी.
4. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. ब्रेंट क्रूड 81.11 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड 77.97 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भारत जैसे आयात-आधारित देशों पर महंगाई का दबाव बढ़ता है.
5. रुपये की कमजोरी
रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर 86.27 पर आ गया. रुपये में गिरावट से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से बाहर निकलते हैं, जिससे बाजार में और गिरावट आती है. रुपये की कमजोरी से आयात महंगा होता है, जिससे महंगाई बढ़ती है.
6. आर्थिक सुस्ती के संकेत
सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 8.2% से कम है. इससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है. आर्थिक सुस्ती से उपभोक्ता खर्च, कॉरपोरेट कमाई और निवेश पर नकारात्मक असर पड़ता है.
7. कंपनियों की कमजोर कमाई
पिछले दो तिमाहियों में भारतीय कंपनियों की कमाई में गिरावट दर्ज की गई है. ब्रोकरेज हाउस FY25 में कंपनियों की कमाई में सिंगल डिजिट ग्रोथ का अनुमान लगा रहे हैं. कमजोर कमाई से निवेशकों की धारणा प्रभावित होती है और बाजार में गिरावट आती है.