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Trump on Income Tax and Tariff: ट्रंप ने अमेरिका में इनकम टैक्स खत्म करके दूसरे देशों पर टैरिफ बढ़ाने की नीति पर अमल किया तो भारत के लिए भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ( File Photo : ANI)
Donald Trump on Income Tax and Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में इनकम टैक्स को खत्म करके उसकी भरपाई के लिए दूसरे देशों से ज्यादा टैरिफ वसूलने का जो संकेत दिया है, वह भारत समेत सारी दुनिया के लिए चिंता बढ़ाने वाला है. ट्रंप का दावा है कि उनकी यह नीति अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी. हालांकि, अगर यह नीति लागू होती है, तो इसका असर सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा. भारत समेत दुनियाभर के देशों को इसकी वजह से नई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
ट्रंप का इनकम टैक्स खत्म करने का प्रस्ताव
डोनाल्ड ट्रंप ने इनकम टैक्स को खत्म करने और उसकी भरपाई के लिए दूसरे देशों पर टैरिफ लगाने की बात सोमवार को रिपब्लिकन इश्यूज कॉन्फ्रेंस के दौरान कही. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि 1913 से पहले अमेरिका में इनकम टैक्स नहीं था और अमेरिका के आर्थिक रूप से काफी समृद्ध होने की यह एक बड़ी वजह थी. उन्होंने कहा कि टैरिफ से होने वाली भारी कमाई ने ही अमेरिका को सबसे ताकतवर और धनवान बनाया. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को अपने नागरिकों से टैक्स वसूलने के बजाय विदेशों पर टैक्स और टैरिफ लगाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि यह नीति न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी बल्कि देश के नागरिकों को भी समृद्ध बनाएगी.
टैरिफ को कमाई का जरिया बनाने के खतरे
ट्रंप का यह दावा कितना सही है कि दूसरे देशों पर टैरिफ से अमेरिकी खजाने में दौलत भर जाएगी? वे यह भी कह रहे हैं कि 1870-1913 के बीच अमेरिका ने टैरिफ के जरिए इतनी अधिक रकम जमा की थी कि सरकार को उस पैसे का इस्तेमाल करने के लिए विशेष समितियां बनानी पड़ी थीं. लेकिन दुनिया भर में प्रोटेक्शनिज्म यानी संरक्षणवाद की सोच को बरसों पहले खारिज किया जा चुका है.
टैरिफ में कटौती रहा है WTO का बड़ा एजेंडा
दरअसल 1990 के दशक में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) का मुख्य एजेंडा ही यही था कि सारी दुनिया के देशों को टैरिफ घटाने के मुद्दे पर सहमत किया जाए, ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढ़े. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे दुनिया भर में समृद्धि लाने का तरीका माना गया. सच तो यह है कि WTO का पुराना नाम ही जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड (GATT) हुआ करता था. तभी से दुनिया भर के अधिकांश अर्थशास्त्री यह मानते रहे हैं कि टैरिफ को कमाई का जरिया बनाना सही नीति नहीं है. ग्लोबलाइजेशन का सबसे बड़ा वैचारिक आधार भी यही रहा है.
भारत पर क्या होगा असर?
ट्रंप अगर वाकई टैरिफ बढ़ाने की राह पर चल निकले, तो इससे भारत समेत सारी दुनिया के लिए कई दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं. आम तौर पर ज्यादा टैरिफ को व्यापारिक संतुलन बिगाड़ने का कारण माना जाता है, जिससे ग्लोबल ट्रेड पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही टैरिफ बढ़ने पर बहुत सारी चीजों के दाम बढ़ते हैं, जिससे सारी दुनिया में महंगाई दर (Inflation) बढ़ने की समस्या पैदा हो सकती है .अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. जाहिर है अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है, तो भारत में इंफ्लेशन पर दबाव बढ़ने का खतरा रहेगा. अमेरिका में ऊंचे टैरिफ से भारतीय निर्यातकों (Exporters) को नुकसान हो सकता है. खास तौर पर आईटी सर्विसेज, गारमेंट और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर्स पर इसका बुरा असर पड़ेगा. इसके अलावा भारत ने अगर व्यापार संतुलन बनाने के लिए जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी चीजों पर टैरिफ बढ़ाया तो देश में अमेरिकी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट भी महंगे हो जाएंगे. इस तरह कंज्यूमर्स और इंडस्ट्री दोनों के लिए बोझ बढ़ेगा. इंफ्लेशन का दबाव बढ़ने की वजह से घरेलू बाजार भी प्रभावित होंगे.
ग्लोबल इकॉनमी पर प्रभाव
ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाया तो उसका बुरा असर केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. मिसाल के तौर पर टैरिफ बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार धीमा हो सकता है. देशों के बीच व्यापारिक विवाद बढ़ सकते हैं. ट्रंप ने भारत की सदस्यता वाले ब्रिक्स (BRICS) देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी है. अगर ऐसा हुआ तो ब्रिक्स में शामिल सभी देशों को बड़ा झटका लग सकता है.
भारत को कैसे तैयार होना चाहिए?
अगर ट्रंप टैरिफ बढ़ाने की उस नीति पर आगे बढ़ते हैं, जिसका उन्होंने अभी संकेत दिया है, तो भारत को इसके प्रभावों का सामना करने के लिए पहले से तैयार रहना होगा. हमें अपने एक्सपोर्ट मार्केट को और डायवर्सिफाई करना होगा और नए ट्रेडिंग पार्टनर्स की तलाश करनी होगी. बाहरी निर्भरता कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान को और तेज करना होगा. साथ ही भारत को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अमेरिका की इस नीति की खामियों को उजागर करके उस पर दबाव बनाने की कोशिश भी करनी होगी. ग्लोबल ट्रेड बैलेंस को बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना होगा.