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8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग के गठन के एलान बावजूद उस पर आगे की कार्रवाई काफी धीमी चल रही है. (File Photo : Reuters)
8th Pay Commission implementation : केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 8वां वेतन आयोग इस साल जनवरी में मोदी सरकार ने घोषित कर दिया था. लेकिन सात महीने बीत जाने के बाद भी इस पर ठोस काम शुरू नहीं हुआ है. टर्म्स ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference - ToR) यानी वे मुद्दे जिन पर आयोग अपनी सिफारिशें तैयार करेगा, अभी तक फाइनल नहीं हुए हैं. अगर 7वें वेतन आयोग से जुड़े पिछले अनुभव को देखें तो इस प्रक्रिया में करीब 3 साल लग सकते हैं. ऐसे में नया वेतनमान लागू होने में 2028 की शुरुआत तक का इंतजार करना पड़ सकता है, भले ही बाद में इसका फायदा 1 जनवरी 2026 से जोड़कर मिल जाए.
8वें वेतन आयोग के ऐलान के बाद धीमी रफ्तार
जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग की घोषणा की थी. यह वह प्रक्रिया है जो हर 10 साल में होती है, जिसमें केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन, भत्तों और अन्य सुविधाओं की समीक्षा होती है. देशभर में करीब 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर इस ऐलान के बाद से बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
लेकिन उम्मीदों के विपरीत, अभी तक ToR तय नहीं हुआ है, न ही आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति हुई है. कर्मचारी संगठनों ने सरकार को कई बार पत्र लिखकर प्रगति की जानकारी मांगी है. वित्त मंत्रालय का कहना है कि तमाम मंत्रालयों, राज्यों और कर्मचारी संगठनों से इनपुट मांगे गए हैं, और ToR फाइनल होने के बाद औपचारिक अधिसूचना जारी होगी.
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7वें वेतन आयोग से क्या मिला सबक
अगर हम 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की टाइमलाइन पर नजर डालें, तो पता चलता है कि 8वें वेतन आयोग में भी लंबा समय लग सकता है.
गठन की घोषणा: 25 सितंबर 2013 को UPA सरकार ने 7वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया. उस समय 6वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुए 5 साल हो चुके थे.
ToR अधिसूचना:ऐलान के 5 महीने बाद यानी 28 फरवरी 2014 को वित्त मंत्रालय ने ToR जारी किया.
सदस्यों की नियुक्ति: 4 मार्च 2014 को आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति की गई. न्यायमूर्ति ए.के. माथुर को अध्यक्ष बनाया गया.
रिपोर्ट सबमिशन: करीब 1 साल 8 महीने बाद 19 नवंबर 2015 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी.
सिफारिशों पर अमल: 29 जून 2016 को सरकार ने अधिकांश सिफारिशें मान लीं और इन्हें 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया.
इस तरह 7वें वेतन आयोग के ऐलान से लेकर सिफारिशों के लागू होने तक 33 महीने यानी करीब 2 साल 9 महीने लग गए.
8वें वेतन आयोग की संभावित टाइमलाइन
अगर 8वें वेतन आयोग की प्रक्रिया भी 7वें वेतन आयोग जैसी रही, तो कर्मचारियों को 2026 में वेतन वृद्धि की खुशखबरी मिलना मुश्किल है. जनवरी 2025 में ऐलान के बाद अब तक 7 महीने गुजर चुके हैं और ToR अभी तक तय नहीं हुआ है.
अगर मान लें कि अगस्त 2025 में आयोग की औपचारिक अधिसूचना जारी हो जाती है, तब भी 7वें वेतन आयोग के अनुभव के आधार पर 27 महीने बाद यानी जनवरी 2028 के आसपास सिफारिशें लागू हो सकती हैं. इसका मतलब है कि कर्मचारियों को वेतन का लाभ भले ही 1 जनवरी 2026 से मिले, लेकिन असल में नई पगार हाथ में 2028 में आएगी और बकाया (arrears) भी तभी मिलेगा.
कर्मचारी संगठनों की चिंता
कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि इतनी देरी से कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है. NC-JCM (National Council of Joint Consultative Machinery) ने सरकार को सौंपे अपने ड्राफ्ट प्रपोजल में कई मांगें रखी हैं, जिनमें वेतन संरचना में सुधार, भत्तों की बढ़ोतरी और पेंशन में सुधार शामिल है. संगठन चाहते हैं कि सरकार तेजी से ToR फाइनल कर आयोग को काम शुरू करने दे.
इससे अलग क्या हो सकता है
हालांकि यह जरूरी नहीं कि 8वें वेतन आयोग की प्रक्रिया 7वें जैसी लंबी हो. अगर सरकार प्राथमिकता देकर तेजी से ToR जारी कर दे और आयोग भी रिकॉर्ड समय में रिपोर्ट सौंप दे, तो सिफारिशें 2026 के भीतर भी लागू हो सकती हैं. लेकिन मौजूदा रफ्तार देखकर फिलहाल ऐसा संभव नहीं लगता.
क्या बता रहा है पिछला तजुरबा
पिछले अनुभव से साफ है कि वेतन आयोग की पूरी प्रक्रिया में समय लगता है. 7वें वेतन आयोग के केस में यह लगभग 3 साल का सफर था. अगर 8वें वेतन आयोग के लिए यही पैटर्न दोहराया गया, तो केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को 2028 तक इंतजार करना पड़ सकता है. हालांकि, लागू होने के बाद इसका फायदा और एरियर 1 जनवरी 2026 से ही मिलना चाहिए.