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Court Blocks Trump Order: ट्रंप के बर्थराइट सिटिजनशिप ऑर्डर पर रोक का क्या है मतलब? कोर्ट के इस आदेश से भारतीयों को कैसे मिलेगी राहत ?

Court Blocks Trump Order Against Birthright Citizenship: जन्म के आधार पर अमेरिकी नागरिकता देने के कानून के खिलाफ राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश पर एक अमेरिकी अदालत ने 14 दिन के लिए रोक लगा दी है.

Court Blocks Trump Order Against Birthright Citizenship: जन्म के आधार पर अमेरिकी नागरिकता देने के कानून के खिलाफ राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश पर एक अमेरिकी अदालत ने 14 दिन के लिए रोक लगा दी है.

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Viplav Rahi
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Trump Order Blocked: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दस्तखत करने के बाद अपने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर को दिखाते हुए. (Photo : Reuters)

Trump Order Against Birthright Citizenship Blocked by US Court :अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जन्म से नागरिकता खत्म करने वाले आदेश (Birthright Citizenship Order) पर एक अमेरिकी कोर्ट ने रोक लगाकर बड़ा कदम उठाया है. इस रोक को ट्रंप प्रशासन द्वारा सत्ता संभालने के बाद पहले ही दिन जारी किए गए आदेश के लिए पहला बड़ा झटका माना जा रहा है. लेकिन सवाल ये है कि ट्रंप के बर्थराइट सिटिजनशिप ऑर्डर पर रोक लगाया जाना इतना महत्वपूर्ण क्यों है? खासतौर पर अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को इस आदेश से क्या फायदा हो सकता है?

ट्रंप का आदेश और कोर्ट का फैसला

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के पहले ही दिन एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत किए, जिसमें जन्म के आधार पर अमेरिकी नागरिकता देने के कानून को खत्म करने की बात कही गई थी. इस आदेश के तहत, अमेरिका में जन्मे बच्चों को तभी नागरिकता मिलती अगर उनके माता-पिता में से एक अमेरिकी नागरिक, ग्रीन कार्ड धारक, या अमेरिकी सेना का सदस्य होता. गुरुवार को अमेरिका के सिएटल की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने इस आदेश पर अमल 14 दिनों के लिए रोक दिया है. इस दौरान अदालत पूरे मामले की कानूनी सुनवाई करेगी.

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ट्रंप प्रशासन का तर्क और कोर्ट की टिप्पणी

ट्रंप प्रशासन का दावा है कि जन्म से नागरिकता का अधिकार अवैध प्रवासियों और "बर्थ टूरिज्म" को बढ़ावा देता है. प्रशासन ने इस नीति को अमेरिकी इमिग्रेशन सिस्टम में सुधार और संसाधनों पर दबाव कम करने के लिए जरूरी बताया. हालांकि वॉशिंगटन के असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल लेन पोलोजोला ने कोर्ट में कहा, "इस आदेश का मतलब है कि आज जन्मे बच्चों को अमेरिकी नागरिक नहीं माना जाएगा." उन्होंने कहा कि यह आदेश हर साल 1.5 लाख से अधिक बच्चों को संविधान में दिए गए बुनियादी अधिकारों से वंचित कर देगा.

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भारतीय समुदाय को कैसे मिलेगी राहत?

अमेरिका में 48 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकी रहते हैं. इनमें से कई भारतीय परिवार ऐसे हैं जो ग्रीन कार्ड या H-1B वीज़ा की प्रक्रिया में हैं. मौजूदा कानून के तहत उनके अमेरिका में जन्मे बच्चों को अपने आप अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है, लेकिन ट्रंप के आदेश के लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा. लिहाजा, अमेरिकी में रहने वाले भारतीयों के बच्चों को नागरिकता मिलना मुश्किल हो जाएगा. ट्रंप के आदेश के लागू होने का असर खासतौर पर उन परिवारों पर पड़ता जो अभी स्थायी नागरिकता (ग्रीन कार्ड) हासिल करने की प्रक्रिया में हैं. ऐसे परिवारों के बच्चों को जन्म से अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलती और उन्हें कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता. 

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फैमिली री-यूनियन पर असर

अमेरिका का इमिग्रेशन सिस्टम परिवार को एक साथ लाने (फैमिली री-यूनियन) पर जोर देता है. मौजूदा कानून के तहत, अमेरिकी नागरिक बने बच्चे 21 साल की उम्र के बाद अपने माता-पिता को अमेरिका बुला सकते हैं. ट्रंप का आदेश लागू हुआ, तो उनका यह अधिकार भी खत्म हो जाएगा, जिससे परिवारों का एक साथ रहना मुश्किल हो जाएगा. ट्रंप का आदेश उन भारतीय परिवारों के लिए भी मुश्किलें बढ़ाएगा, जो अमेरिकी नीति का गलत इस्तेमाल नहीं करते और अमेरिका की अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक योगदान करते हैं.

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भारतीयों के लिए राहत भरी खबर

मौजूदा हालात में बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने के आदेश के खिलाफ आए कोर्ट के फैसले को अमेरिका में रहने वाले लाखों भारतीयों के लिए राहत भरा कदम माना जा रहा है. अमेरिका में जन्मे बच्चों को नागरिकता मिलने का अधिकार बरकरार रहने से परिवारों को स्थायित्व और सुरक्षा मिलेगी. भारतीय-अमेरिकी समुदाय को उम्मीद है कि अदालतें अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन को बचाएंगी, जो कहता है कि अमेरिका में जन्मे हर बच्चे को वहां की नागरिता दी जाएगी, भले ही उनके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो.

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अब आगे क्या होगा? 

ट्रंप के आदेश को चार डेमोक्रेटिक-नेतृत्व वाले राज्यों ने कोर्ट में चुनौती दी है. वकीलों ने तर्क दिया कि अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन को केवल एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के माध्यम से बदला नहीं जा सकता. फिलहाल सिएटल के जज का फैसला सिर्फ एक अस्थायी रोक है. कानूनी मोर्चे पर यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. अदालतों में इस पर लंबी कानूनी बहस चल सकती है. लेकिन सिएटल की अदालत के जज ने ट्रंप के आदेश पर रोक लगाते हुए जिस तरह उसे पूरी तरह असंवैधानिक बताया है, उससे आदेश का विरोध कर रहे लोगों को इंसाफ मिलने की उम्मीद बढ़ी है.

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