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8वें वेतन आयोग का गठन अब तक नहीं हो पाया है. (Image : Freepik)
8th Pay Commission : Salary Hike for Central Government Employees : देश के लगभग 35 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और 67 लाख पेंशनर्स लंबे समय से 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन का इंतजार कर रहे हैं. 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर वेतन बढ़ोतरी की उम्मीदें जोर पकड़ रही हैं, लेकिन अब यह चिंता भी बढ़ रही है कि क्या जनवरी 2026 से यह बढ़ोतरी लागू हो भी पाएगी? ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग के गठन का फैसला किए जाने के इतने समय बाद भी अब तक आयोग का गठन नहीं हो पाया है. जिससे कर्मचारी संगठनों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
अब तक क्यों नहीं बना 8वां वेतन आयोग
7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की घोषणा फरवरी 2014 में की गई थी और इसे जनवरी 2016 से लागू कर दिया गया था. इससे दो साल का समय आयोग को रिपोर्ट तैयार करने और सरकार को फैसले लेने में मिला था. लेकिन 2025 का साल लगभग आधा बीत गया है और 8वें वेतन आयोग का गठन अब तक हुआ नहीं है. न ही आयोग के कामकाज की शर्तें (Terms of Reference) अब तक तय हुई हैं. यही वजह है कि अब ऐसी आशंकाएं जाहिर की जाने लगी हैं कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें आने और उनके लागू होने में देरी होना तय है.
जनवरी 2026 से वेतन बढ़ना मुश्किल लग रहा है
मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आ रही है कि अंदरूनी स्तर पर 8वें वेतन आयोग के गठन पर चर्चा जरूर चल रही है, लेकिन सरकारी प्रक्रिया की धीमी रफ्तार को देखते हुए यह कहना कठिन है कि आयोग जनवरी 2026 से पहले अपनी सिफारिशें पेश कर पाएगा. आमतौर पर किसी भी वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में 18 से 24 महीने का समय लगता है. ऐसे में अगर आयोग 2025 के अंत तक गठित हो जाता है, तो भी सिफारिशें शायद 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक ही लागू हो पाएंगी.
आर्थिक दबाव भी है बड़ी वजह
सरकार पर इस समय आर्थिक संतुलन बनाए रखने का भी दबाव है. लोक-कल्याणकारी योजनाएं, आगामी चुनावी वादे और फिस्कल डेफिसिट को कंट्रोल में रखने जैसी प्राथमिकताएं हैं. हो सकता है इन तमाम बातों के चलते सरकार वेतन बढ़ोतरी पर बड़ा खर्च करने से बचना चाह रही हो. अगर वेतन में भारी बढ़ोतरी होती है, तो इससे सरकारी खजाने पर बहुत अधिक बोझ पड़ सकता है.
फिटमेंट फैक्टर: वेतन बढ़ोतरी का मुख्य आधार
वेतन निर्धारण में फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था, जिसके चलते न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था. जानकारों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.5 से 2.86 के बीच हो सकता है. अगर इसे 2.7 के करीब रखा जाता है, तो कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन लगभग 40,000 से 45,000 रुपये तक पहुंच सकता है. हालांकि, अगर सरकार सबसे ऊंचे 2.86 फिटमेंट फैक्टर को स्वीकार करती है, तो न्यूनतम मूल वेतन 51,000 रुपये के पार जा सकता है. लेकिन ऐसा होने की संभावना कम मानी जा रही है, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर बोझ बहुत बढ़ सकता है.
कुल मिलाकर फिलहाल स्थिति ये है कि 8वें वेतन आयोग को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की उम्मीदें लगातार बनी हुई हैं, लेकिन अगर आयोग का गठन जल्द ही नहीं होता, तो जनवरी 2026 से वेतन वृद्धि की संभावना काफी कम हो जाएगी.