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Economic Survey Highlights : महंगाई बढ़ने का खतरा बरकरार, निवेश में तेजी लाना जरूरी, आर्थिक सर्वेक्षण में और क्या हैं बड़ी बातें

Economic Survey Highlights : देश में बिजनेस का माहौल बेहतर बनाना है, तो ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस (EoDB) 2.0 में राज्य सरकारों को बढ़ाने होंगे कदम : आर्थिक सर्वेक्षण

Economic Survey Highlights : देश में बिजनेस का माहौल बेहतर बनाना है, तो ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस (EoDB) 2.0 में राज्य सरकारों को बढ़ाने होंगे कदम : आर्थिक सर्वेक्षण

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Viplav Rahi
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Economic Survey 2025: मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन और उनकी टीम द्वारा तैयार आर्थिक सर्वेक्षण शुक्रवार को संसद में पेश किया गया. (Photo: Reuters)

Economic Survey 2024-25 Highlights: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण महंगाई बढ़ने का खतरा बरकरार है. इसके साथ ही, निवेश में तेजी लाना और बिजनेस के माहौल को बेहतर बनाना जरूरी है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3% से 6.8% की दर से बढ़ सकती है. हालांकि, सतत विकास और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए निवेश दर को 31% से बढ़ाकर 35% करना होगा.

अर्थव्यवस्था मजबूत, लेकिन महंगाई का खतरा बरकरार

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और वित्तीय अनुशासन, स्थिर खपत और सरकारी खर्च के संतुलित प्रबंधन से इसे मजबूती मिल रही है. हालांकि, वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के कारण महंगाई के जोखिम अभी भी बने हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें महंगाई को प्रभावित कर सकती हैं.

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निवेश बढ़ाने की जरूरत

सर्वेक्षण में कहा गया है कि निवेश गतिविधि में सुधार की जरूरत है और इसे प्रोत्साहित करने के लिए सरकार सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (Public Capex) में बढ़ोतरी कर रही है. भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए निवेश की दर को मौजूदा 31% से बढ़ाकर 35% तक करना जरूरी होगा.

सरकार का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश में लगातार बढ़ोतरी से आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा. अगले दो दशकों तक बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना जरूरी है ताकि भारत उच्च विकास दर बनाए रख सके.

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ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस 2.0: राज्यों पर दारोमदार

देश में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस (EoDB) 2.0 को लागू करना जरूरी बताया गया है. इसके तहत राज्यों को उन मुख्य बाधाओं को दूर करने के लिए नीतियां बनानी होंगी, जो व्यापार और निवेश में रुकावट डालती हैं.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत को व्यापार करने में आसानी के लिए वैश्विक स्तर पर खुद को प्रतिस्पर्धी बनाना होगा और केवल अपने पिछले प्रदर्शन से तुलना करने के बजाय अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाना होगा.

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संतुलित पॉलिसी मैनेजमेंट जरूरी

भारत की आर्थिक वृद्धि को वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, जियो-पोलिटिकल टेंशन और मंदी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में सतर्क और रणनीतिक पॉलिसी मैनेजमेंट जरूरी होगा.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत को निर्यात बढ़ाने और अधिक निवेश आकर्षित करने की कोशिश करनी चाहिए. इसके लिए विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) को और विकसित करना और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और बायोटेक्नोलॉजी जैसी उभरती तकनीकों में निवेश करना जरूरी होगा.

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विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 640.3 अरब डॉलर है, जो 10.9 महीनों के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है और देश के 90% बाहरी कर्ज को कवर कर सकता है. यह मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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सर्विस सेक्टर पर ऑटोमेशन का असर

भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सर्विस सेक्टर यानी सेवा क्षेत्र पर आधारित है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक हो सकता है, क्योंकि भारत की आबादी बड़ी है और प्रति व्यक्ति आय अपेक्षाकृत कम है. इसलिए, भविष्य की आर्थिक नीतियों को इस तरह से तैयार करना होगा ताकि ऑटोमेशन के प्रभाव के बावजूद रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकें.

कॉरपोरेट सेक्टर निभाए सामाजिक जिम्मेदारी

आर्थिक सर्वेक्षण में कॉरपोरेट सेक्टर को सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) निभाने की जरूरत बताई गई है. कंपनियों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सतत विकास में योगदान देना चाहिए.

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खेती-किसानी को मजबूत करना जरूरी

सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र को मजबूती देने पर भी जोर दिया गया है. भारत को दालों, तिलहन, टमाटर और प्याज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शोध कार्य में तेजी लाने की जरूरत है. साथ ही, जलवायु-सहिष्णु फसलें विकसित करने पर ध्यान देना होगा ताकि फसल की पैदावार बढ़ाई जा सके और फसल नुकसान को कम किया जा सके.

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में मजबूती बनाए रखेगी, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण महंगाई का जोखिम बना रहेगा. निवेश दर को बढ़ाने, ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस को मजबूत करने, बुनियादी ढांचे में निवेश जारी रखने और सेवा क्षेत्र को ऑटोमेशन के प्रभाव से बचाने के लिए ठोस नीतियां अपनानी होंगी. अगर भारत अगले 20 वर्षों तक 8% की औसत वृद्धि दर बनाए रखता है, तो 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

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